शिवहरे वाणी नेटवर्क
बूंदी।
रणथंभौर अभ्यारण्य में स्वछंद विचरण करने वाले बाघों को एक और रहनुमा मिल गया है। शिवानी सुवालका नाम है उसका, जो आर्टशीट और कपड़े पर जलरंगों से बाघों की खूबसूरती को उकेरती है और उन्हे बचाने का संदेश जन-जन तक पहुंचा रही है। वन्यजीवों से शिवानी का प्रेम ही है, जो उनकी तूलिका बेजुबान जीवों को रंगों को इतनी सजीवता से उकेरती है कि देखने वाले, बस ठिठक कर देखते ही रह जाएं।
राजस्थान के बूंदी जिले में हिंडौली कस्बे के रीयल एस्टेट कारोबारी मुकेश सुवालका की होनहार पुत्री शिवानी का हुनर अब शोहरत पाने लगा है। बूंदी और हिंडौली में उनके बनाए चित्रों की कई एग्बीशन लग चुकी है। इसी साल 3 मार्च को वन्यजीव दिवस के अवसर पर वन्यजीव विभाग ने शिवानी को नगद धनराशि और सम्मान पत्र से सम्मानित किया। बूंदी की कलक्टर रुक्मणी रीयार भी शिवानी के हुनर को सम्मानित कर चुकी हैं।
खास बात यह है कि चित्रकला कभी भी शिवानी के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं रही। अंग्रेजी से एमए कर चुकी शिवानी का चित्रकला के प्रति रुझान और वन्यजीवों से प्रेम उन्हें इस क्षेत्र में ले आया है। करीब दो साल पहले उन्हें बूंदी के जानेमाने चित्रकार पप्पूलाल कुमावत से ड्राइंग पेंटिंग की ट्रेनिंग ली।
शिवानी की अदभुत प्रतिभा कुमावत का साथ पाकर औऱ निखर गई। शिवानी की ज्यादातर पेंटिंग्स वाटर कलर मे है, जो ड्राइंगशीट या कपड़े पर तैयार की गई हैं, एक्रेलिक कलर का इस्तेमाल केनवास पर करती हैं। शिवहरेवाणी से बातचीत में शिवानी ने बताया कि उन्हें वाटर कलर ज्यादा पसंद हैं क्योंकि इससे सजीवता बनी रहती है।
शिवानी वैसे को कंप्टीशन्स की तैयारी भी कर रही हैं, ऐसे में पढ़ाई से वक्त चुराकर चित्रकारी के अपने शौक को पूरा करती हैं हालांकि वह यह भी कहती हैं कि आजीविका के लिए चित्रकारी भी एक अच्छा क्षेत्र है और यह पैसे के साथ शोहरत और सम्मान भी दिला सकता है।
बकौल शिवानी, बचपन में अक्सर रणथंभौर अभ्यारण्य में बाघों की मौत की खबरें अखबारों में छपती थीं, इंसानो के दखल ने बाघों के जीवन को खतरे में डाल दिया। ऐसी खबरों ने उन्हें विचलित कर दिया और तभी से बाघो के संरक्षण के लिए कुछ करने की ठान ली थी। आज शिवानी को खुशी होती है कि रणथंभौर अभ्यारण्य में बाघों की संख्या बढ़ी है। बाघ ही नहीं, शिवानी ने बंदर, लंगूर, हाथी और घोड़े के चित्रों को बखूबी उकेरा है। शिवानी की योजना अब बड़े शहरों में अपने चित्रों की एग्जीबिशन लगाने की है।
शिवानी के पिता मुकेश सुवालका और मम्मी अपनी बिटिया के हुनर पर नाज करते हैं, और उसे निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। शिवानी की एक बड़ी बहन है जो कोटा में अपने पति वैभव सुवालका के साथ रहती है जो बैंकऑफ बड़ौदा में प्रबंधक पद पर कार्यरत है। भाई शिवांश सुवालका मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी कर रहा है।
Leave feedback about this