आगरा।
वेटलॉस का दावा करने वाले महंगे डायट्री शेक, सप्लीमेंट्स और मल्टी-विटामिन के इस्तेमाल को लेकर अपनी रिपोर्ट पर शिवहरेवाणी को कई पाठकों की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। कुछ भुक्तभोगियों ने भी फोन कर आप-बीती साझा की है, किसी ने दो लाख गंवा दिए तो किसी ने इससे भी अधिक, लेकिन उनके वजन में कोई खास अंतर नहीं आय़ा, और अब अपने वही पुराने वजन पर आ गए हैं।
आज दूसरी कड़ी में एक ऐसी वेटलॉस कंपनी की बात करेंगे जो मल्टीलेवल मार्केटिंग मॉडल पर काम करती है। अमेरिका बेस्ड यह कंपनी भारत में 1998 से काम कर रही है। शुरू में यह कंपनी मल्टीलेवल मार्केटिंग मॉडल पर केवल अपने प्रोडक्ट बेचती थी। लेकिन गत कुछ सालों में इसने बिजनेस का तरीका बदला है जिससे इसका कारोबार काफी बढ़ गया है। आगरा में ही इसके कई सेंटर खुल चुके हैं जहां नए कस्टमर्स को यह कहकर लाया जाता है कि हम बिजनेस नहीं करते बल्कि लोगों को मोटापे से छुटकारा दिलाकर समाज का भला करते हैं, हम आपको खिलाते हैं दुनिया का सबसे अच्छा भोजन। अपनी मार्केटिंग में उनका जोर हर्बल शब्द पर रहता जो कि कंपनी के नाम में भी शामिल है, हर्बालाइफ नाम है इस कंपनी का।
वर्ष 2016 में अमेरिकी सरकार के संघीय व्यापार आयोग (फेडरल ट्रेड कमीशन) ने हर्बालाइफ पर एक कोर्ट केस किया था जिसमें आरोप लगाया था कि कंपनी लोगों को पैसा कमाने के नाम पर बेवकूफ बनाकर अपने डायट्री शेक, न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट और पर्सनल केयर प्रोडक्ट बेचती हैं। इस केस में हर्बालाइफ को कोर्ट में 200 मिलियन डालर का जुर्माना भरना पड़ा था। तब हर्बालाइफ ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि वह अपने बिजनेस स्ट्रक्चर में मूलभूत परिवर्तन करेगी ताकि यह किसी एमएलएम या पिरामिड स्कीम की तरह न लके। इसके बाद हर्बालाइफ ने नए तरीके से बिजनेस किया। अपने मल्टीलेवल मार्केटिंग नेटवर्क में शामिल लोगों से जगह-जगह सेंटर खुलवाए जहां वजन कम करने के लिए सबसे ज्यादा जोर ‘रिस्ट्रिक्टेड डाइट’ पर रहता है, और बेचे जाते हैं महंगे सप्लीमेंट, शेक जैसे प्रोडक्ट।
खैर, वेटलॉस कंपनियों के प्रोडक्ट की पैकेजिंग देखकर तो लगता है कि बड़ा हैल्दी और न्यूट्रीशस प्रोडक्ट होगा। लेकिन इनके प्रोडक्ट्स की इन्ग्रिडेंट्स लिस्ट को गौर से देखें तो कुछ उत्पादों में चीनी की मात्रा सबसे अधिक दिखाई देती है। इसके कई प्रोडक्ट में लगभग एक चौथाई मात्रा चीनी की होती है। ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि इनके वेट लॉस सप्लीमेंट की वजह से लीवर डैमेज हो सकता है। कुछ मामलों मे लोगों को लीवर ट्रांसप्लांट कराने पड़े तो कुछ जगह पर लोगों की मौत भी हुई है। ऐसी रिपोर्ट भारत सहित कई देशों से मिली है।
इसे लेकर कई साइंटिफिक स्टडी भी की गई, जिनमें एक स्टडी ‘जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल एंड एक्सपेरीमेंटल हेपेटोलॉजी’’ के मार्च 2019 के अंक में प्रकाशित हुई थी। इस रिपोर्ट में वेटलॉस शेक, सप्लीमेंट्स से जुड़े खतरों की ओर स्पष्ट संकेत किया गया और कहा गया कि ये कंपनियां तथ्यात्मक आधार के बिना ही वेटलॉस का दावा करती हैं। जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित एक 24 वर्षीय महिला का केस रिपोर्ट किया गया जो वैसे तो स्वस्थ थी लेकिन थायरॉक्सिन ले रही थी। उसने हर्बालाइफ के दो सप्लीमेंट और इनर्जी ड्रिंक लेने शुरू किए थे। इन सप्लीमेंट्स को शुरू करने के दो महीने बाद, रोगी को एक सप्ताह तक भूख नहीं लगी और उसके बाद पीलिया और खुजली की समस्या हो गई। ब्लड टेस्ट कराने पर मरीज के लीवर की गंभीर स्थिति सामने आई, मरीज को लीवर ट्रांसप्लांट के लिए एक प्रत्यारोपण केंद्र भेजा गया लेकिन ट्रांसप्लांट से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। तब चिकित्सकों ने हर्बालाइफ सप्लीमेंट्स का एनालिसिस करने का निर्णय लिया जिसमें चौंकाने वाली चीजें सामने आईं। इन सप्लीमेंट में हैवी मेटल्स का उच्च स्तर पाया गया, और 75% सैंपल में अनडिस्क्लोज्ड टॉक्सिक कंपाउंड (अज्ञात विषाक्त यौगिक) मिले, जबकि 63% नमूनों में बैक्टीरियल डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड पाया गया। आरएनए विश्लेषण करने पर, हर्बालाइफ़ उत्पादों में बैक्टीरिया की अत्यधिक रोगजनक प्रजातियां (हाइली पैथोजनिक स्पेसीज) भी पाई गईं। हालांकि हर्बालाइफ के लीगल एक्शन के बाद पब्लिशर को यह रिपोर्ट हटानी पड़ी थी। ठीक ऐसी ही एक मौत का मामला हाल ही में आगरा में सामने आया है। काफी समय से हर्बालाइफ के सप्लीमेंट और शेक ले रहे एक 35 साल के युवक को तीन महीने पहले पीलिया हुआ, उसका लीवर बुरी तरह डैमेज हो चुका था जिससे उसकी मौत हो गई। शिवहरेवाणी ने एक माध्यम से मृतक की पत्नी से संपर्क किया तो उन्होंने पुष्टी की कि उनके पति एक साल से अधिक समय से हर्बालाइफ के प्रोडक्ट ले रहे थे।
यहां हम बताना चाहते हैं कि शिवहरेवाणी वेटलॉस सप्लीमेंट्स व अन्य प्रोडक्ट को लेकर जो भी सामग्री प्रकाशित कर रही है, वे मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर पहले से उपलब्ध हैं। शिवहरेवाणी ने अपनी तरफ से कुछ नहीं लिखा, बल्कि इन रिपोर्टों को संकलित कर प्रस्तुत किया है। हम अपनी ओर से वेटलॉस कंपनियों के किसी दावे को खारिज नहीं करते, ना ही ऐसा दावा करते हैं कि ये प्रोडेक्ट पूरी तरह सुरक्षित हैं। बल्कि हमारा मकसद इनके प्रयोग के जोखिमों से आपको आगाह करना है जिनके बारे में इन कंपनियों के नेटवर्क में शामिल लोग आपको कभी नहीं बताएंगे, और बहुत संभव है कि उन्हें इसकी जानकारी ही न हो। कुछ लोग इन कंपनियों के प्रोडक्ट को मेडिकल ड्रग मान बैठते हैं जबकि मेडिकल ड्रग और डायट्री सप्लीमेंट में बहुत अंतर होता है। मेडिकल ड्रग को कई ट्रायल और रेगुलेटरी जांचों से गुजरना होता है, जबकि डायट्री सप्लीमेंट के लिए कोई ज्यादा नियम नहीं होते। डायट्री सप्लीमेंट बनाने वाली कंपनियां अक्सर खुद रिसर्च करती है औऱ अपनी स्टडी को दिखाकर बड़े-बड़े दावे करती हैं। इनकी स्टडीज का सैंपल साइज भी बहुत कम होता है और ये स्टडीज ज्यादा साइंटिफिक तरीके से भी नहीं की जाती हैं।
हम बस इतना कहना चाहते हैं कि बीएमआई (बॉडी-मास इंडेक्स) जांच को हैल्थ चेकअप कहने वाले ‘नीम-हकीमों’ की बातों में न आएं। देखें कि ऐसी वेटलॉस कंपनियों के सेंटरों पर किसी बड़े भारी वेटलॉस स्पेशलिस्ट की तरह पेश आने वाले सेंटर इंचार्ज की मेडिकल बैकग्राउंड क्या है, चिकित्सा विज्ञान को लेकर उनके अध्ययन और जानकारी का स्तर क्या है, क्या वे मेटाबॉलिज्म को साइंटिफिकली डिफाइन कर सकते हैं, या सामान्य ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट का ठीक से आकलन भी कर पाते हैं?
और सबसे बड़ी बात यह कि यदि अपना वजन कम करने की आपकी इच्छा इतनी प्रबल है कि इसके लिए एक-दो रोटी और कुछ सलाद पर पूरा दिन गुजार सकते हैं, तो अपने त्याग, दृढ़ता और अंतर्मन की इस शक्ति का लाभ और श्रेय आप खुद लीजिये। वेटलॉस में जो सपोर्ट ये महंगे सप्लीमेंट्स औऱ शेक करते हैं या करते होंगे, उससे कहीं अच्छा, विश्वसनीय और किफायती सपोर्ट आपका चिकित्सक (ऐलोपैथिक, होम्योपैथिक या आयुर्वेदिक) और डाइटीशियन कर सकता है। उनकी निगरानी में आप अपने वेटलॉस टारगेट को कहीं बेहतर, सेफ व हैल्दी तरीके से प्राप्त कर सकते हैं। वैसे भी हम सलाह देंगे कि किसी भी वेटलॉस कंपनी के सप्लीमेंट या अन्य प्रोडक्ट्स का उपयोग करने से पहले एक बार अपने विश्वसनीय चिकित्सक से राय अवश्य ले लें।
आगे की कड़ियों में हम आपको वेटलॉस की साइंस बताएंगे। हम ऐसे लोगों से भी मिले हैं जिन्होंने अपने घर में सामान्य डाइटिंग और एक्सरसाइज से महज पांच महीने के अंदर 20 किलो वजन कम किया, उनसे भी मिलवाएंगे।
हमसे जुड़े रहिये….पढ़ते रहिये शिवहरेवाणी।
(इंटरनेट पर उपलब्ध प्रमाणिक सामग्री पर आधारित)
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