शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
ऐसी मान्यता है कि आस्था, श्रद्धा और विश्वास के साथ स्थापित की गई देवप्रतिमा या मूर्ति स्वतः ही दिव्य सामर्थ्यों से पूर्ण हो जाती है। कहा तो यह भी जाता है कि मनुष्य मूर्ति में जिन देव गुणों का आरोपण कर पूजा करने लगता है, कालांतर में वही गुण उसके चरित्र और व्यक्तित्व में प्रकट होने लगते हैं।
भगवान राम और उनके परमभक्त हनुमान के उपासक कुलभूषण गुप्ता रामभाई का व्यक्तित्व इस मान्यता की तस्दीक भी करता है। रामभाई ने आगरा में लोहामंडी स्थित शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री राधाकृष्ण में राम दरबार (राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) की स्थापना कराई है। राम दरबार की उपासना का प्रभाव यह है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा का शमन होता, पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में मधुरता बढ़ती है, साथ ही उपासक की लोकप्रियता में भी वृद्धि होती है। कहना ना होगा कि यह भगवान राम और हनुमान के उपासक होने का ही परिणाम है कि सकारात्मक ऊर्जा रामभाई के चेहरे पर दमकती है, उनके चार भाइयों के आपसी रिश्तों में राम परिवार जैसा ही प्रेम और विश्वास समाहित है, और सर्वसमाज में उनकी लोकप्रियता से हम सब परिचित हैं ही।
नाई की मंडी में गुजराती पाड़ा निवासी चांदी व्यवसायी श्री कुलभूषण गुप्ता रामभाई ने अपने पिता स्व. श्री चिरंजीलालजी शिवहरे एवं माताजी स्व. श्रीमती ब्रह्मादेवी शिवहरे की स्मृति में राम दरबार की स्थापना कराई है। राम दरबार में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की प्रतिमाएं राजस्थान से लाई गई हैं। बीते दिनों मंदिर में मूर्ति स्थापना एवं प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में रामभाई के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अलका, तीनों बड़े भाई एवं भाभी श्री विजय भूषण एवं श्रीमती सुनीता शिवहरे, रविभूषण एवं सुमन शिवहरे, शशि भूषण एवं श्रीमती रेखा शिवहरे और उनकी बहन श्रीमती अनुराधा शिवहरे एवं बहनोई हरिओम शिवहरे भी अपने परिवार के साथ उपस्थित रहे। रामभाई की सबसे बड़ी बहन श्रीमती ह्रदेश कुमारी (कुक्कल) एवं बहनोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते कार्यक्रम में नहीं आ सके। उनकी भतीजी निधि अपने पति मोहित के साथ दुबई से इस कार्यक्रम में शामिल होने आई थीं।
रामभाई बताते हैं कि मंदिर में राम दरबार की स्थापना के पीछे पिताश्री स्व. श्री चिरंजीलालजी शिवहरे की प्रेरणा है। पिताजी स्वयं सदरभट्टी स्थित दाऊजी मंदिर के परम उपासक थे। वह रोडवेड में काम करते थे और शाम पांच बजे छुट्टी के बाद रात दस बजे तक का उसका सारा समय दाऊजी मंदिर की सेवा में ही समर्पित रहता था। वह एक शिक्षित शिवहरे समाज का सपना देखते थे और समाज की भावी पीढ़ी को शिक्षित करने की एक व्यक्तिगत मुहीम भी उन्होंने चला रखी थी। मंदिर में ही वह समाज के बच्चों को निःशुल्क पढ़ाया करते थे। शिवहरेवाणी के संस्थापक स्व. श्री कामताप्रसाद साहू और प्रो. श्यामबाबू शिवहरे भी उनके छात्र रहे थे, जिन्होंने बाद में मास्टरजी की प्रेरणा से ही मंदिर में गरीब समाज के बच्चों के लिए एक निःशुल्क विद्यालय शुरू किया था।
रामभाई की ख्याति एक ऐसे हनुमानभक्त के रूप में भी है जिनके श्रीमुख से सुंदरकांड का पाठ सुनने के लिए लोग लालायित रहते हैं। सुर, लय और ताल की ऐसी त्रिवेणी उनके कंठ से प्रवाहित होती है कि लोग उसमें सराबोर हो जाते हैं। हर मंगलवार को कहीं ना कहीं सुंदरकांड का पाठ करने की डिमांड उनके पास आती है, और वह तमाम व्यस्तताओं से समय निकालकर इस कार्य को अवश्य करते हैं। इसके लिए वह कोई पारिश्रमिक या उपहार नहीं लेते।
रामभाई राजनीति में भी सक्रिय हैं, भाजपा संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। वर्तमान में वह महानगर संयोजक, शासकीय कार्यक्रम (केंद्र एवं राज्य) हैं। वह भारत विकास परिषद, गिरिराज सेवा मंडल, सराफा कमेटी जैसे संगठनों से भी जुड़े हुए हैं। जीवन में भगवान और समाज की सेवा का यूं ही मौका मिलता रहे, यही रामभाई की कामना है, यही भविष्य की योजना है और यही उनका सपना।
रामभाई की धर्मपत्नी श्रीमती अलका गुप्ता भी उन्हीं की तरह धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं। साफ-सफाई के प्रति उनका अनुराग इस कदर है कि घर का कोना-कोना मंदिर जैसी पवित्रता का अहसास कराता है। यही संस्कार उन्होंने अपने बच्चों को भी दिए हैं। बड़ी बेटी प्रियंका गुप्ता दिल्ली में बीबीए कर रही है, जबकि छोटी बेटी श्रुति गुप्ता भी दिल्ली में ही मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रही है। बेटा यश गुप्ता इन दिनों सीबीएसई बोर्ड की इंटरमीडियेट की परीक्षा दे रहा है। जबकि छोटा बेटा शौर्य चौथी कक्षा में पढ़ता है और ट्रांसयमुना में अपने नाना-नानी के पास रहता है जो फीरोजाबाद के पाढ़म से यहां शिफ्ट हो गए हैं।
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