शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
हम जैसा जीवन चाहते हैं और जिन सिद्धांतों के साथ जीना चाहते हैं, उसके लिए शक्ति, बल और दृढ़ निश्चय चाहिए। ऐसा नहीं होने पर जीवन में कदम-कदम पर आने वाली मुश्किलों और समस्याओं पर विजय पाना असंभव हो जाता है। मां की उपासना और आराधना का यही सबसे बड़ा फल है। आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री राधाकृष्ण अब देवी मां के उपासकों और साधकों का केंद्र भी बन रहा है। दरअसल मंदिर में बीते दिनों मूर्ति स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में जिन देव-मूर्तियों को प्रतिष्ठापित किया गया हैं, उनमें देवी मां की तीन फुट ऊंची पाषाण (पत्थर शिला) प्रतिमा भी हैं।
शेर पर सवार देवी मां की बेहद सुंदर और शांत प्रतिमा धीरज शिवहरे एवं उनके अनुज नीरज शिवहरे द्वारा अपने पिता स्व. श्री दिनेशचंद्र गुप्ता पुत्र स्व. श्री सुंदरलाल गुप्त की स्मृति में स्थापित कराई गई है। श्री राधे सेवा समिति के अध्यक्ष धीरज शिवहरे ने अपनी मां श्रीमती सुमनलता देवी की इच्छा का मान रखते हुए यह पुण्य कार्य किया है। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान धीरज शिवहरे अपनी धर्मपत्नी श्रीमती दीपा शिवहरे, अनुज नीरज शिवहरे, अनुज-वधु मनीषा शिवहरे, बहन अनीता शिवहरे, बहनोई गौरव शिवहरे, पुत्र अमन शिवहरे, पुत्री जाह्नवी शिवहरे, भतीजे समर्थ शिवहरे, भतीजी कशिश शिवहरे, भांजी श्रेया, आरोही एवं दिगीशा के साथ उपस्थित रहे।
दोनों भाई धीरज और नीरज, स्वयं देवी मां के उपासक हैं, और इससे भी बढ़कर, वे अपनी श्रद्धेय मां के उपासक हैं। मंदिर में देवी मां की मूर्ति स्थापित कर दरअसल उन्होंने अपनी मां श्रीमती सुमनलता शिवहरे की आज्ञा का ही पालन किया है। श्रीमती सुमनतला जी अपने आपमें में एक मां के संघर्ष और ममता की जीती-जागती दास्तान हैं। वहीं, धीरज शिवहरे के पिता स्व. श्री दिनेशचंद्र गुप्ता ने भी बहुत कर्मठता और ईमानदारी से अपना जीवन व्यतीत किया। एक पेपर एजेंसी में उन्होंने 45 वर्ष नौकरी की, और तमाम तंगियों के बावजूद अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। कभी गलत माध्यमों से धन कमाने की लालसा नहीं रखी। वह मानते थे, 'पूत कपूत तो क्या धन संचय, पूत सपूत तो क्या धन संचय।' उन्होंने अपने बच्चों को जिन संस्कारों और सिद्धांतों से समृद्ध किया, उसके बल पर आज वे उनकी स्मृतियों को इस तरह संजोने में सक्षम हुए।
धीरज शिवहरे ने स्क्रीन प्रिंटिंग से अपना करियर शुरू किया था, और फिर अनुज नीरज को भी काम में साथ लिया। आज वे एक प्रिंटिंग प्रेस के स्वामी है और शहर के कई बड़े शू एक्सपोर्ट्स उनके क्लाइंट हैं। वह शास्त्रीपुरम में पश्चिमपुरी चौराहा स्थित पश्चिमपुरी कालोनी में रहते हैं। घर का नाम है 'शिवहरे हाउस' जहां दोनों भाई एक आदर्श परिवार की तरह अपनी मां की छत्रछाया में रहते हैं।
धीरज शिवहरे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। वह शिवहरे जायसवाल महासभा में रहे और वर्ष 2005 में महासभा द्वारा कराए गए परिचय सम्मेलन एवं सामूहिक विवाह के आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी रही। वर्तमान में वह मंदिर श्री राधाकृष्ण प्रबंध समिति के सचिव हैं। साथ ही श्री राधे सेवा समिति के अध्यक्ष भी है, और उनके नेतृत्व में यह संस्था बढ़-चढ़ कर सामाजिक सेवा के कार्य कर रही है।
धीरज शिवहरे का कहना है कि माता-पिता के आशीर्वाद और देवी मां की कृपा से ही वह यह सब कर पा रहे हैं। ईश्वर उन्हें और उनके परिवार को समाजसेवा और सामाजिक सरोकार के कार्यों में भागीदार बनने के अवसर और सामर्थ्य प्रदान करता है, यही उनकी कामना है।
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