November 25, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

बटेश्वर चलो…10 मार्च को शिवहरे समाज की धर्मशाला का होगा लोकार्पण, शिवालयों की रमणिक नगरी में अब ठहराव की सहूलियत

आगरा।
शिवालयों की नगरी, तीर्थों का भांजा कहे जाने वाले बटेश्वरधाम में शिवहरे समाज की धर्मशाला का जल्द ही पुनरुद्धार होगा। शिवरात्रि से एक दिन पहले 10 मार्च को यहां धर्मशाला के लोकार्पण का रखा गया है जिसमें उत्तर प्रदेश भाजपा के मंत्री श्री विजय शिवहरे और सिरसागंज नगर पालिका के चेयरमैन श्री संतकुमार (सोनी) शिवहरे भी उपस्थित रहेंगे। श्री सोनी शिवहरे की ओर से इस भूखंड के वास्तविक वारिस श्री अविरल गुप्ता को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। 
बता दें कि श्री सोनी शिवहरे गत वर्ष 24 अक्टूबर को आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज में हुए मेधावी छात्र-छात्रा समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि आए थे, जहां शिवहरे समाजबंधुओं ने बटेश्वर स्थित इस धर्मशाला का पुनरुद्धार कराने के साथ ही वहां सहस्त्रबाहु मंदिर बनाए जाने का आग्रह किया था। श्री अविरल गुप्ता भी इस दौरान उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि बटेश्वर मुख्य बाजार में स्टेट बैंक शाखा के ठीक सामने स्थित 275 वर्ग गज क्षेत्रफल का यह भूखंड उनकी पैतृक संपत्ति है, जिस पर कब्जे के प्रयास किए जा रहे हैं, और वह अपने पूर्वजों की इच्छा का सम्मान रखते हुए इस जगह को समाज की धर्मशाला के लिए समर्पित करना चाहते हैं। बटेश्वर स्थित यह धर्मशाला फिलहाल खंडहरहाल है, लेकिन इस जगह को आज भी कलारों वाली धर्मशाला के रूप में जाना जाता है। 

श्री सोनी शिवहरे ने शिवहरेवाणी को बताया कि बटेश्वर स्थित धर्मशाला के पुनरुद्धार के मुद्दे पर उन्होंने भाजपा नेता श्री विजय शिवहरे समेत अन्य समाजबंधुओं से भी चर्चा की। इसमें बनी सहमति के तहत बुधवार 10 मार्च को सुबह 10 बजे विधिवत पूजा-पाठ कर धर्मशाला के पुनरुद्धार कार्य का शुभारंभ किया जाएगा। पुनरुद्धार कार्य समाज के लोगों से प्राप्त आर्थिक योगदान से कराया जाएगा। उन्होंने आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, भिंड समेत बटेश्वर के आसपास के नगरों में रहने वाले शिवहरे समाजबंधुओं को धर्मशाला लोकार्पण कार्यक्रम के लिए बटेश्वर आने का आग्रह किया। 

बटेश्वर का धार्मिक महत्व होने के साथ ही यह एक रमणिक स्थल भी है। यमुना नदीं यहां अपने सबसे सुंदर स्वरूप में नजर आती है। यहां के तट पर प्रतिदिन शाम को यमुना आरती का आयोजन होता है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मस्थली बटेश्वर में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं भी शुरू की गई हैं। इसी के तहत बटेश्वर अब आगरा-इटावा रेललाइन से भी जुड़ चुका है। ऐसे में शिवहरे समेत समस्त कलचुरी समाजबंधुओं को बटेश्वर में अब ठहराव की उचित और किफायती सुविधा प्राप्त हो सकेगी। 

 

कलारों की धर्मशाला का इतिहास
दरअसल यह जगह स्व. श्री मुरलीधर गुप्ता ने वर्ष 1910 में खरीदी थी, जिसका बैनामा आज भी श्री अविरल गुप्ता के पास है जो उस समय सरकारी दस्तावेजों के लिए प्रचलित फारसी भाषा में हैं। स्व. श्री मुरलीधर गुप्ता ने उस समय यह भूखंड अपने कारोबार के लिहाज से खरीदी थी। लेकिन बाद में उनके उत्तराधिकारी स्व. श्री रामस्वरूप गुप्ता ने इसे धर्मशाला के रूप मे विकसित करने की इच्छा से अपने कारोबार को वहां से हटा लिया। कुछ समय तक तो इस जगह का प्रयोग धर्मशाला के रूप में ही हुआ, जिससे यह जगह कलारों की धर्मशाला के रूप में जानी जाने लगी। नाई की मंडी मंडी निवासी स्व. श्री रामस्वरूप गुप्ता चाहते थे कि इसे एक बड़ी धर्मशाला के रूप में विकसित किया जाए। बाद में उनके वारिस एवं श्री अविरल गुप्ता के पिता स्व. श्री आनंद गुप्ता ने 2013 में यहां धर्मशाला के लिहाज से कुछ निर्माण कराया था। इसके तहत एक बड़ा गेट लगाया, उनकी योजना इसका मौजूदा ढांचा तुड़वा कर नई संरचना खड़ी करने की थी, कि दुर्भाग्य से 2014 में उनका आकस्मिक निधन हो गया। अब श्री अविरल गुप्ता चाहते हैं कि यहां भगवान सहस्त्रबाहु का मंदिर बने और समाज के लिए एक धर्मशाला का निर्माण करा दिया जाए। 

कहां है बटेश्वर…क्यों कहते हैं भांजा तीर्थ 
बता दें कि धार्मिक पर्यटन के लिहाज एक बहुत महत्वपूर्ण स्थल है। आगरा से 75 किलोमीटर दूर और सिरसागंज व शिकोहाबाद से 30 किलोमीटर दूर बटेश्वर दरअसल इटावा और भिंड से भी लगभग इतना ही निकट है। भागवत पुराण के अनुसार वासुदेव की बारात यहां से मथुरा गई थी । बटेश्वर में भगवान कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और पौत्र अनिरुद्ध के नामों पर आज भी पदमनखेड़ा व औधखेड़ा नामक दो मोहल्ले है। महाभारत युद्ध के समय जब बलभद्र ने किसी का साथ न देकर तटस्थ रहने का निश्चय किया था। तब वे एकांत बास हेतु इसी पावन स्थल पर आये थे। कहते है कंस का शव यमुना में प्रवाहित हुआ था। तब बटेश्वर में आकर अटका था। तभी यहां कंस करार टीला प्रसिद्ध हुआ था, जो आज भी है। तीर्थ स्थल बटेश्वर बृज मंडल का एक भाग है। 84 कोस की परिक्रमा के अंर्तगत इसका समावेश होता है। इसी कारण बटेश्वर को सभी तीर्थो का भांजा कहा जाता है। यहां भगवान शंकर जी की पूजा का बड़ा महत्व है। काशी की तरह बटेश्वर के घाट दर्शनीय है। उन पर बने 101 मंदिर शिव भक्तों के आकर्षण के मुख्य केन्द्र बन जाते है।

 

 

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