शिवहरेवाणी नेटवर्क
देहरादून।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की रहने वाली मीनल कर्णवाल ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 35वीं रैंक हासिल की है। मीनल ने तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है, और उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में स्थान मिलना तय है। मीनल का कहना कि अनुशासन, फोकस औऱ दृढ़ निश्चय ही उनकी सफलता की कुंजी है। उनका मानना है कि ये तीन ऐसी खूबियां या गुण हैं जिनके बल पर कोई भी व्यक्ति अपने सपने को साकार कर सकता है। फिलहाल मीनल और उनके परिवार को बधाई देने वालों का सिलसिला थम नहीं रहा है। कलचुरी समाज के विभिन्न संगठनों ने भी मीनल की सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है।
देहरादून के करनपुर क्षेत्र के बंगाली लाईब्रेरी मोहल्ले में रहने वाली 24 वर्षीय मीनल के पिता उमेश कर्णवाल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की करनपुर शाखा में कार्यरत हैं। मां सिम्मी कर्णवाली गृहणी हैं। मीनल का छोटा भाई उज्ज्वल कर्णवाल वेल्लोर टैक्निकल इंस्टीट्यूट (वीआईटी) से बीटेक कर रहा है जबकि बड़ा भाई विशेष कर्णवाल दिल्ली में अधिवक्ता करते हैं।
मीनल ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई देहरादून के ही सेंट जोसफ एकेडमी में की। होनहार मीनल ने दसवीं कक्षा में 93.2 प्रतिशत अंक प्राप्त किए और 12वीं कक्षा 96.5 प्रतिशत अंकों से पास की। इसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लिया। 2015 में बीए करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। मीनल का कहना है कि नब समाज के बीच रहकर समाज के लिए कुछ करना चाहती थी, और इसी सोच के साथ उन्होंने तैयारी शुरू की थी। 2016 में पहली बार परीक्षा दी और प्री परीक्षा ही पास कर पाई। 2017 में फिर परीक्षा दी लेकिन कामयाबी नहीं मिली। लेकिन, लगातार दो असफलताओं के बाद भी मीनल ने हिम्मत नहीं हारी। परिवार, दोस्तों और शिक्षकों के प्रोत्साहन से उसने और अधिक एकाग्रता के साथ तैयारी की। 2018 में तीसरी बार परीक्षा दी और देशभर में 35वीं रैंक हासिल की। मीनल ने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय चुना था।
मीनल ने बताया कि वह रोजाना आठ घंटे तक पढ़ाई करती थीं। लेकिन परीक्षा के दौरान वह 16 से 18 घंटे तक भी पढ़ती थीं। रविवार को छुट्टी का दिन होने पर वह फिल्म देखने भी जाती थीं। मीनल को लेखन का भी शौक है, खासकर पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर उनके आलेख विभिन्न पत्रों में प्रकाशित भी हुए हैं।
समाचार
discipline..focus..determination…आईएएस बनीं मीनल कर्णवाल
- by admin
- October 29, 2016
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- 9 years ago


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