शिवहरे वाणी नेटवर्क
बूंदी।
शिक्षा के क्षेत्र में कलचुरी समाज की लड़कियों और महिलाओं के बढ़ते कदम समाज के सुनहरे भविष्य की तस्वीर का खाका खींचते से लगते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा संचालित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) के हाल में घोषित परिणाम इस बात की तस्दीक है। रीना जायसवाल, ज्योति जायसवाल, शालिनी जायसवाल..और भी कई नाम हैं, जिनके संघर्ष और शानदार कामयाबी के बारे मे हम आपको अवगत कराएंगे।
आज बात करेंगे राजस्थान के बूंदी में रहने वाली रीना जायसवाल की। रीना ने साबित किया है, कि कामयाबी के लिए ट्यूशन या कोचिंग जरूरी नहीं है, संसाधनों के संकट में संकल्प की ताकत मंजिल पर पहुंचाती है। पिता विजय जायसवाल सड़क ठेकेदारों के यहां दिहाड़ी पर पत्थर तोड़ते हैं, घर में हौसले तोड़ देने वाली घोर गरीबी…फिर भी रीना ने सपना देखा प्रोफेसर बनने का। और अंततः, भूगोल विषय से नेट परीक्षा उत्तीर्ण कर असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए क्वालीफाई कर लिया है। हालांकि डिग्री कालेज में लेक्चरर बनने के लिए उसे जेआरएफ या पीएचडी करना होगी।
बूंदी के महावीर नगर में रहने वाली रीना अपनी सफलता का श्रेय पिता विजय जायसवाल और मां सावित्री देवी को देती है जिन्होंने मुश्किल हालात में भी उसकी पढ़ाई पर आंच नहीं आने दी। रीना पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रही। पढ़ाई मे बेटी का रुझान देख पिता को अहसास हो गया कि शिक्षा के रूप में हालात से लड़ने का एक मजबूत हथियार रीना के पास है, जरूरत इसे और धार देने की है। रीना ने भी गरीबी के जंजाल से परिवार को मुक्त कराने इरादा कर लिया था, जिसे उसकी बहन सरोज व छोटे भाई मुकेश ने और ताकत दी। बहन सरोज ट्यूशन करते कुछ पैसे कमाती और उसे रीना की पढ़ाई में खर्च कर देती थी। आज कामयाबी मिलने के बाद ये सब यादें रीना ने भावुक कर देती हैं। अपने अनुभव को साझा करते हुए कहती हैं कि बेटियों को
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