शिवहरे वाणी नेटवर्क
ग्वालियर।
यूं तो साड़ी को भारतीय महिलाओं का एक संपूर्ण पहनावा माना जाता है। यही नहीं, साड़ी भारतीयता का एक मजबूत प्रतीक है जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोती है। इसके बावजूद, शहरों में महिलाएं इस आकर्षक पहनावे से विमुख हो रही हैं..क्यों? यह ‘पश्चिम की हवा’ है या पसंद और कम्फर्ट का मामला? जो भी हो…ग्वालियर की रिचा शिवहरे ने एक अनोखी पहल की है। रिचा ने #sareenotsorry (#साड़ी नॉट सॉरी) के नाम से एक ग्रुप बनाया है जो महिलाओं में साड़ी की गरिमा का अहसास कराने और उसके प्रति दिलचस्पी जगाने के लिए रोचक प्रयास कर रहा है।
बीती 15 फरवरी को इस ग्रुप की महिलाओं ने कैलेंडर-2020 लांच किया है, जिसमें साल के 12 महीनों में अलग-अलग सीजन के हिसाब से 12 अलग-अलग तरह की साड़ियों और उसे पहनने के अलग-अलग तरीके दर्शाए हैं। इसके लिए ग्वालियर फोर्ट, कटोराताल, छतरी जैसी ऐतिहासिक धरोहरों पर ग्रुप की महिलाओं ने मॉडलिंग की। फोटोशूट इस तरह कराए हैं कि साड़ी की खूबसूरती, गरिमा और ग्लैमर उभरकर सामने आए हैं। होटल रेडिसन में हुए इस कैलेंडर लांच में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया, विशिष्ट अतिथि पूर्व महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता एवं श्रीमती नेहा शर्मा (प्रिंसिपल डीपीएस) ने इस प्रयास को जमकर सराहा।
पूर्व आईएएस अधिकारी अशोक शिवहरे की पुत्रवधु रिचा शिवहरे ने शिवहरेवाणी से बातचीत में कहा कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक छोटा सा आइडिया इतना बड़ा रूप ले लेगा। रिचा कहती हैं कि नारी सशक्तीकरण के इस दौर में हर स्त्री को अधिकार है कि वह अपनी सुविधा और पसंद के आधार पर अपना पहनावा चुने। लेकिन, जब कोई कहता है कि ‘साड़ी बांधने में उसे दिक्कत होती है, इसलिए इसे पहनती नहीं है’…तो, खटकता है।
एमबीए (एचआर एंड मार्केटिंग) रिचा शिवहरे के मुताबिक, ‘मैं खुद हर प्रकार के परिधान पहनती हूं। लेकिन, अक्सर साड़ी ही पहनती हूं। मेरी कुछ फ्रेंड्स का कहना था कि उन्हें साड़ी पहनने में दिक्कत होती है…तो मुझे लगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि मेरा मानना है कि हर भारतीय महिला को साड़ी पहनना आना ही चाहिए। इसकी एक वजह यह भी है कि कई मौकों पर भारतीय महिलाओं के लिए साड़ी का कोई विकल्प नहीं होता। यही सोचकर बीते वर्ष जुलाई में मैंने #sareenotsorry कैंपेन फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिये शुरू की। पहले दो दिन के अंदर 30 महिलाएं इस ग्रुप से जुड़ गईं और आज 80 से अधिक महिलाएं हैं।’
जबलपुर के प्रतिष्ठित संदरिया ग्रुप ऑफ होटल्स एंड मॉल्स के चेयरमैन श्री प्रदीप चौकसे और श्रीमती अर्चना शिवहरे की पुत्री रिचा शिवहरे ने बताया कि #sareenotsorry ग्रुप का कोई प्रोटोकॉल नहीं है, इसकी सभी सदस्यों का पद और प्रतिष्ठा समान हैं। हम अपने खर्चे पर इवेंट करते हैं, जिसमें भाग लेने वाले सभी सदस्य बराबर का आर्थिक योगदान करती हैं। अब तक दस से अधिक जगह इवेंट कर चुके हैं जिनमें हम महिलाओं को साडिय़ों की वैरायटी, पहनने के अलग-अलग तरीके बताते हैं। ग्रुप की महिलाएं साड़ी पहनकर मॉडलिंग करती हैं। इनमें कई घरेलू महिलाएं हैं जिन्होंने पहले कभी रैंप वॉक नहीं किया, आज रैंप पर उनका आत्मविश्वास देखते ही बनता है।
रिचा ने शिवहरे वाणी को बताया कि उनके ग्रुप से स्कूल-कॉलेजों की ऐसी छात्राएं भी जुड़ रही हैं जिन्होंने कभी साड़ी नहीं पहनी। अब वे हमारे इवेंट्स में अपनी मम्मी या दादी की साड़ी पहनकर आती हैं तो उनके परिवार के लोग भी खुश होते हैं। रिचा कहती है कि साड़ी एकमात्र ऐसा परिधान है जिसने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। जिसेल बंडशन, पेरिस हिल्टन, किम कार्दिशां, निकोल शेर्जिगर, कार्मिट बैचर, मेलोडी थॉर्नटन, जेसिका स्यूटा, एश्ले रॉबर्ट्स और किम्बरले व्याट जैसी हॉलीवुड सुंदरियों तक ऑस्कर और ग्रैमी अवार्ड्स के रेड कारपेट पर साड़ी पहनी है। फिर भी.. साड़ी भारतीय महिलाओं पर सबसे ज्यादा फब्ती है, उन्हें पूर्णता प्रदान करती है।
रियल एस्टेट व्यवसायी वैभव शिवहरे की पत्नी रिचा शिवहरे एनजीओ के साथ मिलकर मूक-बधिर बच्चों के लिए काम काम कर रही हैं। इसके अलावा वह साल में एक बार साड़ियों की एग्जीबिशन भी लगाती हैं। इसके लिए हैंडलूम्स से साड़ियां खरीदती हैं और वाजिब रेट्स पर उपलब्ध कराती हैं। आठ साल के बेटे विराज और घर को संभालने के साथ वह इतना कुछ कर पाती हैं तो इसके लिए अपने सास-ससुर का खास आभार मानती हैं, जो उन्हें बेटी की तरह प्यार करते हैं और हर कदम पर सहयोग देते हैं।
Leave feedback about this