शिवहरेवाणी नेटवर्क
बांदा।
अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे नेता शामिल नहीं होंगे लेकिन राम मंदिर आंदोलन में इनकी भूमिका को कौन भुला सकता है भला। मंदिर का शिलान्यास उन तमाम कार्यकर्ताओं के लिए भी बहुत भावुकता की घड़ी होगी जिन्होंने धार्मिक आस्था के वशीभूत होकर इस आंदोलन में जान की बाजी लगा दी। ऐसे ही एक शख्स हैं बांदा के राजकुमार शिवहरे जो उस समय बजरंग दल के बांदा नगर अध्यक्ष थे और बाद में बांदा से विधायक भी निर्वाचित हुए थे। मंदिर आंदोलन के दौरान भाजपा नेत्री उमा भारती के बांदा जेल से फरार होकर अयोध्या पहुंचने की घटना बहुत चर्चित रही थी और इसकी व्यूह रचना की थी राजकुमार शिवहरे ने। आइये उन्हीं की जुबानी जानते हैं कि क्या था वह बहुचर्चित घटनाक्रमः-
30 अक्टूबर 1990 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कार सेवा के लिए गए कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। लेकिन, कार्यकर्ता इससे डरे नहीं, बल्कि अयोध्या जाकर कार सेवा करने का जोश बढ़ता जा रहा था। अलग-अलग जगहों में अलग-अलग रास्तों से लोग अयोध्या पहुंच रहे थे, जिन्हें सरकार के आदेश पर गिरफ्तार किया जा रहा था। इसी दौरान सांध्वी उमा भारती और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री विजय राजे सिंधिया को चित्रकूट में गिरफ्तार करके बांदा के पीडब्ल्यूडी डाक बंगले में रखा गया था, जिसे अस्थाई जेल का रूप दिया गया था। इनके साथ ही कई हजार कारसेवक गिरफ्तार करके राजकीय इंटर कॉलेज व अन्य स्थानों पर रखे गए थे।
खुली जेल में निरुद्ध उमा भारती 31 अक्टूबर को सवेरे यहां के प्रसिद्ध महेश्वरी देवी मंदिर पहुंची और मंदिर के पास मौजूद कालका नाई को बुलाया और अपने बाल मुंडवाने की बात कही। नाई ने मंदिर परिसर में उनके बाल काट दिए। सिर मुंडवाने के बाद उन्होंने नाई से पूछा कि तुम्हारे बांदा में कोई ऐसा व्यक्ति है, जो मुझे अपनी कार से अयोध्या तक पहुंचा सके। इस पर नाई ने मेरा नाम सुझाया और बताया कि उसके पास नई कार भी है। इस पर उमा ने मुझे मंदिर परिसर में बुलाया।
राजकुमार शिवहरे बताते हैं कि उस समय मैं अपने 10-12 साथियों के साथ मुलायम सिंह यादव का पुतला बनवा रहा था ताकि गोली कांड के विरोध में उनका पुतला दहन किया जा सके। पुलिस मेरी तलाश कर रही थी। जैसे ही हम लोगों ने पुतला दहन किया, वैसे ही मेरे पास संदेशा आया की उमाजी ने तुम्हें महेश्वरी देवी मंदिर में बुलाया है। मैं फौरन मंदिर पहुंचा, जहां मौजूद सुश्री उमा भारती ने मुझसे कहा कि क्या तुम मुझे अयोध्या तक सुरक्षित पहुंचा सकते हो।
मैंने तुरंत हामी भर दी और मारुति वैन अपने घर से मंगवाई, जिसमे ड्राइवर नवल था। उनके साथ जाने से पहले मैंने कहा कि मुझे पुलिस ढूंढ रही है और मैं बाहर निकला तो मुझे गिरफ्तार कर लेगी। इस पर उन्होंने कहा कि तुम मेरे साथ रहो तुम्हें कोई पकड़ेगा नहीं। मैंने वैसा ही किया। उनके साथ मारुति वैन में बैठकर केन नदी पहुंचा। केन नदी के नाव घाट में उन्होंने स्नान किया और कपड़े चेंज करके डाक बंगले वापस आए। डाक बंगले में ही यहां से भागने की योजना तैयार की गई। शाम 5 बजे तक पूरी रणनीति तैयार हो जाने के बाद योजना को अंतिम रूप दिया गया।
रात को लगभग 12 बजे डाक बंगले से भागने की योजना के तहत मैं ड्राइवर को लेकर डाक बंगला पहुंचा। बाहर पुलिस लगी हुई थी। पुलिस को बताया कि हम उमा जी को खाना देने आए है, इसके बाद डाक बंगले के पीछे की तरफ गाड़ी लगा दी गई और बाथरूम से बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे से उमा जी को मारुति वैन में लाया गया और पिछली सीट पर लेटा कर उन्हें कंबल से ढक दिया गया था ताकि किसी को शक न होने पाए। रात को 12 बजे उन्हें लेकर हम लोग डाक बंगले से बाहर निकले और जैजी चैराहे में वहां पहले से मौजूद उनके भाई स्वामी प्रसाद सिंह और विधायक सुरेंद्र प्रताप सिंह को गाड़ी में बैठाया। इसके बाद हम लोग आसानी से बांदा की सीमा से फरार हो गये। एक नवंबर को हम अय़ोध्या पहुंच गए जहां हमने कारसेवा में भाग लिया।
इस घटना के बाद प्रशासन का गुस्सा मेरे परिवार पर टूट पड़ा। उस समय मेरे पिताजी रामसेवक शिवहरे आर एस एस के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उन्हें गिरफ्तार करके चित्रकूट में रखा गया और इधर मेरे भाइयों को भी गिरफ्तार किया गया। घर की कुर्की की गई और मेरे खिलाफ संगीन मामलों में मुकदमा दर्ज हुआ। लेकिन उस समय मेरे अंदर युवा जोश ही था जिसके बदौलत न मैं और न मेरा परिवार पुलिस की प्रताड़ना से जरा भी भयभीत नहीं हुआ।
(मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित)
समाचार
Part1..जब उमा भारती को जेल से भगाकर अयोध्या पहुंचाया राजकुमार शिवहरे ने
- by admin
- October 29, 2016
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- 9 years ago


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