November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार समाज

दाऊजी मंदिर में परीक्षित मोक्ष के साथ भागवत कथा का समापन; आज पूर्णाहुति और विशाल भंडारा; विजय शिवहरे ने व्यासपीठ का लिया आशीर्वाद

आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर दाऊजी मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का मंगलवार (25 जुलाई) को समापन हो गया। अंतिम दिन कथावाचक पं. आकाश मुदगल ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा का वर्णन किया। कथा समापन के बाद सुंदरकांड का पाठ हुआ जो देर रात तक चला। बुधवार, 26 जुलाई को पूर्वाहन 11 बजे पूर्णाहुति के बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा। 
मंदिर के पुजारी प्रो. रामदास आचार्य (रामू पंडितजी) और मंदिर कमेटी के अध्यक्ष श्री बिजनेश शिवहरे ने सभी समाजबंधुओं से पूर्णाहुति में भाग लेने और भंडारा-प्रसाद पाने की का आग्रह किया है। प्रो. रामदास आचार्य (रामू पंडितजी) ने शिवहरेवाणी को बताया कि मंदिर परिसर में हुई  भागवत कथा में शिवहरे समाजबंधों ने जिस भक्तिभाव से भागीदारी की, उससे वह अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा का यह आयोजन उनके हृदय से जुड़ा है। एक कारण यह भी है कि कथा व्यास पं. आकाश मुदगल उनके पुत्र हैं। उन्होंने कहा कि पं. आकाश मुदगल यूं तो पहले भी कई जगह भागवत कथा कर चुके हैं, लेकिन उनकी दिली इच्छा थी कि वह दाऊजी मंदिर में कथा कहें। और, दाऊजी मंदिर कमेटी के सहयोग से यह संभव हो पाया है। अंतिम दिन भाजपा विधायक श्री विजय शिवहरे भी कथा सुनने के लिए आए और व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया।
प्रो. रामदास आचार्य (राम पंडितजी) ने कहा कि कथा के पहले-दूसरे दिन तो ज्यादा लोग नहीं आए थे लेकिन उसके बाद जिस कदर भीड़ उमड़ी है, उसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। तीसरे दिन श्री कृष्ण-जन्म एवं नन्दोत्सव से शुरू हुआ भीड़ का सिलसिला आज अंतिम दिन तक जारी रहा। आज भी शिवहरे भवन सभागार खचाखच भरा रहा। प्रसाद वितरण नाई की मंडी में शिवहरे गली निवासी श्री सतीशचंद्र ठेकेदार परिवार की ओर से कराया गया था। कथावाचक पं. आकाश मुदगल ने कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता ऐसा रिश्ता है जिसमें कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। भगवान श्रीकृष्ण ने दीन-हीन हालत में पहुंचे अपने सखा सुदामा के चरण पखारे और तीन मुट्ठी चावल के बदले सुदामा को तीन लोकों का राज देने का मन बना लिया था। कथा व्यास ने राजा परीक्षित मोक्ष का भी विस्तार से वर्णन किया। कथा समाप्ति के बाद करीब दो घंटे सुंदरकांड का पाठ चला जो देर रात नौ बजे तक चला। 

 

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