लखनऊ।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के अतिरिक्त प्रोफेसर (सर्जरी) डॉ. वैभव जायसवाल को ‘यूरोपियन बोर्ड ऑफ सर्जरी क्वालिफिकेशन’ (EBSQ) परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले पहले एशियाई-भारतीय ट्रॉमा सर्जन होने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह वही डा. वैभव जायसवाल हैं जो गत मई माह में एक 15 साल के बच्चे के लीवर में धंसी लोहे की रॉड को सर्जरी कर निकालने का ‘करिश्मा’ कर मीडिया की सुर्खियों में छा गए थे।
बता दें कि यूरोपियन यूनियन ऑफ मेडिकल स्पेशलिस्ट्स (UEMS) द्वारा आयोजित EBSQ परीक्षा बीते 27 अक्टूबर 2025 को बर्लिन (जर्मनी) में हुई थी। यह चिकित्सा के क्षेत् में एक बहुत प्रतिष्ठित क्वालीफिकेशन है जिसे ‘फेलोशिप ऑफ द यूरोपियन बोर्ड ऑफ सर्जरी’ (FEBS) कहा जाता है। इसे सर्जरी के क्षेत्र में नैतिकता, अकादमिक उत्कृष्टता और नैदानिक दक्षता का अंतरराष्ट्रीय मानक-चिह्न या यूं कहें कि वैश्विक प्रतीक माना जाता है। यह योग्यता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक सहयोग, शोध, एवं फैकल्टी एक्सचेंज के नए अवसर प्रदान करती है। दुनिया के इस योग्यता वाले गिने-चुने ही ट्रॉमा सर्जन है औऱ अब इनमें डा. जायसवाल भी शामिल हो गए हैं।
अब आप समझ ही गए होंगे यह एक बहुत मुश्किल परीक्षा होते है जिसे पास करना आसान नहीं होता। इसमें बहुत मेहनत और लगन की जरूरत होती है। डॉ. जायसवाल ने साबित कर दिया है कि भारतीय डॉक्टर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी काबिलियत दिखा सकते हैं। डा. जायसवाल को इस सफलता के लिए देशभर की चिकित्सक बिरादरी से बधाई संदेश मिल रहे है। कलचुरी समाज ने भी डा. जायसवाल की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए उन्हें ‘समाज का गौरव’ बताया है।
डा. वैभव जायसवाल लंबे समय से केजीएमयू, लखनऊ में सेवाएं दे रहे हैं, ट्रॉमा सर्जरी में उनकी विशेषज्ञता मानी जाती है। ट्रॉमा सर्जरी का मतलब होता है गंभीर चोटों का इलाज करना, जैसे कि दुर्घटनाओं के बाद होने वाली चोटें। केजीएमयू में अपने कार्यकाल के दौरान डा. जायसवाल ने कई बेहद जटिल और मुश्किल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। सबसे ताजा और सबसे चर्चित केस बहराइच के 15 वर्षीय संदीप कुमार का है जो घर की सफाई करते हुए गलती से एक लोह की रॉड पर गिर गए थे और रॉड उनकी पीठ को चीरते हुए सीने से होकर लीवर में जा धंसी थी। उन्हें बहुत गंभीर हालत में केजीएमयू लाया गया था जहां डा. वैभव जायसवाल ने मरीज को कम से कम नुकसान के साथ रॉड निकालने के लिए दूरबीन विधि से सर्जरी करने का फैसला किया। और, एक लंबे ऑपरेशन में बड़ी होशियारी से रॉड को निकाल लिया। वह मरीज अब पूरी तरह सुरक्षित है औऱ सामान्य जीवन जी रहा है।
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कलचुरी गौरवः डा. वैभव जायसवाल बने EBSQ ट्रॉमा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले प्रथम एशियाई-भारतीय
- by admin
- November 4, 2025
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