November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाज

आगरा में बाबूलालजी शिवहरे जो अब हैं रामकथा वाचक संत श्री अभिरामदासजी महाराज; वृंदावन में समाज की ओर से श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ 2 अप्रैल से

आगरा।
 आगरा के शिवहरे समाज का परिचय इन दिनों श्री बाबूलालजी शिवहरे से हो रहा है, जो श्रीराम कथा वाचक संत अभिरामदासजी महाराज के नाम से भी जाने जाते हैं। वह बीते चार दिनों से आगरा में हैं और समाजबंधुओं  को वृंदावन में चैत्र नवरात्र में होने जा रहे श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ का लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 

संत अभिरामदासजी महाराज फिलहाल आगरा में प्रतिष्ठित शिवहरेबंधुओं से मिलकर उन्हें श्रीराम कथा के आयोजन की जानकारी दे रहे हैं।  आगामी 2  अप्रैल को वृंदावन में अटल्ला चुंगी स्थित करह आश्रम में श्रीराम कथा का शुभारंभ होगा जिसका समापन 10 अप्रैल यानी रामनवमी वाले दिन भंडारे के साथ होगा।   इसके लिए कथावाचक संत श्री अभिरामदासजी महाराज पूरे देश से कलवार समाज का सहयोग प्राप्त कर रहे हैं।आगरा में लोहामंडी फाटक में श्री चंदन शिवहरे (पुत्र स्व. श्री रामप्रसाद शिवहरे) के घर पर उनका रात्रि विश्राम रहता है। बाबूलालजी ने शिवहरेवाणी को बताया कि आगरा प्रवास के दौरान शिवहरे समाज के कुछ महानुभावों से मुलाकात को वह अपने जीवन की उपलब्धि मानते है। इस क्रम में दाऊजी मंदिर समिति के दोनों पूर्व अध्यक्षों श्री किशन शिवहरे एवं श्री भगवान स्वरूप शिवहरे के साथ ही समाजसेवी श्री सतीश शिवहरे (ठेकेदार), श्री अतुल शिवहरे (शास्त्रीपुरम), श्री नानकचंदजी शिवहरे (शास्त्रीपुरम), श्री सुरेंद्र शिवहरे (गुप्ता गारमेंट्स, लोहामंडी) के यहां हुए स्वागत-सत्कार ने उन्हें अभिभूत कर दिया। उन्होंने बताया कि आगरा में उन्होंने अधिक से अधिक समाजबंधुओं से संपर्क साधने का प्रयास किया लेकिन सबसे मिलना भी संभव नहीं था। हालांकि उन्हें अफसोस है कि कुछ शिवहरेबंधुओं का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं रहा, एक ने तो यहां तक कह दिया कि बाबा हम शिवहरे नहीं हैं। आगरा के शिवहरेसमाज से मेल-मुलाकात की इन्हीं खट्टी-मीठी यादों के साथ संभवतः आज (14 जनवरी) वह लौट जाएंगे।

54 वर्षीय श्री बाबूलालजी शिवहरे मध्य प्रदेश के श्योपुर के रहने वाले हैं, गृहस्थ संत हैं। जन्म श्योपुर के गांव प्रेमसर में हुआ, पिता स्व. श्री मदनलाल शिवहरे किसान थे, माताजी श्रीमती परताबाई गृहणी थीं। गांव में ही संत श्री श्री 1008 संत शिरोमणि श्री जानकीदासजी महाराज का आश्रम था, जहां बचपन से जाते थे। 16 साल की आयु में कैलाशीबाई से विवाह हुआ। उनका परिवार अब श्योपुर में रहता है। उनके तीन पुत्र देवेश, गौरव कृष्ण, रवि शिवहरे और सबसे छोटी पुत्री भारती शिवहरे (15 वर्ष) हैं। देवेश विवाहित हैं और भाई गौरव के साथ मिलकर मोटर पार्ट्स की दुकान करते हैं। रवि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, जबकि बेटी हाईस्कूल में है।
बेटी के जन्म के बाद श्री बाबूलालजी का मन रामकथा और रामभक्ति में रम गया, और अपने गुरु संत शिरोमणि श्री जानकीदासजी महाराज के आदेश पर उन्होंने भगवा धारण कर लिया। गुरुजी ने ही अध्यात्म की दुनिया में उनका नामकरण ‘संत श्री अभिरामदासजी महाराज’ कर दिया। तब से वह श्री राम कथा का वाचन कर रहे हैं। वह चित्रकूट में दो बार रामकथा कह चुके हैं, जिसका आयोजन शिवहरे समाज द्वारा किया गया। इसके अलावा देशभर में कई अन्य जगहों पर असंख्य बार श्री रामकथा का वाचन कर चुके हैं। भजनों की संगीतमयी प्रस्तुति उनकी रामकथा का विशेषता है। कलवार समाज के संत के रूप में रामकथा मर्मज्ञ ‘संत श्री अभिरामदासजी महाराज’ की प्रतिष्ठा दिनोदिन बढ़ रही है, और वह जहां भी जाते हैं, स्थानीय समाज पूरे भक्तिभाव से उनका स्वागत करता है। 
 

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