आगरा।
भाजपा नेता श्री विकास गुप्ता ‘रामसिया’ एवं मालौनिया परिवार की ओर से पितृपक्ष में अपने पिता स्व. श्री रामचरन गुप्ता एवं माताजी स्व. श्रीमती प्रेमलता गुप्ता की प्रेरणा से श्रीमद भागवत कथा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। शनिवार, 7 अक्टूबर से शुरू होने वाले इस 8 दिवसीय आयोजन में ‘अंतरराष्ट्रीय युवा संत’ आचार्य श्री सुशील जी महाराज (वृंदावन धाम) अपनी ओजस्वी अमृतमयी मधुरवाणी से श्रद्धालुओं को श्रीमदभागवत कथा का रसपान कराएंगे। महोत्सव का समापन अगले शनिवार, 14 अक्टूबर को पूर्ण हवन यज्ञ एवं प्रसादी के साथ होगा।
श्री विकास गुप्ता ‘रामसिया’ ने लोहामंडी रोड स्थित अग्रसेन भवन के ग्राउंड फ्लोर पर होने वाले इस आयोजन में सभी समाजबंधुओं को विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। उन्होंने समाजबंधुओं से शिवहरेवाणी में प्रकाशित इस प्रथम समाचार को उनके व्यक्तिगत निमंत्रण की मान्यता प्रदान करने का अनुरोध किया है। जीवन में चिंतन-मनन को नई दिशा देने वाली भागवत कथा का प्रतिदिन अपराह्न 1 बजे से सायं 5 बजे तक चलेगी। कथा का शुभारंभ 7 अक्टूबर को कलशयात्रा के साथ होगा। श्री ऋषभ गुप्ता ने बताया कि कलश शोभायात्रा 20/210, सिरकी मंडी स्थित श्री विकास गुप्ता के निवास स्थान से प्रारंभ होकर कथास्थल अग्रसेन भवन पहुंचेगी, जहां कथा-व्यास श्री सुशीलजी महाराज विधिवत पूजा-अर्चना कर व्यासपीठ पर विराजमान होंगे। व्यवस्था देख रहे श्री हिमांशु गुप्ता के मुताबिक, प्रतिदिन कथा का यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। समापन 14 अक्टूबर को सुबह हवन-यज्ञ एवं पूर्णाहुति के पश्चात अपराह्न 2 बजे महाप्रसादी के साथ होगा।
संपूर्ण समाज के लिए यह धार्मिक उत्सव स्वयं को जानने और मन के सारे संतापों को दूर करने का एक सुअवसर है। सनातन धर्म के 18 पवित्र पुराण हैं, जिनमें एक भागवत् पुराण भी है। इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। यह जगत के पालक श्रीविष्णुजी के धरती पर लिए गए 24 अवतारों के साथ उस दौरान उनके जीवन की कथा का भावपूर्ण वर्णन है। 12 खंडों के इस ग्रंथ में 335 अध्याय तथा 18 हजार श्लोक हैं। श्रीमद भागवत का प्रतिपाद्य विषय है कि यह सृष्टि भगवान से हुई है, भगवान में है और भगवान में ही मिल जाएगा। इसके 10वें अध्याय में श्रीकृष्ण का जीवन सार कुछ इस प्रकार वर्णित है कि यह समस्त प्राणियों के लिए सांसारिक जीवन जीते हुए ज्ञान तथा मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
आइये हम आपको बताते हैं भागवत कथा सुनने के 11 लाभ, जिन्हें जानकर आप इसके श्रवण के इस अवसर को गंवाना नहीं चाहेंगेः-
1. इसे सुनने मात्र से हजारों अश्वमेघ यज्ञ आयोजनों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
2. गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग जैसे तीर्थों की यात्रा से भी अधिक पुण्यकारी है भागवत कथा का पाठ या इसे सुनना। इसे सुनने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. इसे सुनने वाले पर स्वयं श्रीहरि विष्णु की कृपा रहती है, इसलिए उसके जीवन की सभी समस्याओं का निवारण होता है।
4. जगत के पालनहार की कृपा दृष्टि मिलने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं तथा जीवन में प्रगति, खुशहाली तथा समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
5. इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति तथा मुक्ति मिलती है। यह व्यक्ति को सभी प्रकार के पितृ-दोषों से निजात दिलाता है।
6. इस कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हर दोष नष्ट होता है, उसकी नकारात्मकता जाती रहती है और हर प्रकार से वह सकारात्मक हो जाता है। उसे स्वास्थ्य, समृद्धि मिलती है तथा भाग्य में वृद्धि होती है।
7. इसे सुनने के क्रम में आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते हुए आप सांसारिक दुखों से निकल पाते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है।
8. श्रीहरि के कृपापात्रों को संसार में कोई भयभीत नहीं कर सकता। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को बुरी नजर, भूत-प्रेत बाधा आदि से भी मुक्ति मिलती है। पारिवारिक-मानसिक अशांति, क्लेश का नाश होता है, शत्रुओं पर विजय मिलता है तथा उनका शमन होता है।
9. रोजगार के नए अवसर मिलते हैं तथा समाज में प्रसिद्धि-सम्मान की प्राप्ति होती है।
10. दरिद्रता का नाश, दुर्भाग्य तथा सभी प्रकार से क्रोध-शोक का नाश होता है।
11.भागवत कथा को सुनना जितना पुण्य प्राप्ति का माध्यम है उतना ही इसका आयोजन करना भी। अगर आप खुद इसका आयोजन नहीं कर पा रहे हैं, तो ‘एस्ट्रोस्पीक’ द्वारा उपलब्ध कराई गई इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं।
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