शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री राधाकृष्ण, आलमगंज की प्रबंध समिति के अध्यक्ष अरविंद गुप्ता को अंबेडकर विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ का महामंत्री चुना गया है। उनके निर्वाचन की घोषणा होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर शिवहरे बंधुओं की ओर से उन्हें शुभकामनाएं दी जा रही हैं। मंगलवार को शिवहरे समाज एकता परिषद ने यूनीवर्सिटी कैंपस में अरविंद गुप्ता का सम्मान किया, और महामंत्री के रूप में एक और सफल कार्यकाल की शुभकामनाएं दीं। शिवहरे जायसवाल युवा मंच के युवाओं ने भी अरविंद शिवहरे को सम्मानित किया।
इस अवसर पर शिवहरे समाज एकता परिषद के पदाधिकारियों और सदस्यों के साथ अन्य समाजबंधु भी उपस्थित रहे। अध्यक्ष अंशुल शिवहरे ने अपने साथियों के साथ अरविंद गुप्ता को परिषद की ओर से भगवान सहस्त्रबाहु का चित्र भेंट किया। इस दौरान संस्थापक/संयोजक अमित शिवहरे, उपाध्यक्ष डा. गौरव गुप्ता, महासचिव अंकुर गुप्ता, संगठन मंत्री सुगम शिवहरे, सचिव सत्यप्रकाश शिवहरे (लाला भाई) के साथ ही शिवम शिवहरे एवं अरविंद शिवहरे भी मौजूद रहे। अरविंद गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया। खास बता दें किअरविंद गुप्ता इस संगठन के संरक्षक भी हैं।
उधर, शिवहरे जायसवाल युवा मंच के युवाओं ने भी अरविंद गुप्ता से मुलाकात कर उनका सम्मान किया। इस दौरान मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप शिवहरे, जिलाध्यक्ष जितेंद्र शिवहरे, सरजू गुप्ता, हिमांशु शिवहरे, विकास गुप्ता, रविंद्र गुप्ता और अमन शिवहरे मौजूद रहे।
बता दें कि अरविंद गुप्ता आगरा में शिवहरे समाज की गतिविधियों में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं। लोहामंडी में आलमगंज स्थित मंदिर श्री राधाकृष्ण की प्रबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के अब तक के दो वर्षों में उन्होंने बड़ी कुशलता से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। इस दो वर्ष के कार्यकाल में कोष संबंधी समस्याओं के बाद भी उन्होंने मंदिर के विकास एवं पुनर्निर्माण कार्यों को पुनः शुरू कराया है, जो उनके प्रबंधन कौशल की मिसाल है।
अरविंद गुप्ता पहले भी विवि शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के महामंत्री पद के कई कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं। रविवार को हुए चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्ंद्वी संजय कुमार सिंह चौहान को 228 वोटों से पराजित किया। यूनिवर्सिटी में अपने साथी कर्मचारियों के बीच अरविंद गुप्ता की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सभी पदों पर हुए चुनाव में अपनी जीत का अंतर सबसे अधिक है।
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