शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा/हमीरपुर।
नारी एक ईश्वरीय कृति है जिसके बगैर आप जीवन की कल्पना नहीं सकते,…स्त्री मातृत्व की देवी है…पुरुषों की पूरक है…जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है। लेकिन, स्त्री की शान में इस तरह के तमाम कसीदे गढ़ने वाले समाज में स्त्री की स्थिति क्या है, किसी से छिपा नहीं है।
हैदराबाद और उन्नाव की हालिया घटनाओं ने फिर साफ कर दिया है कि ये बातें महज किताबीं हैं। इस आधुनिक सदी में भी हमारा समाज महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हो पाया है। महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराध के आंकड़े भी तस्दीक करते हैं कि हर धर्म, जाति और वर्ग की महिलाएं एक बेहद असुरक्षित माहौल मे जी रही हैं। घर के बाहर की तो छोड़ ही दीजिये, घर के अंदर भी वे सुरक्षित नहीं है। और, हमारा समाज भी इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त नहीं है।
एक ताजा मामला हमीरपुर के एक शिवहरे परिवार मे सामने आया, जब रामकुमारी शिवहरे नाम की एक 35 वर्षीय महिला को बेहद गंभीर हालत में उपचार के लिए पब्लिक हैल्थ सेंटर (पीएचसी) में लाया गया। उसके शरीर मे कई घाव थे। यहां तक कि ठीक तरह से चलने में भी असमर्थ थी। ये घाव किसी और ने नहीं, बल्कि उसके पति ने ही दिए थे।
हमीरपुर में राठ के गांव जखेड़ी में रहने वाले हरनारायन शिवहरे ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी राजकुमारी की शादी सुमेरपुर थाना क्षेत्र के बांकी गांव में अखिलेश शिवहरे से की थी। रामकुमारी गर्भवती है। बुधवार को उन्हें पता चला कि अखिलेश ने राजकुमारी के हाथ पांव बांधकर धारदार हथियार से उसे जमकर पीटा है। इस पर वह बांकी गांव में बेटी की ससुराल पहुंचे। वहां राजकुमारी बुरी हालत में थी, उसके शरीर पर कई घाव थे। वह किसी तरह राजकुमारी को छुड़ाकर लाए और उसे पीएचसी ले गए। हालांकि राजकुमारी के पिता ने अभी पुलिस में केस दर्ज नहीं कराया है।
घरेलू हिंसा के मामलों में आमतौर पर यही होता है। स्त्री अपने परिवार और बच्चों की खातिर इसे झेलने को मजबूर हो जाती है। और, उसके मायके वाले भी 'बेटी का घर न बिगड़े' की सोच से पुलिस केस करने से बचते हैं। जैसा कि राजकुमारी के पिता ने भी अभी पुलिस में केस दर्ज नहीं कराई है। वह कहते हैं कि बेटी के पूरी तरह ठीक हो जाए, उसके बाद पुलिस में शिकायत करेंगे।
घरेलू हिंसा दरअसल महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराध का वह पहलू है जो सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। घर के बाहर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर पुलिस बड़ी मुस्तैद रहती है। लेकिन, घरेलू हिंसा मामलों में 'घर का अंदरुनी मामला' मानकर शांत हो जाती है। ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए पुलिस से कहीं बड़ी भूमिका परिवार की होती है। आप अपने बच्चों का लालन-पालन किस तरह कर रहे हैं, उन्हें क्या संस्कार दे रहे हैं, बेटी और बेटे के बीच भेदभाव तो नहीं कर रहे हैं..ऐसी तमाम बातें हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। आप अपने बेटे को महिलाओं के प्रति सम्मान के संस्कार और घर में लैगिक समानता का माहौल दीजिये। महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले तभी थमेंगे और वे सुरक्षित होंगी…घर के अंदर भी और घर के बाहर भी।
समाचार
घर में ही बर्बरता का शिकार हुई राजकुमारी शिवहरे…आपसे कुछ कहते हैं उसके शरीर के घाव
- by admin
- October 29, 2016
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