July 22, 2025
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जाति जनगणना से पहले समाज को तय करनी ही होगी एक Umbrella पहचान; दिल्ली में हुई अहम बैठक; रोडमैप को लेकर कई निर्णय; चौकसे बोले-बिहार की जनगणना से सबक ले समाज

नई दिल्ली।
केंद्र की भाजपा सरकार की ओर से देश में जाति जनगणना कराने की घोषणा के बाद से कलचुरी (कलवार, कलार, कलाल) समाज में विभिन्न स्तरों पर विमर्श शुरू हो गया है। सवाल करोड़ों की आबादी वाले ऐसे विशाल समाज की ‘एक पहचान’ बनाने का है जो क्षेत्रीय, भाषायी, आर्थिक और अन्य आधारों पर विविधताओं से परिपूर्ण है, और 300 से अधिक उपनामों का इस्तेमाल करता है।
अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयनारायण चौकसे ने सबसे पहले ‘एक पहचान’ की इस समस्या का ‘एक समाधान’ तलाशने की पहल की जिसके बाद से समाज के विभिन्न राष्ट्रीय संगठनों और बुद्धिजीवी वर्गों में विभिन्न स्तरों पर यह विमर्श शुरू हो गया है। श्री चौकसे जाति जनगणना को अपने बहुविध समाज में ‘सामाजिक एकरूपता और एकजुटता’ लाने के अवसर के रूप में देखते हैं, और बहुत सक्रियता के साथ इसका एक सर्वसम्मत रोडमैप तैयार करने के मिशन में जुटे हैं। इसे लेकर भोपाल, इंदौर में स्थानीय समाजबंधुओं के साथ इस पर चर्चा कर चुके हैं और इसी क्रम में बीती 17 जुलाई को उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में एक अहम बैठक की।
कनॉट प्लेस में हुई इस बैठक में बिहार जातिगत जनगणना (2022) के मॉडल की चर्चा करते हुए बताया गया कि इसमें कलवार जाति को कोड संख्या 124 में बनिया टाइटल के अंतर्गत कई अन्य जातियों के साथ रखा गया था। सर्वे में बिहार में कलवार समाज की जनसंख्या महज 18 से 20 लाख बताई गई जो सूबे की कुल जनसंख्या का 1.4 से 1.6 प्रतिशत है। श्री चौकसे ने कहा कि हमारे लिए यह आंकड़ा बहुत चौंकाने वाला औऱ चिंताजनक है क्योंकि बिहार में कलवार, कलार, कलाल जाति की वास्तविक संख्या इससे कई गुनी अधिक है। सर्वे में लोगों से उनकी जाति पूछी गई थी, जवाब में जिन्होंने अपनी जाति कलवार बताई, उनकी गिनती तो कलवार में कर ली गई लेकिन जिन्होंने ब्याहुत, जायसवाल, खरीदहा, शौंडीक, जैसार जैसी उपजातियों को अपनी जाति बताया, उनकी गिनती अलग से की गई।
बैठक में श्री चौकसे ने कहा कि बिहार जाति जनगणना (2022) के परिणामों से हमें सबक लेकर हमारी जाति की ‘एक सार्वभौम पहचान’ निर्धारित करनी चाहिए जिसके एकछत्र के नीचे कलवार, कलार, कलाल जाति के अलग-अलग उपजातियों-उपनामों वाले हमारे सभी लोग गिनें जाएं और पूरे देश में हमारे समाज की वास्तविक संख्या और शक्ति का सही आकलन हो सके। श्री चौकसे ने कहा कि मेरे मत से ‘कलचुरी’ इसके लिए उपयुक्त शब्द है जो समाज की ऐतिहासिक और राजनीतिक पहचान से भी जुड़ा है। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय सर्वसम्मति से ही लिया जाना चाहिए।
बैठक में गहन विमर्श के बाद तय किया गया कि जाति जनगणना के जरिए समाज के सशक्तिकरण का रोडमैप तैयार करने का काम एक कोर समिति के जरिए किया जाएगा जिसका अपना एक सचिवालय भी स्थापित होगा। एक Umbrella Word के नीचे एकीकरण की रणनीति बने जिसमे अपनी जाति उसके बाद bracket में लिखा जाए।
इस कार्य को व्यावहारिक और प्रभावशाली बनाने के लिए आम जनता को जोड़ने की रणनीति पर काम करना होगा । इसके लिए अपने समाज के आराध्य इष्टदेव महापराक्रमी सर्वकालिक पौराणिक कथाओं का चक्रवर्ती सम्राट भगवान सहस्रबाहु/सहस्त्रार्जुन के विराट व्यक्तित्व को महिमामंडित करने पर काम किया जाएगा ,ठीक वैसे ही जैसे अयोध्या के श्रीराम,शिर्डी के साईं बाबा, कटरा,जम्मू की माता वैष्णो देवी , राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित खाटू श्याम या केवडिया में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के व्यक्तित्व के लिए जनभावना को उभारने पर काम किया गया। इसके लिए जन आस्था को जगाने का काम किया जायेगा।
बैठक में तय हुआ कि इसके लिए अच्छे आलेख के जरिए माहौल तैयार करना, प्रेस, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अच्छे आलेखों के माध्यम से व्यापक प्रचार की रणनीति पर काम किया जाएगा जिसमें भक्ति और भावनात्मक दोनों दृष्टिकोणों पर एकसाथ काम करना होगा। इसमें सभी महत्वपूर्ण तथ्यों व साक्ष्यों को जोड़कर लक्ष्य-केन्द्रित तरीके से काम करना होगा। उल्लेखनीय है कि 18 से 12 पुराणों में कार्तवीर्य सहस्रबाहु/सहस्त्रार्जुन की चर्चा, रामायण में भी सहस्रबाहु पर चर्चा है, रामचरितमानस के सुंदरकांड दोहा 21 के बाद हनुमान जी ने रावण के दरबार में सहस्रबाहु का महिमागान किया है। इन सबको कलवार, कलार, कलाल समाज के घर-घर तक प्रचारित करना होगा।
यह भी निर्णय लिया गया कि मध्य प्रदेश के माहिष्मती (महेश्वर)धाम को समस्त कलचुरी समाज की तीर्थस्थली के रुप में घोषित करना होगा और समाज के धार्मिक कार्य; मुंडन, पूजन आदि के लिए माहिष्मति की स्वीकार्यता को आगे बढ़ाने पर तेजी से काम करना होगा। समाज के सभी लोगों में यह भावना और प्रेरणा भी जगानी होगी कि अपने जीवनकाल में जितनी बार संभव हो, और कम से कम एक बार तो अवश्य ही माहिष्मतीधाम की तीर्थयात्रा अवश्य करें ।
माहिष्मति में भगवान सहस्रबाहु/सहस्त्रार्जुन विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा की स्थापना के प्रकल्प पर काम किया जाएगा जिसमें हर घर से योगदान (ईंट ,सीमेंट ,सरिया ,बालू ,आदि के रूप में) लिए जाने की रणनीति पर काम किया जाए। इससे सामाजिक एकता की भावना को मजबूत करने में मदद मिलेगी। साथ ही अपने-अपने शहर में सहस्रबाहु की शोभायात्रा निकालने, सहस्रबाहु के नाम पर सड़कों और चौराहों का नामकरण करने की रणनीति पर भी काम करना होगा।
बैठक में देश भर में आ रही लव जिहाद के जरिये बहला फुसलाकर हिन्दू समाज की लड़कियों के धर्मांतरण की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई और तय किया गया कि समाज के सभी कार्यक्रमों में अपनी लड़कियों को इस साजिश के प्रति आगाह किया जाएगा और जन जागृति की जाए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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