October 8, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

सिविल जज बनी पारूल चौकसे…आगरा आकर दूर करेगी अपनों की यह शिकायत

शिवहरे वाणी नेटवर्क
सागर। 
सागर की पारुल चौकसे ने अपनी दृढ़ता, निश्चय और मेहनत के बल पर सिविल जज बनने का अपना लक्ष्य जीत लिया है। पारुल के लिए यह कामयाबी बहुत खास है, क्योंकि इसके लिए उसने अपने कई मोह-आकर्षणों को त्यागा। और, लक्ष्य हासिल करने के लिए एकचित्त होकर पढ़ाई की। आज पारुल को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, तो उसे अपने पिता डा. प्रमोद चौकसे की कमी बहुत खल रही है जो तीन साल पहले स्वर्गवासी हो गए, जिन्होंने जज बनने के उसके सपने को पंख दिए।
पारूल के सिविल जज बनने की कहानी बहुत रोचक है। बचपन में वह कत्थक डांस करती थी, और परिजनों को लगता था कि वह बहुत अच्छी क्लासिकल डांसर बन सकती है। लेकिन एक स्पर्धा में मंच के सामने बैठी एक महिला निर्णायक (जज) को देखकर पारुल ने जज बनने की ठान ली। हालांकि तब पारूल को यह भी नहीं मालूम था कि कानून क्या होता है और इसमें जज की भूमिका क्या होती है। 
पारूल ने सागर के सेंट जोजेफ कान्वेंट स्कूल से इंटरमीडियेट परीक्षा पास की। तब पिता ने पारुल से पूछा कि आगे भविष्य की कौन सी लाइन चुननी है, तपाक से जवाब मिला-पापा मुझे जज ही बनना है। तब पिता ने उसे पुणे के प्रतिष्ठित भारती विद्यापीठ में एडमिशन लेने की स्वीकृति दे दी। पारूल ने वहं से बीबीए, एलएलबी किया। वह हर साल टॉप करती रही, और एलएलबी की फाइनल परीक्षा में उसे गोल्ड मैडल दिया गया। मैनेजमेंट प्लस लॉ गोल्ड मैडलिस्ट पारुल ने 2018 में इंदौर से एलएलएम कंप्लीट किया और इसके दो महीने बाद ही जुलाई 2018 में नेट जेआरएफ भी क्वालीफाई कर लिया। इस दौरान उसने आर्टिट्रेशन का डिप्लोमा भी किया। 
शिवहरे वाणी से बातचीत में पारूल ने बताया कि पिता ने उसे  मंजिल का रास्ता न दिखाया होता, प्रेरणा न दी होती तो यह सपना कभी साकार नहीं हो पाता। । डा. प्रमोद चौकसे क्रिमिनोलॉजी के प्रोफेसर रहे थे, बाद में सागर कैंटोनमेंट बोर्ड में दस साल पार्षद रहे और वह अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय शख्सियत थे। वर्ष 2016 में उनका निधन हो गया, तब से दिन-रात सोते-जागते पारुल के जेहन में यही बात थी कि उसे सिविल जज बनना है। यहां तक कि सिविल जज परीक्षा की तैयारी के चलते पिछले तीन सालों से अपने किसी रिश्तेदार और पारिवारिक मित्र के विवाह या अन्य समारोह मे नहीं गई। रिश्तेदारों में इसे लेकर उससे खासी नाराजगी रहती है, उनकी शिकायत रहती है कि पारूल बहुत घमंडी हो गई है। अब पारुल की इच्छा है कि जज की कुर्सी पर बैठने से पहले वह अपने सभी रिश्तेदारों और मित्रों से मिले, और उनकी शिकायत दूर करे। वह आगरा भी जाएगी जहां अपने मामा श्री दयाशंकर शिवहरे (पूर्व अध्यक्ष, मंदिर श्री राधाकृष्ण प्रबंध समिति) और मौसाजी एडवोकेट श्री सियाराम शिवहरे से मिलकर उनका आशीष लेगी। 
पारूल की मम्मी श्रीमती मीना चौकसे वर्तमान में पार्षद हैं, छोटा भाई प्रतीक चौकसे बीबीए की पढ़ाई कर रहा है। पारूल अपनी सफलता में मां मीना चौकसे का विशेष योगदान मानती है, जिन्होंने पिता के निधन के बाद उसकी पढ़ाई को डिस्टर्ब नहीं होने दिया।  पारूल का यह दूसरा अटेंप्ट था। इससे पहले 2018 में वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गई थी। पारुल का कहना है कि पहली बार इंटरव्यू फेस करते समय नर्वसनेस का शिकार हो गई। पैनल ने केवल आठ मिनट का इंटरव्यू लिया था। लेकिन इस बार पारुल ने इंटरव्यू की विशेष तैयारी की। इंदौर में मॉक इंटरव्यू फेस कर खुद को तैयार किया और आत्मविश्वास से लबरेज होकर इंटरव्यू पैनल को फेस किया। पैनल ने इस बार उससे 26 मिनट बात की।
पारुल का कहना है कि अब जज के रूप में पूरी निष्पक्षता के साथ अपनी जिम्मेदारी पूरा करेगा। उसने कहा कि 2016 में पिताजी के जाने के बाद मेरे लिए सोशल कांट्रीब्यूशन बहुत मायने रखने लगा है। मैं भी चाहती हूं कि मुझे समाज में वैसी ही प्रतिष्ठा और सम्मान मिले जैसी मेरे पापाजी ने अर्जित की।

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