शिवहरेवाणी नेटवर्क
पटना।
लॉकडाउन खुलना शुरू हो गया है। यह अलग बात है कि कोविड-19 का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। शिवहरेवाणी ऐसे कई कोरोना योद्धाओं का जिक्र कर चुकी है जिन्होंने अभूतपूर्व बंदी के इस दौरान में जरूरतमंदों की अपनी-अपनी तरह से सहायता की। अब हम बात करेंगे उन लोगों की जो संकट के इस दौर में लीडर के रूप में सामने आए और एक आपदा को सही मायने में अवसर में तब्दील कर दिया।
पहली कड़ी में हम बात कर रहे हैं बिहार की सिंहवाहिनी पंचायत की सरपंच श्रीमती रितु जायसवाल की। सिंहवाहिनी पंचायत में आने वाले सात गांवों-नरकटिया, खुथा, कहरवा, बड़ी सिहवाहिनी, छोटी सिंहवाहिनी, भगवानपुर और जानकीनगर- की मुखिया के तौर पर रितु जायसवाल ने लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 को लेकर जागरूकता की अलख जगाई, साथ ही इन गांवों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर उनके परिवारों को भुखमरी के कगार पर पहुंचने से बचाया।
लॉकडाउन के इन दो महीनों में सिंहवाहिनी पंचायत क्षेत्र के सातों गांव मास्क और फिनाइल के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गए है जहां कई कुटीर इकाइयां इस काम में लगी हैं। इन कुटीर इकाइयों की वजह से आर्थिक तालाबंदी के इस दौर में भी इन महिलाओं के हाथ में अच्छी खासी कमाई आ रही है जिससे उनके परिवार का खर्च चल रहा है।
आइएएस अफसर अरुण कुमार की पत्नी रितु जायसवाल ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही गांवों के मर्द शहर से बेरोजगार होकर लौटने लगे थे। उनके सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया, वे स्थानीय साहूकारों के ऋणजाल में फंसने लगे। घरों में आएदिन क्लेश होते थे, घरेलू हिंसा के मामले बढ़ने लगे। तब उनके दिमाग में कुछ ऐसा करने का विचार आया, जिससे परिवारों की आय का जरिया भी बने और महिलाओं को सम्मान भी मिले।
रितु जायसवाल ने काफी सोच-विचार के बाद और बाजार की डिमांड को देखते हुए महिलाओं को मास्क और फिनाइल बनाने का काम शुरू करने के लिए प्रेरित किया, साथ ही पैसे और तकनीक से उनकी सहायता भी की। कोशिश रंग लाई और देखते ही देखते पंचायत क्षेत्र में कई कुटीर इकाइयां शुरू हो गईं। रितु जायसवाल ने बताया कि इन महिलाओं के बनाए मास्क बाजार में 20 रुपये प्रति पीस के हिसाब से बेचे गए और सेनेटाइजर के रूप में काम आने वाला फिनाइल 300 रुपये प्रति लीटर बेचा गया। प्योर कॉटन के डबल लेयर वाले मास्क बाजार में हाथों-हाथ बिक रहे हैं। रितु जायसवाल अब इम महिलाओं को मास्क का बल्क आर्डर दिलाने के प्रयास मे हैं।
यही नहीं, सरपंच के नाते शहरों से लौटे पुरुषों औऱ महिलाओं को मनरेगा के अंतर्गत काम भी दिलाया गया। रितु जायसवाल की पहल पर जल्द ही सिंहवाहिनी पंचायत की एक वेबसाइट लांच होने जा रही है जिसमें इस पंचायत क्षेत्र में होने वाले उत्पादों की ब्रांडिंग की जाएगी। रितु ने बताया कि मास्क और फिनाइल ही नहीं, इस पंचायत क्षेत्र में अब घी से लेकर कपूर, तेल, बेसन आदि कई चीजें बनाई और बेची जाएंगी।
रही बात कोरोना के खिलाफ जंग की, तो सिंहवाहिनी के सातों गांवों की दीवारें गवाह हैं कि सरपंच ने इसे कितनी गंभीरता से लिया है। जगह-जगह दीवारों पर जागरूकता संदेश लिखे हुए हैं, मसलन-'गांव में गुटखा थूकने पर रुपये 500 का जुर्माना', 'जब तक रहेगा लॉकडाउन, आप उनका पालन करें' और यहां तक कि 'कोरोना का फुल फार्म कोई भी रोड पर ना निकलें'।
यही नहीं, रितु जायसवाल ने लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों के राशन वितरण पर भी बराबर ध्यान दिया और ख्याल रखा कि कोई परिवार इससे वंचित न रह जाए। जिन लोगों के राशन कार्ड नहीं हैं, उन्हें चिन्हित कर ठेल से उनके घर पर राशन पहुंचाया जा रहा है। साथ ही रितु जायसवाल ने जानकीनगर माध्यमिक विद्यालय को एक आदर्श आइसोलेशन केंद्र भी बनाया है।
मूल रूप से हाजीपुर की रहने वाली रितु जायसवाल 2016 में सिंहवाहिनी की सरपंच बनने तक साउथ दिल्ली के सिरी फोर्ट इलाके में रहती थीं। आइएएस पति अरुण कुमार की जॉब के सिलसिले में वह जबलपुर, नागपुर, मुंबई जैसे शहरों मे भी रहीं। लेकिन, 2016 में सरपंच बनने के बाद से उन्होंने शहरी जीवन जैसे त्याग रखा है। हाजीपुर के वैशाली महिला कालेज से इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट रितु जायसवाल के दो बच्चे हैं, रित्विक (19) और अवनी (16)। रितु के पति अरुन कुमार ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया है और अब पटना में मैग्नस आईएएस नाम से एक कोचिंग इंस्टीट्यूट शुरू किया है। इस इंस्टीट्यूट में पिछड़ी जातियों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। अरुण कुमार को भरोसा है कि रितु जायसवाल ने यदि राजनीति में अपना करियर बनाने की सोची, तो भी जनसेवा ही उनकी प्राथमिकता रहेगी, भले ही वह किसी भी पार्टी में रहें।
समाचार
रितु जायसवाल ने आपदा को अवसर बनाया और महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
- by admin
- October 29, 2016
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- 9 years ago


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