November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

पुलिस का मानवीय चेहरा पेश कर रहीं हैं डीएसपी आस्था जायसवाल, नई महिला पुलिसकर्मियों को दे रहीं ट्रेनिंग

प्रयागराज।
प्रयागराज में डिप्टी एसपी पद पर तैनात सुश्री आस्था जायसवाल इन दिनों नई चयनित महिला पुलिसकर्मियों को नई तरह की ट्रेनिंग देने को लेकर चर्चा में हैं। प्रयागराज पुलिस लाइन्स में 200 नई महिला पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देते हुए उनका फोकस उन्हें एक ऐसी फोर्स के रूप में डेवलप करने पर है जो समाज के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए अपनी पुलिसिंग को अंजाम दें। फरियादियों की बात संवेदनशीलता के सुनें और समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का कुशलता के साथ निर्वहन करें। आस्था जायसवाल स्वयं भी अपनी ड्यूटी के दौरान ‘पीपुल्स फ्रेंडली पुलिसिंग’ की मिसाल पेश करती हैं।

बता दें कि बलिया जिले के रसड़ा निवासी डा. परशुराम जायसवाल (बीएएमएस) और श्रीमती आरती जायसवाल की पुत्री सुश्री आस्था जायसवाल यूपी पीसीएस-2016 बैच की पीपीएस अधिकारी हैं। उनके भाई डा. आनंद जायसवाल एमबीबीएस चिकित्सक हैं। सुश्री आस्था जायसवाल ने बलिया से ही माध्यमिक शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद पंजाब टैक्नीकल यूनीवर्सिटी से बीबीए करने के बाद पीसीएस की तैयारी की। पीसीएस मेन्स परीक्षा में उन्होंने इतिहास और लोक-प्रशासन विषय के साथ पहले ही प्रयास में सफलता अर्जित की, और पुलिस सेवा को चुना।

शिवहरेवाणी से बातचीत में डीएसपी आस्था जायसवाल ने पीसीएस की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए कहा कि कामयाबी का कोई गुरुमंत्र नहीं है, यदि दिल से चाहते हैं और प्रयास में डेडीकेशन, हार्डवर्क और निरंतरता हैं तो कामयाबी अवश्य मिलेगी। अभ्यर्थी ये न सोचें कि वे एकेडमिक में कैसे थे। यह लाइफ-लॉन्ग एक्सपीरियेंस है, जब जागो तभी सवेरा होता है।

एसपी आस्था जायसवाल ने कहा कि पुलिसफोर्स में महिलाओं की भूमिका पहले के मुकाबले अब कहीं अधिक अहम हो चली है, चाहे वह अपराध नियंत्रण का सवाल हो, वीआईपी सुरक्षा या कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात हो। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ होने वाले अपराधों के नियंत्रण में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसीलिए उनका फोकस नई चयनित महिलाओं को कर्मठ और जिम्मेदार पुलिसकर्मी बनाने पर है। वह इन महिला पुलिसकर्मियों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विशेष ट्रेनिंग सेशन भी चला रही हैं, ताकि अपने जॉब की चुनौतियों से निपटने में खुद को फिट रख सकें।

सुश्री आस्था जायसवाल का कहना है कि इन महिलाओं को इस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है कि समाज के प्रति मानवीय दृष्टिकोण के साथ काम करें और ‘पीपुल्स फ्रेंडली पुलिसिंग’ करते हुए पुलिस और आम नागरिक के बीच की दूरी को पाटने का काम करें। उन्होंने कहा कि  पुलिस की जॉब उतना आसान नहीं है, जितना कि लोगों को लगता है। ऐसी छवि बना दी गई है, जबकि यह बहुत टफ जॉब है और हर पुलिसकर्मी बहुत मेहनत करता है। डीएसपी आस्था जायसवाल का मानना है कि पुलिस समाज की रीढ़ है जो इस समाज को खड़े रखती है, कल्पना कीजिये कि किसी शहर में पुलिस न हो तो वहां कानून व्यवस्था का क्या हाल होगा। पुलिस में मानवीयता है, तभी यह सिस्टम चल रहा है।

 

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