आगरा।
इस नए साल में हम सब एक-दूसरे को भाई मानते हुए आपस में प्रेम का व्यवहार करें, और किसी प्रकार के टकराव की कोई स्थिति उत्पन्न न होने दें। नए साल में इससे अच्छा संकल्प क्या हो सकता है भला, जिसकी प्रेरणा पुराण मनीषी आचार्य श्री कौशिकजी महाराज ने 2022 की पूर्व संध्या को ‘बलराम चरित्र कथा’ के माध्यम से दी।
आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर दाऊजी मंदिर स्थित ‘शिवहरे भवन’ में बलराम चरित्र कथा का वर्णन करते हुए कौशिकजी महाराज ने कहा कि महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण पांडवों की ओर से रणभूमि में थे, जबकि उनकी सेना कौरवों की ओर से युद्ध कर रही थी। बलराम अपने शिष्य दुर्योधन को पहले ही युद्ध में साथ देने का वचन दे चुके थे। फिर भी उन्होंने युद्ध में भाग लेने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि जिस तरफ कृष्ण हैं, उसके विपक्ष में मैं कैसे जाऊं? अंत में वह महाभारत युद्ध के दौरान तीर्थाटन पर निकल गए।
कथा का आयोजन तुलसी तपोवन गौशाला, वृंदावन की ओर से दाऊजी मंदिर समिति के सहयोग से किया गया था। आचार्य श्री कौशिकजी महाराज बालाघाट (मध्य प्रदेश) से आगरा पधारे थे। कथा पूर्वाहन 11 बजे से होनी थी, लेकिन यात्रा में विलंब के चलते श्री कौशिकजी महाराज दोपहर 3 बजे मंदिर पहुंच सके। श्री कौशिकजी महाराज के नाम का आकर्षण ही है कि उनको सुनने की ललक में 5 घंटे विलंब के बावजूद लोग बड़ी संख्या में वहां मौजूद रहे। श्री कौशिक जी महाराज का दाऊजी महाराज मंदिर कमेटी की ओर से भव्य स्वागत किया गया। मंदिर समिति के अध्यक्ष विजनेश शिवहरे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेंद्र राज शिवहरे, उपाध्यक्ष नवनीत गुप्ता, कोषाध्यक्ष संतोष शिवहरे, सचिव आशीष शिवहरे के अलावा कार्यकारिणी सदस्य श्री हरीश शिवहरे ‘गुड़ियल’, प्रमोद शिवहरे और धर्मेश शिवहरे (सिकंदरा) और युवा प्रसपा नेता लकीराज शिवहरे ने व्यासपीठ की आरती की।
श्री कौशिकजी महाराज ने कहा कि ब्रज के दादा तो भगवान बलराम ही हैं, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण दाऊ के नाम से संबोधित करते थे। भगवान दाऊजी महाराज का पूजन करने से निसंतान को संतान, निर्धनों को धन एवं समस्त प्रकार के मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय और कौरवों की पराजय के मुख्य कारण बलराम ही थे। बलराम ने कौरवों को पराजय का श्राप दिया था। आचार्य श्री ने कहा कि समय-समय पर धरती के कल्याण के लिए भगवान विष्णु शेषनाग के अवतार के रूप में कभी लक्ष्मण तथा तो कभी दाऊजी के रूप में अवतरित हुए हैं। आचार्य कौशिक जी ने कथा के वर्णन में दाऊ जी को हल की प्राप्ति कैसे हुई तथा विभिन्न अवतारों में भगवान विष्णु की के साथ जनकल्याण को अवतरित हुए लीलाओं का वर्णन किया।
इस अवसर मंदिर के महंत पंडित महेश चंद शर्मा, रामदास शास्त्री, राजकुमार शर्मा, मोतीलाल शिवहरे, बृजमोहन शिवहरे, शोभा विजय शिवहरे, मंजू धर्मेंद्रराज शिवहरे, शालिनी शिवहरे, पूजा नवनीत गुप्ता, नेहा दीपक शिवहरे समेत काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूरा शिवहरे सदन खचाखच भरा हुआ था, जिनमें शिवहरे समाजबंधुओं और महिलाओं के अलावा बड़ी संख्या ऐसे लोगों की थी, जो कौशिकजी महाराज का नाम सुनकर आए थे।
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