November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

धौलपुर के ‘रिकार्डधारी’ कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल इस महीने रिटायर होंगे; 32 महीने की शानदार नाबाद पारी के लिए याद रखेगा नागरिक समाज

धौलपुर।
धौलपुर के कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल इस महीने 31 मई को रिटायर होने वाले हैं। मौजूदा सरकार में वह दूसरे ऐसे अधिकारी हैं, जो सबसे अधिक समय तक किसी एक जिले में तैनात रहे हैं। वह 21 सितंबर 2019 को धौलपुर के कलक्टर नियुक्त हुए थे, तब से लेकर इन 32 महीनों में उन्होंने एक शानदार और सफल पारी खेली है। 
खास बात यह है कि राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) से प्रोन्नत आईएएस अधिकारी राकेश कुमार जायसवाल की नियुक्ति ऐसे वक्त हुई थी, जब मई 2018 से सितंबर 2019 तक के 16 महीने के अंदर धौलपुर के तीन कलक्टर बदले गए थे। इनमें शुचि त्यागी, नन्नूमल पहाड़िया और नेहा गिरि शामिल हैं। शुचि त्यागी 8 महीने और नेहा गिरि 9 महीने ही टिक सकी थीं। लेकिन इसके बाद राकेश कुमार जायसवाल बीते 32 महीने से इस पद पर हैं, और यहीं से रिटायर भी होने वाले हैं। मौजूदा सरकार में केवल अरविंद पोरवाल ही ऐसे आईएएस अधिकारी हैं जो 36 महीनों से राजसमंद जिले के कलक्टर पर पर तैनात हैं। जबकि इस दरम्यान कोटा, भरतपुर, बाड़मेर और चित्तौगढ़ जैसे जिलों में 3-4 बार कलक्टर बदले जा चुके हैं। 

धौलपुर के कलक्टर के रूप में एक निहायत सफल कार्यकाल को अंजाम देने की सबसे मुख्य वजह तो राकेश कुमार जायसवाल का प्रशासनिक कौशल ही है, लेकिन एक अन्य कारण धौलपुर से उनका पुराना संबंध भी है। कोटा में जन्मे राकेश कुमार जायसवाल का बचपन धौलपुर के राजाखेड़ा में बीता, जहां उनके पिता तहसीलदार पद पर तैनात रहे थे। कक्षा एक से लेकर आठ तक की पढ़ाई उन्होंने राजाखेड़ा में ही की है। बाद में आरएएस अधिकारी के तौर पर वह 1999 से लेकर 2001 तक धौलपुर में एडीएम पद पर तैनात रहे थे। लिहाजा धौलपुर से उनका एक लोकल कनेक्ट और लोकल टच था. जिले के संवेदनशील मुद्दों पर उनकी एक समझ भी थी। उनके कार्यकाल में यह बात कई बार साबित भी हुई। 2007 में आईएएस में प्रोन्नति होने के बाद वह विभिन्न जिलों और विभागों में कई अहम पदों पर रहे लेकिन जिला कलक्टर के रूप में पहली तैनाती सितंबर, 2019 में धौलपुर में ही हुई जहां से वह रिटायर होने वाले हैं।

उस वक्त धौलपुर की कमान संभालना किसी भी अधिकारी के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। यहां अवैध खनन और अवैध परिवहन की गतिविधियों के साथ ही अपराध भी काफी बढ़ा हुआ था। ऐसी गतिविधियों से कहीं न कहीं राजनीतिक नेताओं के भी संबंध हैं। लिहाजा यहां हर सख्त अधिकारी को उनका विरोध झेलना ही पड़ता है। राकेश कुमार जायसवाल को भी इन हालात का सामना करना पड़ा। कथित तौर पर माफियाओं से जुड़े स्थानीय नेताओं ने जायसवाल को हटाने के लिए राज्य सरकार पर काफी दबाव डाला, लेकिन उनकी साफ-सुथरी कार्यप्रणाली देख राज्य सरकार ने उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त अधिकारी माना और तबादले से इनकार कर दिया। 
राकेश कुमार जायसवाल की सख्त शैली के लिए भी जाने जाते हैं। अप्रैल 2020 में उन्होंने एक मीटिंग के दौरान एक अधिकारी को उसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए जमकर लताड़ा था, यहां तक कि उसे मीटिंग से चले जाने तक को कह दिया। इसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद वह लाइमलाइट में आ गए थे। इसके बाद भी उन्होंने उस अधिकारी को गंभीर कार्यवाही की चेतावनी जारी की थी। जायसवाल नवंबर 2021 को भी सुर्खियों में आए थे, जब बीकानेर की एक कोर्ट ने एक भूमि विवाद में अदालत की अवमानना के दोष में उन्हें एक महीने के सिविल कारावास की सजा सुनाई थी। फिलहाल राकेश कुमार जायसवाल ने अपनी शैली, कौशल और व्यवहार से धौलपुर में एक लोकप्रिय कलक्टर की प्रतिष्ठा अर्जित की है जो उनकी विदाई वेला में भी स्पष्ट तौर नजर आएगी। 
 

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