January 22, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

अतुल चौकसे की अनोखी दौड़…अब साक्षर नहीं शिक्षित होने से चलेगा काम

शिवहरे वाणी नेटवर्क
नागपुर। 
'हम संकल्प लेते हैं कि अपनी शिक्षा अधूरी नहीं छोड़ेंगे..अच्छे काम करेंगे जिससे देश का नाम रोशन हो..हम अपने माता-पिता को भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करेंगे।' दूरस्थ शिक्षा के प्रति समाज में अलख जगाने के लिए नागपुर से 333 किलोमीटर की दौड़ पर निकले इंटरनेशनल अल्ट्रा रनर अतुल कुमार चौकसे ने बच्चों को ये संकल्प दिलाते हुए आधी दूरी तय कर ली है। नागपुर से पचमढ़ी के रास्ते में वह गांव-गांव दौड़ते-घूमते बच्चों और बड़े-बूढ़ों को साक्षर और शिक्षित होने फर्क को समझा रहे हैं, उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 

admin
अतुल कुमार चौकसे ने शिवहरे वाणी से बातचीत में बताया कि वह बीते 14 जुलाई को नागपुर से पंचमढ़ी तक 333 किलोमीटर दूरी के इस अभियान पर निकले हैं। रोज 60 किलोमीटर दौड़ लगा रहे हैं, बाजारों और स्कूलों में बच्चों और बड़े बूढ़ों से मिल रहे हैं। चौकसे का कहना है कि अब साक्षर होने से काम चलने वाला नहीं है। देश के विकास में हर आम व्यक्ति को भागीदार बनना है तो उसे शिक्षित होना होगा। इसी मंशा से वह इस अभियान पर निकले हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 40 गांवों में जा चुके हैं, जहां वह लोगों को बता रहे हैं कि खेतों में काम करते हुए या अपना कोई अन्य काम या नौकरी करते हुए भी पढ़ाई की जा सकती है। 
अतुल कुमार चौकसे को पूरा भरोसा है कि उनका यह अभियान रंग लाएगा और यदि उनके कहे से प्रेरित होकर कुछ लोग दूरस्थ शिक्षा से जोड़ने में कामयाब रहे तो यही उनके अभियान की सफलता होगी। उन्होंने बताया कि रास्ते में जगह-जगह उन्हें बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। स्कूलों में उन्हें स्पीच के लिए बुलाया जा रहा है। कई जगह उनके वृक्षारोपण भी कराया गया है। 
उन्होंने बताया कि उनका यह अभियान पूरी तरह स्ववित्त पोषित है। नागपुर की आसएस पाइप्स नाम की कंपनी ने रास्ते में उनके द्वारा होने वाले इवेंट्स जैसे नुक्कड़ नाटक व अन्य कार्यक्रमों को प्रायोजित किया है। 33 किलोमीटर के अभियान पर चौकसे के साथ उनके भाई आशीष अपनी गाड़ी लेकर चल रहे हैं। गाड़ी में चौकसे के जरूरत का सामान होने के साथ ही खाने-पीने का सामान भी रहता है। 
अतुल वर्मान समय में नागपुर में रह रहे हैं। वह एक फिटनेस कोच भी हैं। उन्होंने बताया कि 2018 में वर्ल्ड की सबसे कठिन इंटरनेशनल मैराथन सहारा रेगिस्तान (उत्तर अफ्रीका के देश मोरक्को) में भी शामिल हुआ। अतुल ने बताया कि यह 275 किमी की मैराथन थी। मैंने 55 डिग्री सेल्सियस तापमान में दौड़ लगाई। उन्होंने बताया कि ऐसे मैराथन में आपको रास्ते का पता नहीं होता है। रास्ते में जहरीले बिच्छु और सांप का भी सामना होता है। इन सबसे पारकर तक मैराथन पूरी की थी। इसके अलावा हिमालय में वर्ल्ड का हाइएस्ट 114 किमी की अल्ट्रा मैराथन भी उन्होंने पूरी की थी। इसके अलावा देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर अतुल ने नागपुर में 26 जनवरी के दिन स्टेडियम में हाथ में तिरंगा लेकर रात के आठ बजे से सुबह 9 बजे तक नॉनस्टॉप दौड़ लगाई थी। अतुल अब तक 25 से अधिक इंटरनेशनल मैराथन प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं। 
अतुल ने बताया कि 2015 में मेरे गुरु ने कहा कि तुम्हारे पेट की चर्बी बढ़ गई है। तब मैंने दौड़ लगानी शुरू की। प्रारंभ में दो से तीन 'किमी की दौड़ लगाई और फिर लंबी दौड़ लगाने लगा। वे कहते हैं कि मैं दौड़ को मेडिटेशन के रूप में लेता हूं। अतुल का कहना है कि अब मैं एक उद्देश्य के लिए दौड़ लगा रहा हूं। उनके इस काम में भाई आशीष भी शामिल है।  
 

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