शिवहरे वाणी नेटवर्क
सूरजपुर (छत्तीसगढ़)।
इंडियन आर्मी में शामिल होकर सीधे सीधे राष्ट्र की गरिमा से जुड़ना बड़े गौरव की बात है, और इसमें भी इंडियन एयरफोर्स के युवाओं का क्रेज देखते ही बनता है। आसमान की ऊंचाई पर रोमांच से भरे इस करियर के लिए देशप्रेम का जज्बा होने के साथ ही कठिन परीक्षाओं से गुजरने का जोश और जुनून भी जरूरी है। इसी जज्बे, जोश और जुनून के बल पर सौरभ जायसवाल ने इंडियन एयरफोर्स में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट बनने का अपना सपना पूरा किया है। यही नहीं, छत्तीसगढ़ के सूरजपुर निवासी सौरभ जायसवाल को भारतीय वायुसेना में अधिकारी बनने वाले जिले के पहले युवा बन गए हैं।
सौरभ जायसवाल को बीते दिनों पुणे में हुई कंबाइंड पासिंगआउट परेड में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट बनने का गौरव हासिल हुआ। पासिंग आउट परेड में सौरभ को पहली बार एयरफोर्स की ड्रेस में देखकर वहां मौजूद उनके पिता श्री राकेश जायसवाल और मां श्रीमती ज्योत्सना जायसवाल भावुक हो गए। सौरभ जायसवाल को पहली पोस्टिंग कर्नाटक के बीदर में मिली है।
दवाओं के थोक कारोबारी राकेश जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि सौरभ का रुझान शुरू से ही आर्मी की ओर था। सौरभ की शुरुआती पढ़ाई सूरजपुर के ग्लोबल पब्लिक स्कूल में हुई। सौरभ के मुताबिक, स्कूल प्रिंसिपल श्री केशव शर्मा ने उन्हें बेहतर करियर बनाने के लिए अनुशासन की सीख दी। आठवीं के बाद सौरभ का चयन नवोदय विद्यालय बफदेई में हो गया, जहां उसने कक्षा 9 से कक्षा 12 तक की पढ़ाई की। 2016 में सौरभ ने एनडीए की परीक्षा पास कर ली।
सौरभ जायसवाल की सफलता पूरे सूरजपुर में चर्चा का विषय बन गई है, भारतीय वायुसेना में अधिकारी के रूप में भर्ती होने वाला जिले का वह पहला युवा जो है। माता-पिता के साथ ही दादाजी श्री शिवशंकर जायसवाल (रिटायर्ड प्रिंसिपल गवर्मनेंट हायर सेकेंडरी भइयाथान), दादी श्रीमती सत्यभामा जायसवाल, ताऊजी श्री राजेश जायसवाल और चाचाजी डा. रजनीश जायसवाल को अब तक बधाइयां मिल रही हैं। सौरभ को एयरफोर्स में जाने की प्रेरणा उनके मामा स्क्वाड्रन लीडर डा. जयप्रकाश से मिली जो एयरफोर्स में डेंटर डाक्टर हैं और मूल रूप से झारखंड के गढ़वा के रहने वाले हैं। '
सौरभ के पिता राकेश जायसवाल का कहना है कि मेरे दो पुत्र हैं, सौरभ की इच्छा देशसेवा में जाने की थी सो उसने वायुसेना में अपने करियर को चुना। हमें उस पर गर्व है। छोटा बेटा मेडिकल में जाना चाहता है तो उसका इच्छा का भी सम्मान करते हैं। अभिभावकों को चाहिये कि करियर की पसंद पूरी तरह बच्चों पर छोड़ दें और उनकी सहायता करें।
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