बाराबंकी।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी कलचुरी महिला के बारे में जिसने अपने दम पर गांव की तस्वीर बदल दी। प्रकाशिनी जायसवाल नाम है उनका, बाराबंकी जिले के चंदवारा गांव की ग्राम प्रधान हैं। प्रधान के रूप में महज चार साल के कार्यकाल में उन्होंने बदलाव की ऐसी बयार चलाई कि आज उनका गांव साफ-सफाई, आधुनिक सविधाओं और शिक्षा के मामले में एक मिसाल बन गया है। एक तरह से प्रकाशिनी जायसवाल सुशासन की रोल-मॉडल बनकर सामने आई हैं। आज उनके गांव को ओडीएफ यानी खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त घोषित किया जा चुका है। लड़कियों को शिक्षित करने के लिए ‘साइकिल बैंक’ की उनकी अनोखी पहल की चर्चा पूरे देश में है।
चंदवारा के रितुराज जायसवाल की पत्नी श्रीमती प्रकाशिनी जायसवाल 2015 में पहली बार ग्राम-प्रधान निर्वाचित हुईं थीं। प्रकाशिनी जायसवाल ने अपनी मेहनत और लगन से गांव में सुशासन की परिकल्पना को साकार किया। उन्होंने आधुनिक सोच और आधुनिक तौर-तरीके अपनाकर गांव को विकास पथ पर बढ़ाया। जैसा कि प्रकाशिनी बताती हैं चुनाव जीतने के बाद गांव के विकास का खाका खींचकर योजनाबद्ध तरीके से उन्होंने काम करना शुरू किया। उनका सबसे ज्यादा ध्यान स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता पर रहा। इन सभी क्षेत्रों में समान रूप से आगे बढ़ने के लिए कई टीमें बनाईं जो उनके साथ मिलकर काम करती हैं। प्रकाशिनी ने सबसे पहले गांव की साफ-सफाई को लेकर लोगों को जागरूक किया, और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया और लोगों को घरों में शौचालय बनाने के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाया। नतीजा यह है कि आज गांव खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त है।
गांव में होने वाली सभी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उन्होंने मुख्य रास्तों और गलियों में सीसीटीवी कैमरे लगवाए, जिससे अब गांववालों की सभी गतिविधियां सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में कैद होती हैं। सारे सीसीटीवी का कंट्रोल प्रधान प्रकाशिनी जायसवाल ने खुद अपने पास रखा है। इसके अलावा ग्रामीणों की सभी शिकायतों या सुझावों से सीधा जुड़ने के लिए प्रधान ने एक व्हॉट्सएप ग्रुप बनाया, जो हर परेशानी को तुरंत दूर करने में काफी मदद करता है। प्रकाशिनी की मेहनत से कराए गए अब तक के कामों की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक है। मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।
प्रकाशिनी की सबसे महत्वपूर्ण और चर्चित पहल गांव में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देना रही। उन्होंने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए ‘साइकिल बैंक’ बनाया है। लड़कियां रोजाना इस बैंक से साइकिल लेकर स्कूल जाती है और वापस स्कूल से आकर साइकिल को बैंक में जमा कर देती हैं। इस नई शुरुआत के बाद घर से दूर स्कूलों में जाने के लिए भी अब इनको किसी के सहारे की जरूरत भी नहीं पड़ती। प्रकाशिनी ने उन तमाम लड़कियो को दुबारा स्कूल भिजवाया, जो किन्हीं कारणों से पढ़ाई छोड़कर घर बैठ गई थीं।
श्रीमती प्रकाशिनी जायसवाल अपनी सफलता का श्रेय अपने पति श्री रितुराज जायसवाल को देती हैं जो आटोमोबाइल इंडस्ट्री में हैं। उनके एक बेटी और एक बेटा है जो पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन, प्रकाशिनी गांव के उन तमाम बेटों-बेटियों के लिए मां से कम नहीं हैं, जिनके लिए प्रकाशिनी ने विकास के द्वार खोल दिए हैं।
Leave feedback about this