November 24, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
धरोहर समाचार

आगराः ऐतिहासिक रामबरात के गौरव से जुड़ा है शिवहरे समाज; महाशयजी से लेकर अब तक

आगरा
आगरा में हर साल पितृपक्ष की एकादशी को रामबारात निकलती है जिसे उत्तर भारत की सबसे बड़ी रामबारात माना जाता है। दूर-दराज के इलाकों से लोग इसे देखने आते हैं। रामबारात के साथ ही जनकपुरी की भव्यता भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहती है। खैर, ये बातें तो सब जानते है। लेकिन हम जब शिवहरे वाणी के लिए यह पोस्ट लिख रहे हैं तो हमारा मकसद आगरा की ऐतिहाासिक रामबारात के साथ स्थानीय शिवहरे समाज के गौरवशाली अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोडकर देखने का है।

रामबारात की शोभायात्रा पितृपक्ष एकादशी की शाम को मनःकामेश्वर से निकलकर रातभर शहर के मार्गों से होती हुई ब्रह्मवेला में जनकपुरी पहुंचती है, जो इस बार दयालबाग में तैयार की गई है। रामबारात की अगली पंक्ति में रामलीला समिति के पदाधिकारी अगुवाई करते हैं, जिसमें शहर के  प्रतिष्ठित लोग शामिल होते हैं। बल्कि यूं कहें कि इस पंक्ति में शामिल होना ही अपने आपमें प्रतिष्ठा की बात होती है।
महाशय रामभरोसे लाल शिवहरे
सौ साल से भी अधिक पुराने इस आयोजन में पहली बार करीब 60 साल पहले ऐसा हुआ जब इस अग्रिम पंक्ति में एक शिवहरे हस्ती बीचों-बीचों चल रही थे। सफेद खादी पोशाक में यह थे महाशय रामभरोसे लाल शिवहरे। खास बात यह है कि महाशय जी को यह सम्मान धन के बल पर नहीं, बल्कि देश और समाज की अप्रतिम सेवा एवं त्याग के फलस्वरूप प्राप्त हुआ था। महाशयजी नाई की मंडी निवासी स्व. छोटेलाल शिवहरे के दत्तक पुत्र थे। स्वतंत्रता आंदोलन मे महाशयजी और उनकी पत्नी की गौरवशाली भागीदारी रही थी । लेकिन महाशयजी शिवहरे समाज के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने रामबारात के आयोजन में अग्रणी रहकर शिवहरे समाज का गौरव बढ़ाया। 
कैप्टन जेपी भदौरिया
रामबारात में भागीदारी के लिहाज से महाशयजी का दौर शिवहरे समाज के लिए विशेष महत्वपूर्ण रहा है। इसी दौर में कैप्टन जेपी भदौरिया भी रामबारात आयोजन की अग्रिम पंक्ति में रहते थे। कैप्टन भदौरिया दरअसल शिवहरे थे और नाई की मंडी में ही रहते थे। वह स्काउट संगठन के कप्तान थे और उस जमाने में रामबारात की व्यवस्थाओं में इस संगठन की विशेष भागीदारी रहती थी। खासकर सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं में यह संगठन पुलिस का सहयोग करता था।
रामनारायण शिवहरे टालवाले
लगभग इसी दौर में स्व. श्री रामनारायण शिवहरे टालवाले भी थे। वह रामबारात में अपनी घोड़ी लेकर ध्वजवाहक के रूप में आगे-आगे चलते थे। उनकी शानदार घोड़ी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती थी। 
हमारी जानकारी में इसके बाद एक लंबा अंतराल रहा जिसमें रामबारात में शिवहरे समाज की चर्चित भागीदारी नहीं रही। हालांकि जनकपुरी आयोजन में उस क्षेत्र की स्थानीय कमेटियों में शिवहरेबंधु स्थान पाते रहे हैं। पाठकों से हमारा अनुरोध हैं कि यदि ऐतिहासिक रामबरात और जनकपुरी आयोजन में महत्वपूर्ण भागीदारी करने वाली समाज की हस्तियों की इस सूची में किसी का नाम या भूमिका का उल्लेख हम नहीं कर पाए हों तो कृपया हमें अवगत कराने की कृपा करें। ताकि, इस आलेख को उनके उल्लेख को शामिल कर सकें।
 

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