जौनपुर (उत्तर प्रदेश)।
मां के दूध का कर्ज तो होता ही है, यदि मानें तो एक कर्ज गाय के दूध का भी होता है जिसे पीकर हमारे बच्चे पोषण प्राप्त करते हैं। जॉनपुर के दिनेश जायसवाल और उनके परिवार ने जिस गाय का दूध 17 बरस पिया, उस गाय के दूध का कर्ज अनोखे अंदाज में अदा किया। गाय की मृत्यु के बाद पूरे हिंदू रीति-रिवाज से न केवल उसका अंतिम संस्कार किया, बल्कि बीते रोज उसकी भव्य तेरहवीं भी की जिसमें आसपास के गांवों के हजारों लोगों ने ब्रह्मभोज की प्रसादी (भोजन) ग्रहण की।
यह किस्सा ज़ॉनपुर के महाराजगंज ब्लॉक के गांव तेजी बाजार का है। यहां के प्रतिष्ठित व्यवसायी दिनेश जायसवाल ने बीते रोज 10 सितंबर को अपनी गाय लक्ष्मी की काफी बड़ी तेरहवीं की। शिवहरेवाणी से बातचीत में दिनेश जायसवाल ने बताया कि तेरहवीं के लिए उन्होंने 1000 कार्ड वितरित किए थे औऱ बीते रोज दोपहर से देर रात तक ब्रह्मभोज चलता रहा। उन्होंने बताया कि आसपास के कई गांवों के हजारों लोग ब्रह्मभोज में शामिल हुए। आयोजनस्थल पर लक्ष्मी की एक तस्वीर लगाई गई थी जिस पर लोगों ने फूल अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन-यज्ञ के बाद 13 ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें शैया का पूरा सामान और दक्षिणी देकर विदा किया, जिसके बाद ब्रह्मभोज की अटूट प्रसादी चलती रही।
जौनपुर जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर तेजी बाजार निवासी दिनेश जायसवाल का कस्बे में ही सबमर्सिबल पंप और इंजीनियरिंग वर्क्स का काम है। दिनेश जायसवाल ने बताया कि बीती 29 अगस्त को उनकी गाय लक्ष्मी स्वर्ग सिधार गई थी। परिवार गौसेवा के लिए काफी समय से गाय पालता रहा है। लक्ष्मी 2004 में उनके घर में ही पैदा हुई थी, और 17 साल तक परिवार ने उसका दूध पिया है। लक्ष्मी से पूरे परिवार का इस कदर जुड़ाव हो गया कि 29 अगस्त को उसकी मृत्यु के बाद उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से लक्ष्मी की अंतिम क्रिया कराई। घर के परिसर में ही गड्ढा खोदा गया और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरी रीति-रिवाज से उसे गाड़ा और पिंडी भी बांधी। इसके बाद जब तेरहवीं के निमंत्रण पत्र छपवाकर उन्होंने लोगों को बांटे तो यह चर्चा का विषय बन गया। कार्ड में उन्होंने लिखा कि हमारी पूज्य गौमाता जी लक्ष्मी का निधन 29 अगस्त हो गया है। आपसे अनुरोध है कि 10 सितंबर को तेरही में पधार कर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोक संतृप्त परिवार को सांत्वना प्रदान करें।
दिनेश जायसवाल क्षेत्र में राजनीतिक रसूख भी रखते हैं, बीते दिनों उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गायत्री जायसवाल जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी थीं लेकिन कुछ वोटों से हार गई थीं। उनके दो बेटे हैं, बड़ा बेटा अजीत कारोबार में उनका साथ देता है, जबकि पुत्रवधु खुश्बू कुशल गृहणी है। 8 साल का एक पोता है पार्थ। छोटा बेटा सुजीत जायसवाल पीसीएस की तैयारी कर रहा है, उसका विवाह तय कर दिया है। होने वाली बहू एमए, बीटीसी करने के बाद आईएएस की तैयारी कर रही है। शिवहरेवाणी से बातचीत में दिनेश जायसवाल ने कहा कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, और वह मानते है कि हमारी गऊमाता लक्ष्मी के आशीर्वाद से ही उनका परिवार और कारोबार प्रगति कर रहा है।
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