‘आपकी जितनी भी कमाई है, उसमें से 25 फीसदी हिस्से के छोड़कर ही अपनी बजटिंग कीजिए। दूसरे शब्दों में, व्यक्ति को अपनी कमाई के 75 फीसदी हिस्से को ही खर्च करना चाहिए। शेष 25 फीसदी आय जो आपकी बचत है, वह भविष्य की आकस्मिक स्थितियों का सामना करने के काम आएगी।’
दीपावली के अवसर पर यह लक्ष्मी मंत्र दिया है जाने-माने समाजसेवी एवं शिक्षाविद श्री जयनारायण चौकसे ने। एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार-पत्र ने एक विशेष कॉलम में एलएनसीटी ग्रुप के चेयरमैन श्री जयनारायण चौकसे की सफलता के सूत्र प्रकाशित किए हैं, जिन्हें ‘लक्ष्मी-मंत्र’ कहा गया। यह विशेष कॉलम प्रकाशित होने के बाद शिवहरेवाणी ने भी श्री चौकसे से इस संबंध में बात की, जिसके आधार पर यह आलेख तैयार किया है।
पहला लक्ष्मी-मंत्रः आय की 25 फीसदी बचाएं
अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयनारायण चौकसे ने अपना पहला लक्ष्मी-मंत्र बताया कि व्यक्ति को अपनी कमाई का 25 प्रतिशत पैसा बचाने पर जोर देना चाहिए। इसके लिए बजटिंग कौशल का होना बहुत जरूरी है। हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए कि अपनी कमाई के 75 फीसदी पैसे से अपने जरूरी काम निपटाए। अनावश्यक खर्च बिल्कुल न करें।
दूसरा लक्ष्मी-मंत्रः संस्था का पैसा संस्था में लगाएं
श्री चौकसे ने बताया कि उन्होंने कभी अपने संस्थान (ऑर्गेनाइजेशन) का टपैसा अपनी व्यक्तिगत या पारिवारिक जरूरतों पर खर्च नहीं किया। वह दशकों से पूरी सख्ती के साथ इस नियम का अनुपालन करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने 180 सीटों का अपना पहला कालेज खोला था, तभी से इस नियम की गांठ बांध ली थी। उस पहले साल कॉलेज में फीस के रूप मे जो भी धनराशि कलेक्ट हुई थी, उस पूरे अमाउंड की उन्होंने एफडी करा दी। फिर टैक्स और दूसरे अन्य खर्च निकालने के बाद जितना भी पैसा बचा, उसे कालेज के डेवलमेंट में खर्च किया। अब उनके 40 कॉलेज हैं, लेकिन आज भी हर कॉलेज में इसी नियम को फॉलो किया जाता है।
तीसरा लक्ष्मी-मंत्रः पॉजिटिविटी से मिलती है कामयाबी
‘पॉजीटिविटी’ श्री चौकसे का तीसरा ‘लक्ष्मी मंत्र’ है। श्री चौकसे का कहना है कि विपरीत हालात में हताश होने के बजाय लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास और तेज कर देने चाहिए, और यह तभी हो सकता है जब आपका माइंडसेट पॉजीटिविटी से लबरेज हो। वह अपनी कामयाबी में भी पॉजीटिविटी की भूमिका मानते हैं। उन्होंने बताया कि जब उनके 10-12 इंजीनियरिंग कालेज खुल गए, तो उन्होंने मेडिकल कालेज खोलने पर भी विचार किया। तब नियमानुसार, मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए हॉस्पिटल चलाने का 2 साल का अनुभव अनिवार्य था। श्री चौकसे ने बताया कि उन्होंने कोलार की जमीन पर एक छोटी सी कालोनी डाली, और साथ ही 100 बेड का एक अस्पताल भी खोल दिया। दो साल अस्पताल चलाने के बाद उन्होंने मेडिकल कालेज खोलने के लिए आवेदन दिया जिस पर एमसीआई की टीम निरीक्षण के लिए पहुंची। एक नहीं, दो बार उनका आवेदन टीम-इंस्पेक्शन के बाद निरस्त हुआ। अब मेरी किस्मत ही कहेंगे कि उसी साल सरकार बदली और नए मुख्यमंत्री ने फिर इंस्पेक्शन कराने का निर्णय किया, और इस बार इंस्पेक्शन टीम ने प्रपोजल ओके कर दिया और मेडिकल कालेज उसी साल खुला, जिस साल खोलने का मैंने सोचा हुआ था।
कामयाबी का सफर
श्री चौकसे ने बैंक की नौकरी से अपने जीवन की शुरूआत की थी। पहली पोस्टिंग 1974 में भोपाल में हुई थी। वह भोपाल में ही घर बनाना चाहते थे लेकिन पता चला कि बैंक से घर बनाने के लिए लोन मिलना आसान नहीं है। तब उन्होंने एसबीआई हाउसिंग स्टाफ सोसायटी बनाई और इसके नाम पर सभी ने मिलकर लोन ले लिया। फिर एक जमीन खरीदी गई, रजिस्ट्री कराई लेकिन इसी दौरान भोपाल में गैस त्रासदी हो गई। सरकार ने उनकी जमीन गैस-पीड़ितों को देने के लिए कह दिया। श्री चौकसे ने बताया कि वह रजिस्ट्री करा चुके थे, लिहाजा सरकार के निर्णय के खिलाफ कोर्ट चले गए। उनके बाकी सभी साथी पीछे हट गए। लेकिन कोर्ट ने अंततः उनके पक्ष में फैसला सुना दिया। इसके बाद श्री चौकसे ने ही सभी 200 प्लॉट बेचे जिसने उन्हें लखपति बना दिया। इसके बाद ही वह एजुकेशन सेक्टर में उतरे और उनके पास 3 यूनीवर्सिटी और 40 कालेज हैं।
(दैनिक भास्कर में प्रकाशित कॉलम और व्यक्तिगत बातचीत पर आधारित)
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