शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
विज्ञान के मौजूदा युग में यह समझ पाना कठिन है कि चंद्र नाम का कोई देव और चंद्र ग्रह कैसे हो सकता है? जबकि विज्ञान में यह पृथ्वी ग्रह का एक ठोस उपग्रह है जिस पर मानव ने कदम रख दिए हैं और भविष्य में यहां इंसानों की बस्ती बसाई जा सकेगी। इस सपने को साकार करने निकले हमारे चंद्रयान-2 मिशन का विक्रम लैंडर चंद्रमा की ऊबड़-खाबड़ सतह पर धड़ाम से गिरकर पलट गया है। ऐसे में कुछ लोगों का यह सवाल वाजिब लगता है कि जब चंद्रमा को लेकर सारे रहस्यों के पर्दा उठ जाएगा और वहां इंसान रहने लगेगा, तब भी क्या हमारे यहां चंद्रमा को देखकर व्रत खोले जाएंगे, उसकी पूजा की जाएगी, उस पर अर्ध्य चढ़ाया जाएगा। आइये शरद पूर्णिमा पर यही चर्चा करते हैं।
चंद्रमाः देवता के रूप में
हिंदू धर्म में चंद्र देव और चंद्र ग्रह, दो अलग-अलग सत्ता हैं। वेद और पुराणों में इस बारे में कई उल्लेख और कहानियां हैं। पुराणों के अनुसार देवों और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनमें से एक चंद्रमा भी था जिसे भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था। चूंकि चंद्रमा की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, इसीलिए इसे मां लक्ष्मी और कुबेर का भाई भी माना गया। प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की 27 पुत्रियों से हुआ जिन्हें 27 नक्षत्रों के रूप में भी जाना जाता है जैसे अश्विनी, रोहिणी, कृत्तिका, भरणी आदि। चंद्रदेव को पत्नी रोहिणी से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिनका नाम बुध है। चंद्र ही सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत, पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों को तृप्त करते हैं, उनको शक्ति प्रदान करते है। चंद्रमा को जल तत्व का देवता माना गया है। अब इसे संयोग कहें या हिंदू मान्यता का वैज्ञानिक आधार, कि चंद्रमा पर जल-बर्फ की खोज की जा चुकी है, यानी चंद्रमा पर पानी होने की पुष्टि दुनियाभर के अंतरिक्ष अभियानों में हुई है।
चंद्रमाः ज्योतिष में ग्रह के रूप में
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को एक महत्पूर्ण ग्रह माना गया है जो सुख और शांति प्रदान करने की क्षमता रखता है। कुंडली में लग्न शरीर है तो चंद्र उसका मन है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बायीं आंख, छाती आदि का कारक होता है। विवाह मिलान में चंद्र की स्थिति निर्णायक होती है। और, वैवाहिक सुख भी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति से निर्धारित होता है।
शरद पूर्णिमा और चंद्रमा
शरद ऋतु का त्योहार शरद पूर्णिमा चांद के बिना अधूरा है। कहा जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी में रखी गई खीर अमृत समान हो जाती है क्योंकि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है। मान्यता है कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाकर कामदेव की सुदंरता का घमंड चूर-चूर कर दिया था महारास अलौकिक प्रेम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
चांद से मांगें चंद्रयान की कामयाबी
कुल मिलाकर चांद को लेकर हो रही वैज्ञानिक खोजों और रहस्योद्घाटन से हिंदू मान्यताओं के किसी विरोध की गुंजायश नजर नहीं आती है। क्योंकि, पृथ्वी के आकाश पर चांद की चमक, सौंदर्य और चांदनी पर तो इसका कोई प्रभाव पड़ने वाला है नहीं। हिंदू धर्मावलंबियों के लिए इतना ही महत्वपूर्ण है। 13 अक्टूबर को देश भर में शरद पूर्णिमा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। आगरा में लोहामंडी स्थित शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री राधाकृष्ण में हर साल की तरह इस बार भी शरद पूर्णिमा पर रात्रि दस बजे से विेशेष आयोजन किया जा रहा है। अर्धरात्रि को प्रसाद के रूप में खीर का वितरण होगा । दूधिया चांदनी में लोग पूजा अर्चना करेंगे। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। तो क्यों न हम सभी शरद पूर्णिमा के चंद्रमा से कामना करें कि वह हमारे विक्रम लैंडर को नया जीवन प्रदान करे, कुछ ऐसा चमत्कार करें कि लैंडर से इसरो के कट्रोल रूम को सिग्नल मिलने लगें, और इस तरह चंद्रयान-2 अपने मिशन पूर्ण सफलता प्राप्त करे।
समाचार
आज शरद पूर्णिमा का चमकता चांद… हिंदू धर्म और चंद्रयान
- by admin
- October 29, 2016
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