August 6, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

मिसाल बनी सुवालका परिवार के बेटे की शादी..एक बेटी ली तो दस बेटियों का किया कन्यादान

शिवहरे वाणी नेटवर्क
कोटा।
कोटा के प्रतिष्ठित सुवालका परिवार की एक अनोखी पहल इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, आमतौर पर सामूहिक विवाह समारोह सीधे-सीधे दो खेमों में बंटे दिखाई देते है, एक ओर होते हैं आयोजक और दूसरी ओर लाभार्थी। विडंबना यह भी है कि संपन्न और धनाड्य वर्ग से ताल्लुक रखने वाले आयोजक खुद अपने बच्चों की शादी सामूहिक विवाह समारोह में करने को तौहीन समझते हैं। ऐसे में एक मिसाल पेश की है कोटा के धनाड्य सुवालका परिवार ने, जिसने अपने बेटे की शादी को ही सामूहिक विवाह का रूप दे दिया। एक बेटी को बहू बनाकर घर लाए तो दस निर्धन बेटियों को कन्यादान कर अपने घर से विदा किया।
मौका था कोटा के कलाल समाज के पूर्व अध्यक्ष कन्हैयालाल सुवालका पुत्र स्व. श्री बालचंद सुवालका डाबी वालों के पुत्र अमन की शादी का। कोटा के नयापुरा में मारुति कालोनी में रहने वाले कन्हैयालाल सुवालका पांच भाई हैं लेकिन किसी भाई की बेटी नहीं है। कन्हैयालालजी की माताजी श्रीमती दाखांबाई की दिली इच्छा थी कि वह कम से कम एक बेटी का कन्यादान अपने घर से करें। ऐसे में कन्हैयालाल जी ने अपने बेटे की शादी में माताजी की यह इच्छा पूरी करने की ठान ली। 
कुछ महीने पहले जब अमन का रिश्ता ग्वालियर के राधेश्याम शिवहरे की पुत्री दीक्षा शिवहरे से तय हुआ, तभी से कन्हैयालालजी ने ऐसी स्वजातीय कन्याओं की तलाश शुरू कर दी जिनके विवाह में परिवार का आर्थिक संकट आड़े आ रहा हो। जल्द ही यह तलाश पूरी हो गई।  शादी के लिए जयपुर, मांगरौल, लाखेरी, बूंदी, झालावाड़, बकानी, टोक,  इटावा, जैथल, मनोहरथाना, मंडाला, श्रीरामगंज मंडी से कलचुरी कलार समाज की दस ऐसी कन्याएं मिल गईं जिनकी शादी तो तय हो चुकी थी।
बीते सोमवार दस फरवरी को अमन और दीक्षा की शादी कन्हैयालालजी के अपने प्रतिष्ठान ढोला मारू होटल रिसोर्ट में 11 कन्याओं के सामूहिक विवाह समारोह के रूप में संपन्न हुईं। इस समारोह की 11वीं कन्या खुद उनकी होने वाली पुत्रवधु दीक्षा थी। धौलपुर के जिलाधिकारी राकेश जायसवाल और ज्वाइंट सेक्रेटरी पूजा पार्थ इस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। गणेश स्थापना के साथ शुरू हुए विवाह समारोह में तोरण, वरमाला, फेरे, पाणिग्रहण संस्कार, कन्यादान समेत सभी हिंदू रीति-रिवाजों का निर्वहन किया गया। 
 कन्हैयालाल सुवालका और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मीना सुवालका की ओर से प्रत्येक कन्या को कन्यादान के रूप में सोने का मंगलसूत्र, सोने का टीका, सोने की लौंग, चांदी की पायल, बिछिया आदि प्रदान किए गए। साथ ही लहंगा, चुन्नी, गैस चूल्हा, पंखा, साड़ियां, बिस्तर, बर्तन, पलंग, दूल्हे की शेरवानी, सिलाई मशीन, सूटकेस, चांदी के गणेशजी, दीवार घड़ी, आयरन प्रेस, डिनर सेट, मिस्की समेत घर गृहस्थी का सामान भी उपहार में दिया गया। 
माताजी की खुशी का ठिकाना नहीं है, वह कहती हैं कि आज मेरे 5 बेटे और 10 बेटियां हैं। कन्हैयालालजी ने शिवहरे वाणी को बताया कि पूर्व में भी कलाल समाज का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कलार समाज के 78 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्मेलन कराया था। साथ ही सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्समेलन में 11 निर्धन कन्याओं के हाथ पीले किए थे। इस बार मां की इच्छा भी पूरी करनी करनी थी, और उनके दोनों बड़े भाई मोहनलाल सुवालका व ओमप्रकाश सुवालका, और दोनों छोटे भाई रतन सुवालका व  रमेश सुवालका भी यही चाहते थे।
दूल्हे अमन सुवालका का कहना है कि घर में दादादी और माता-पिता की सामाजिक कार्यों में सदैव रुचि रही है। जब पापा ने हमारे विवाह साथ ही दस कन्याओं का विवाह भी कराने की बात रखी तो बहुत खुशी हुई। दुल्हन दीक्षा ने बताया कि उसे यह तो पता था कि उसका होने वाला ससुराल और खासतौर पर ससुरजी प्रतिष्ठित समाजसेवी हैं, लेकिन यह नहीं सोचा था कि हमारा विवाह सामूहिक विवाह समारोह के रूप में किया जाएगा। जब पता चला कि मेरी शादी पर दस निर्धन कन्याओं का विवाह भी होगा तो मुझे ससुरजी पर बहुत गर्व हुआ। पीहर वाले भी इस फैसले से बहुत खुश हैं। मुझे भी अच्छा लगा कि जब रिश्ता तय हुआ था तब मेरी कोई ननद नहीं थी, आज मेरी दस ननद हैं।

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