August 4, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

मध्य प्रदेश की सियासत में अब पिछलग्गू नहीं कलचुरी..पार्टियों में लगी होड़

कालका प्रसाद शिवहरे बने कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव
मुन्नालाल जायसवाल, आशा राय, मयंक महाजन को भी कांग्रेस में बड़े पद
आने वाले दिनों में भाजपा में कई कलचुरी नेताओं को मिलेगी जिम्मेदारी

 

शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल
मध्य प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में यह लगभग साफ है कि आगामी आमचुनाव में कलचुरी समाज की भूमिका काफी अहम होने जा रही है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि राजनीतिक दलों के बीच आगामी आमचुनाव से पहले कलचुरी समाज के नेताओं को संगठन में अहम जिम्मेदारी देने की होड़ सी लगी है। हालांकि इस काम में कांग्रेस काफी तेजी दिखा रही है, वह शायद इसलिए कि भाजपा इस मामले में उससे कहीं आगे है।
ताजा घटनाक्रम यह है  कि ग्वालियर के जाने-माने समाजसेवी एवं पत्रकार श्री कालका प्रसाद शिवहरे को कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का प्रदेश महासचिव नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति पर कलचुरी समाज हर्ष व्यक्त किया है। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने रीवा के मुन्नालाल जायसवाल को भी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का प्रांतीय संगठन मंत्री बनाया था। भारतीय कलचुरी जायसवाल समवर्गीय महासभा की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती आशा राय को कांग्रेस ने महिला इकाई का प्रांतीय प्रदेश सचिव बनाकर कलचुरी समाज की महिलाओं को लुभाने का प्रयास किया है।  वहीं कांग्रेस ने युवा नेता मयंक महाजन को आईटी सेल के प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा स्थानीय यानी जिला, नगर, ब्लाक, लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र आदि स्तरों पर कांग्रेस के सभी प्रकोष्ठों के संगठन में भी कलचुरी समाज के नेताओं को तवज्जो दी जा रही है।
यहां खास बात यह है कि बीते विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस ने कलचुरी समाज के आग्रह के बावजूद उसे एक भी टिकट नहीं दी थी। इसे लेकर कलचुरी समाज के प्रमुख और प्रभावशाली लोगों ने कांग्रेस के प्रति साफतौर पर नाराजगी जाहिर की थी। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने कलचुरी समाज की नाराजगी को गंभीरता से लिया है और उसकी कोशिश है कि आमचुनाव से पहले सूबे की आबादी में 10 फीसदी की हिस्सेदारी वाले इस समाज की नाराजगी को किसी तरह दूर किया जाए। सूत्रों के मुताबिक, निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को कैबिनेट में जगह देने के पीछे भी मुख्यमंत्री कमलनाथ की यही सोच रही होगी। 
ऐसे में भाजपा भी पीछे नहीं रहना चाहती। सूत्रों का दावा  है कि आने वाले दिनों में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों के संगठनों में कलचुरी समाज के लोगों को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा, और उम्मीद है कि दोनों दलों से कलचुरी नेताओं को टिकट भी मिल जाएं। मध्य प्रदेश में कलचुरी समाज की पहचान राजनीतिक और सामाजिक रूप से एक जागरूक समाज के तौर पर है। ऐसा कभी हुआ नहीं, कि किसी चुनाव में किसी पार्टी को कलचुरी समाज का एकजुट समर्थन मिला हो, और एक जागरूक समाज के इस तरह की अपेक्षा किसी दल को करनी भी नहीं चाहिए।
शायद यही कारण है कि जागरूक और आधुनिक सोच वाले कलचुरी समाज को राजनीति  में कभी वाजिब प्रतिनिधित्व नहीं सका। लेकिन, बीते विधानसभा चुनाव से तस्वीर बदलने लगी है। विधानसभा चुनाव से पूर्व  समाज को वाजिब राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए सामाजिक संगठनों ने कई मौकों पर एकजुट होकर राजनीतिक दलों को अपनी संख्या शक्ति का अहसास कराया। इसमें सर्वश्री दिलीप सूर्यवंशी, राजाराम शिवहरे, किशोर राय जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई संगठनों की भूमिका अहम रही।
अब लोकसभा चुनाव से पहले ये प्रयास एक बार फिर तेज हो गए हैं। बीती 24 फरवरी को भोपाल में श्री सहस्त्रबाहु कलचुरी महासभा (कलार समाज) के तत्वावधान में हुए सामूहिक विवाह समारोह से एक दिन पहले 23 फरवरी को विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सभी वक्ताओं ने समाज के संगठनों से एकजुट होने का आह्वान किया गया। चुनावी माहौल में इस आह्वान के खास राजनीतिक मायने हैं, और उम्मीद की जानी चाहिए कि कलचुरी समाज की एकजुटता इस बार सभी राजनीतिक दलों को उसे वाजिब प्रतिनिधित्व देने के लिए बाध्य कर देगी…कम से कम मध्य प्रदेश में तो ऐसा हो ही सकता है।

 

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