शिवपुरी।
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में फिलहाल तो भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ती नजर आ रही है। चुनावी रुख पर अब तक हुए तमाम सर्वे भी यही कहते हैं। चुनाव से पहले बड़ी संख्या में भाजपा नेताओं का कांग्रेस में शामिल होना भी इसका मजबूत संकेत है। राजनीतिक पंडित अभी से कांग्रेस की बड़ी जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं, बशर्ते पार्टी भाजपा से आए नेताओं को टिकट देने की भूल न करे।
इसकी एक तस्वीर शिवपुरी में बीते रोज कांग्रेस की जन-आक्रोश रैली में सामने आई जहां भाजपा से आए वीरेंद्र रघुवंशी को तरजीह देना पुराने कांग्रेसियों को खासा नागवार गुजरा, और वे रैली से लौट गए। रघुवंशी कोलारस से भाजपा विधायक हैं और कुछ दिन पहले ही उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की है। अब उन्हें शिवपुरी से कांग्रेस के टिकट का दावेदार बताया जा रहा है। शिवपुरी के पुराने कांग्रेसी कतई नहीं चाहते कि उन्हें ऐसे नेता के लिए प्रचार करना पड़े जो भाजपा शासन में सत्ता-सुख भोगने के बाद जनमत का रुख भांपकर ऐन चुनाव से पहले कांग्रेस में आ घुसा हो। शिवपुरी में कई कर्मठ कांग्रेसी पहले से टिकट की लाइन में हैं। इनमें पूर्व विधायक हरीबल्लभ शुक्ला, गणेश गौतम, युवा कांग्रेस अध्यक्ष अमित शिवहरे और शहर कांग्रेस अध्यक्ष मोहित अग्रवाल शामिल हैं। इनमें भी युवा नेता अमित शिवहरे का नाम पार्टी के कई सर्वे में पहले नंबर पर रहा है, जिसके चलते उन्हें टिकट मिलने की प्रबल संभावना हैं।
अमित शिवहरे के बारे में खास बात यह है कि वह पूर्व में ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीब जरूर थे लेकिन पार्टी से उनका जुड़ाव विचारधारा के स्तर पर है। यही वजह है कि उन्होंने सिंधिया के साथ पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने से साफ इनकार कर दिया और पूरी प्रतिबद्धता के साथ पार्टी के लिए काम किया। पार्टी के आंदोलनों और अभियानों में अग्रणी रहे। अमित शिवहरे ने कोरोना काल में सड़कों पर उतर कर जनता की सेवा की, यहां तक कि अपने पैसों से तमाम जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए। कोरोना काल के इस ऑक्सीजन-मैन ने अपने सेवाकार्यों से क्षेत्र की जनता के बीच खासी लोकप्रियता अर्जित की है।
सूत्रों का कहना है कि शिवपुरी सीट पर कांग्रेस की शानदार संभावनाएं हैं लेकिन यहां बाहरी को टिकट देना बाजी को पलट भी सकता है। सूत्रों के मुताबिक, शिवपुरी के स्थानीय कांग्रेस संगठन में कोई भी नेता रघुवंशी को टिकट नहीं चाहता। सूत्रों का यह भी कहना है कि यदि कांग्रेस ने रघुवंशी को टिकट देने की भूल की, तो हो सकता है कि पार्टी का कैडर उनके साथ खड़ा दिखाई न दे। और ऐसे में कांग्रेस के हाथ से यह जीती-जिताई सीट फिसल भी सकती है।
फिलहाल सबकी नजर 5 अक्टूबर को जारी होने वाली कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची पर टिकी है। इस सूची से इतना तो स्पष्ट हो ही जाएगा कि पार्टी नेतृत्व टिकट वितरण में मन-विचार से जुड़े कर्मठ नेताओं को प्राथमिकता देगा या फिर बाहरी नेताओं पर दांव खेलेगा। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, पहली सूची में ज्यादातर सिंगल पैनल वाली सीटों को शामिल किया जा रहा है। जहां तक शिवपुरी की बात है तो नेतृत्व के लिए इस सीट का फैसला करना आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां स्पर्धा में चार दावेदार हैं, रघुवंशी को मिलाकर पांच। फैसले में वक्त लगेगा।
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