April 25, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

भोपालः अनुपम चौकसे की आंखों से रोशन हुई दो लोगों की जिंदगी; मिसाल बना माता-पिता का साहसिक निर्णय

भोपाल।
अनुपम चौकसे की दुखद मौत के तीन दिन बाद उसकी आंखों ने फिर से देखना शुरू कर दिया है। अनुपम के दो आंखे, दो ऐसी जिंदगियों को अंधेरे से निकाल कर रोशनी में ले आई हैं, जिन्होंने कभी कुछ देख पाने की उम्मीद ही छोड़ दी थी।  अनुपम इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी आत्मा इस बात निश्चित ही खुश होगी कि उसकी जीवित आंखों में उसके माता-पिता के लिए वैसी ही श्रद्धा और सम्मान रहेगा, जैसी श्रद्धा और सम्मान उसके दिल में था।
भोपाल आर्गन डोनेशन सोसायटी के काउंसल सुनील राय ने बताया है कि बीते रोज 16 मई को दो दृष्टिहीनों को अनुपम के एक-एक नेत्र प्रत्यारोपित कर दिए गए। अब दोनों लोग देख सकते हैं। 14 मई की रात अनुपम की मौत के बाद उसके पिता श्री हुकुमचंद चौकसे एवं मां श्रीमती नमिता चौकसे ने बेटे की इच्छा का सम्मान रखते हुए उसके नेत्रदान का साहसिक निर्णय लिया था। 
भोपाल में आनंदनगर स्थित हथाईखेड़ा निवासी चौकसे दंपति ने सोचा भी नहीं था, 12 मई को उनकी मैरिज एनीवर्सरी के दिन ही उनके साथ ऐसा दर्दनाक हादसा गुजरेगा। श्री हुकुमचंद चौकसे ने बताया कि 12 मई को अनुपम घर से सुबह नौ बजे सीपेट (कालेज) के लिए निकला था, जहां वह चौथे सेमेस्टर का छात्र था। शाम पांच बजे उनके पास अनुपम का कॉल आया कि मेरा एक्सीडेंट हो गया है। वह तत्काल घटनास्थल (सीपेट के पास मीनाल रेजीडेंसी) पर पहुंचे। अनुपम को एक तेज रफ्तार वैगनआर ने टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी जांघ की हड्डी टूट गई है। हुकुमचंद व अन्य परिवारीजन अनुपम को अस्पताल ले गए। 
अगले दिन 13 मई को डाक्टरों ने आपरेशन करके अनुपम की जांघ में रॉड डाल दी। परिजनों की उम्मीद थी कि एक-दो दिन में अनुपम को घर ले जाएंगे। 14 मई की रात 11.30 बजे डाक्टरों ने अनुपम का स्वास्थ्य परीक्षण किया, उसकी स्थिति में सुधार को देखते हुए अगले दिन 15 मई को अस्पताल से छुट्टी कर देने की बात कही। लेकिन, डाक्टर को गए बमुश्किल 15 मिनट ही हुए थे, कि अनुपम के चेहरे के हावभाव बदलने लगे, उसे घबराहट होने वाली, कुछ बहकी सी बातें करने लगा। मां नमिता तथा पिता कुछ समझ पाते, उससे पहले ही उसने शरीर में लगी बॉटल, पल्स नापने वाली मशीन निकाल दी। मां को गले लगाकर बोला मुझे माफ कर देना। पिता से भी मांफी मांगी और बेसुध हो गया। आंखें खुली रह गई। आनन-फानन में डाक्टर को भी बुलाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। डाक्टरों ने बताया कि उसे कार्डियेक अरेस्ट हुआ था।
अनुपम अक्सर अपनी मां से कहा करता था कि अगर कभी मुझे कुछ हो जाए तो मेरी आंखों को दान कर देना। मरने के बाद भी मैं किसी काम आना चाहता हूं। उसकी इस इच्छा का ध्यान रखते हुए चौकसे दंपति ने बेटे के नेत्रदान करने का निर्णय लिया। रात में ही सुनील राय से संपर्क किया जो नेत्रदान अभियान से जुड़े हैं। उन्होंने तत्काल हमीदिया से संपर्क किया और रात 3 बजे हमीदिया के चिकित्सकों की टीम ने चौकसे के घर पहुंचकर अनुपम का नेत्रदान कराया। 15 मई की सुबह गमगीन माहौल में अनुपम का अंतिम संस्कार किया गया। 
अनुपम के चाचा गौरीशंकर चौकसे ने शिवहरेवाणी को बताया कि उनके भाई के चार बच्चे हैं। दो बेटियां हैं, जिनमें एक की शादी बीती 3 मई को ही हुई थी। दो जुड़वां बेटे हैं अनुपम और अनुराग। इनमें अनुपम बड़ा था, उसे बचपन से हार्ट प्रॉब्लम थी। उसके ह्रदय को पंप करने के लिए जितनी जगह चाहिए थी, उतनी नहीं थी। 2013 में उसका आपरेशन हुआ था जिसके बाद वह बिल्कुल ठीक हो गया था। गौरीशंकर कहते हैं, परिवार में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अनुपम इतनी जल्दी हमें छोड़कर चला जाएगा।

 

    Leave feedback about this

    • Quality
    • Price
    • Service

    PROS

    +
    Add Field

    CONS

    +
    Add Field
    Choose Image
    Choose Video

    समाज

    झांसी में कलचुरी एकीकरण की पहल; दो संगठन हुए

    समाज

    भोपालः मुख्यमंत्री मोहन यादव को कहा-कलचुरियों के ‘चचेरे भइया’;तो

    समाचार, समाज

    … ताकि हिंदीभाषी कलचुरी भी पढ़ सकें श्री नारायण

    समाचार, समाज

    एक ऐसा कलचुरी संत जो मंदिरों में स्थापित करा

    समाचार, समाज

    गाडरवारा का एकमात्र चौराहा अब कहलाएगा ‘सहस्रबाहु चौक’; बहुत

    समाचार, समाज

    अनुभव और युवा जोश से लबरेज नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी;

    समाज

    झांसी में कलचुरी एकीकरण की पहल; दो संगठन हुए

    समाज

    भोपालः मुख्यमंत्री मोहन यादव को कहा-कलचुरियों के ‘चचेरे भइया’;तो

    समाचार, समाज

    … ताकि हिंदीभाषी कलचुरी भी पढ़ सकें श्री नारायण

    समाचार, समाज

    एक ऐसा कलचुरी संत जो मंदिरों में स्थापित करा