पहले ‘कलचुरी’ लिखकर कलार, कलाल, कलवार लिखें, तभी मिलेगा सही आंकड़ाः अर्चना जायसवाल
आगे की कार्यवाही तय करने के लिए आगामी दिनों में इंदौर या भोपाल में होगी एक बड़ी बैठक
इंदौर।
देश में लगभग सौ साल बाद जातिगत ज/नगणना का मौका आने वाला है। हमारे कलचुरी (कलाल, कलार, कलवार) समाज लिए भी यह सुनहरा अवसर है जब अपने तमाम वर्गों-उपवर्गों और उपनामों को एक पहचान देकर अपनी सटीक गणना कराएं ताकि समाज को वाजिब हिस्सेदारी और लाभ मिल सके।
बीते रोज इंदौर में हुई इस विषय पर हुई एक चिंतन-बैठक में अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एलं एलएनसीटी ग्रुप के चेयरमैन श्री जयनारायण चौकसे ने सुझाव रखा कि हम सभी को जनगणना में अपना नाम दर्ज कराते हुए जाति के कॉलम सबसे पहले ‘कलचुरी’ शब्द लिखें, और उसके बाद ‘कलार, कलाल या कलवार’ (जिस भी वर्ग से आप हैं) लिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे देश में सुदूर उत्तरी छोर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से पश्चिमी छोर तक सैकड़ों वर्गों-उपवर्गों और उपनामों वाले ‘कलाल, कलार, कलवार’ समाज की एक पहचान के साथ सटीक गणना सामने आ सकेगी। उनका कहना था कि यदि हमने ऐसा कर लिया तो राजनीति से लेकर शिक्षा-रोजगार तक में हमारे लिए वाजिब भागीदारी के रास्ते खुल जाएंगे। बैठक की अध्यक्षता कर रही राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ की संयोजिका श्रीमती अर्चना जायसवाल समेत सभी उपस्थित समाजबंधुओं और संगठन प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया। तय किया गया कि इसे लेकर आगे की कार्यवाही तय करने के लिए आगामी दिनों में एक बड़ी बैठक इंदौर या भोपाल में आयोजित की जाएगी।
बता दें कि देश में लगभग सौ साल बाद पहली बार जातिगत जनगणना का मौका आया है। 1931 में अंग्रेजी हुकूमत ने देश में जातिगत जनगणना कराई थी और बाद में उसी के आधार पर दलित (एससी) व जनजाति (एसटी), और बाद में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए भी आरक्षण की सीमा निर्धारित की गई थी। लेकिन, अब तक के किसी भी राष्ट्रीय जनगणना कार्यक्रम में ‘कलार, कलाल, कलवार’ समाज की सटीक गणना ‘एक पहचान’ और उचित ‘जातिय वर्गीकरण’ न होने के चलते सामने नहीं आ सकी है। हाल ही में बिहार के जनगणना कार्यक्रम में भी ‘कलार, कलाल, कलवार’ को बनिया जाति के साथ एक कोड में रखा गया था। केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के लिए जातियों के वर्गीकरण, उसके तौर-तरीकों और संरचना जैसे जटिल विषयों पर नीति अभी तय होनी है, लेकिन जातिगत जनगणना को लेकर कलाल, कलार, कलवार समाज के अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ता जिस तरह जागरूकता प्रदर्शित कर रहे हैं, उससे उम्मीद बंधती है कि इस जनगणना में समाज की सटीक गणना सामने आ ही जाएगी।
कीबे कंपाउंड स्थित राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ कार्यालय पर हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती अर्चना जायसवाल ने कहा कि कलचुरी वंश के आराध्य राजराजेश्वर भगवान श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन के वंशज कलचुरी समाजबंधु संपूर्ण भारत मे, और बाहर भी कई देशों में फैला हुए हैं। अब जातिगत जनगणना में यदि हमने जाति के कॉलम में पहले ‘कलचुरी’ लिखकर उसके बाद कलार, कलाल, कलवार लिखा, तो हमारी संख्या सही आंकड़ा सामने आ सकेगा।
अखिल भारती जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक जायसवाल (एसएमटी) ने भी इस बात से इत्तेफाक रखते हुए कहा कि हम सभी को मिलकर इस दिशा में लोगों को जागरूक करने का प्रयास करने चाहिए। वरिष्ठ समाजसेवी एवं अधघिवक्ता श्री शंकरलाल राय (भोपाल) ने समाज का इतिहास बताते हुए कहा कि ‘कलचुरि’ एक सामाजिक शब्द है, और संपूर्ण भारत में अनेक वर्गों की सहमति इस पर बन रही है।
बैठक का समापन इस नोट के साथ हुआ, कि हमारे समाज के सभी वर्ग सम्मानीय हैं मगर हमें जड़ पर जाना होगा। जड़ है कलचुरी वंश, बाकी सब उसकी शाखाएं हैं। समाज के सभी वर्गों को इस पर मंथन-अध्ययन कर एक होना चाहिए ताकि समाज को सभी क्षेत्रों में लाभ मिल सके। यह भी कहा गया कि इसे लेकर आगे भी इस प्रकार की बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिसमें देश के सभी राष्ट्रीय संगठनों और विभिन्न वर्गों के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ताओं व समाजसेवियों विचार-विमर्श कर आगे का निर्णय लिया जाएगा।
अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के संरक्षक श्री भरतलाल जायसवाल, इंदौर चौकसे समाज के अध्यक्ष श्री दीपक चौकसे, मालवीय वर्ग कल्याण समिति इंदौर के अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम जायसवाल, राय समाज इंदौर से श्री भगवान राय, माहुरे वर्ग समिति इंदौर के अध्यक्ष श्री पंकज माहुरे, श्री सुनील जायसवाल (आधार कार्ड वाले), वरिष्ठ समाजसेवी श्री अमृतलाल जायसवाल, अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के वरिठ पदाधिकारी श्री अशोक जायसवाल बाणगंगा, राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ इंदौर के अध्यक्ष श्री अनिल जायसवाल, कलचुरी मालवीय वर्ग कल्याण समिति के कोषाध्यक्ष श्री दुर्गाप्रसाद मालवीय, श्री संजय मालवीय, डा. अदिति जायसवाल, श्री राजेश राय (कलचुरी वार्ता) ने भी अपने-अपने विचार रखे।
अंत में पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए भारतीय को दो मिनट0 का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। संचालन राजेश राय किया, डा. अदिति जायसवाल ने सभी का आभार ज्ञापित किया।
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जातिगत जनगणना में पहले लिखें ‘कलचुरी’, फिर अपना वर्ग-उपवर्ग; समाज की सटीक गणना के लिए जयनारायण चौकसे के प्रस्ताव पर सहमति; इंदौर में हुई बैठक
- by admin
- May 8, 2025
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- 1 month ago








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