November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

दीपावली आज; चतुर्ग्रही योग के बीच मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के कई मुहुर्तः; आप कब करेंगे पूजा

दीपावली आज; चतुर्ग्रही के बीच  मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना के कई मुहुर्तः; पूजन के आज कई मुहुर्त
आगरा। 
आज महालक्ष्मी पूजा और दीपावली पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार दिवाली पर तुला राशि में चार ग्रहों के आ जाने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा।

लक्ष्मी पूजा के मुहुर्त

ऑफिस
सुबह 11.20 बजे से दोपहर 1.27
दुकान
दोपहर 2.50 बजे से सायं 4.20
शाम 5.25 से रात 8.10
फैक्ट्री
सुबह 9.00 बजे से पूर्वाहन 11.19
सायं 11.40 से रात्रि 12..31
घर 
दोपहर 2.50 से सायं 4.20 बजे
शाम 5.34 से 8.10 बजे
रात्रि 11.40 से 12.31 बजे

ये सभी शुभ लग्न मुहूर्त हैं। इनमें चौघड़िया का विचार नहीं किया गया है। क्योंकि ज्योतिष ग्रंथों में लग्न मुहूर्त को चौघड़िया से ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।

लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चोघड़िया मुहुर्त

सुबह 6.35 से 7.58 बजे (शुभ)
सुबह 10.42 से दोपहर 2.49 बजे (चर, लाभ, अमृत)
शाम 4.11 से 5.34 बजे (शुभ)
शाम 5.34 बजे से रात 8.49 बजे (चर, अमृत)
रात्रि 12.05 से 1.43 बजे तक (लाभ)
 

पूजन विधि
अपने ऊपर, आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से जल काछिड़काव कर यह शुद्धिकरण मंत्र पढ़ें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यःस्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सबाह्याभ्यंतर: शुचिः।।
ये मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं..
ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नम:, ॐनारायणाय नमः ऊँ ऋषिकेशाय नम:
अनामिका अंगुली से चंदन/रोली लगाते हुए मंत्र पढ़ें-
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।
कलश पूजा
कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, दुर्वा, अक्षत, तुलसी पत्र डालें फिर कलश पर आम के पत्ते रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर वरुण देवता का आहवान मंत्र पढ़कर कलश पर छोड़ें –
आगच्छभगवान् देवस्थाने चात्र स्थिरोभव।
यावत् पूजा समाप्ति स्यात् तावत्वं सुस्थिरो भव।।
फिर कलश में कुबेर, इंद्र सहित सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर के आव्हान और प्रणाम करें।

लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कुबेर, इंद्र और भगवान विष्णु की मूर्ति पर चढ़ाते हुए मंत्र बोलें, सर्वेभ्यो देवेभ्यो स्थापयामि। इहागच्छ इह तिष्ठ। नमस्कारं करोमि। फिर सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम: बोलते हुए सभी देवताओं पर पूजन सामग्री चढ़ाएं।
देवी सरस्वती की पूजा
अक्षत-पुष्प लेकर सरस्वती जी का ध्यान कर के आव्हान करें। फिर ऊँ सरस्वत्यै नम: मंत्र बोलते हुए एक-एक कर के सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। साथ ही इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की पूजा करें। इसके बाद लक्ष्मी पूजा शुरू करें।

दीपमालिका (दीपक) पूजन
एक थाली में 11, 21 या उससे ज्यादा दीपक जलाकर महालक्ष्मी के पास रखें।
एक फूल और कुछ पत्तियां हाथ में लें। उसके साथ सभी पूजन सामग्री भी लें।
इसके बाद ॐ दीपावल्यै नम: इस मंत्र बोलते हुए फूल पत्तियों को सभी दीपकों पर चढ़ाएं और दीपमालिकाओं की पूजा करें।
दीपकों की पूजा कर संतरा, ईख, धान इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं। धान भगवान गणेश, महालक्ष्मी तथा अन्य सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें।
 

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