शिवहरे वाणी नेटवर्क
खरगोन।
वो दिन हवा हुए जब लोग मानते थे कि बुढ़ापे में बेटा ही काम आता है, चिता को बेटा ही दाग देता है..वगैरह-वगैरह। आधुनिक और शिक्षित समाज में बेटों-बेटियों के बीच भेदभाव खत्म हो रहा है। इसका श्रेय उन सुशिक्षित और आत्मनिर्भर बेटियों को जाता है, जो विवाह के बाद भी माता-पिता के लिए बुढ़ापे की लाठी बनीं। बीते दिनों मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में फिर साबित हुआ कि बेटियां किसी भी हाल में बेटों से कम नहीं होतीं।
खरगोन शहर की विवेकानंद कालोनी में रहने वाले श्री जयप्रकाश जायसवाल (77) के निधन के बाद उनकी बेटियों ने तमाम रूढ़ियों को दरकिनार कर पिता की शवयात्रा निकाली और उनकी चिता को मुखाग्नि दी। चार बहनों में सबसे बड़ी मंजूश्री जायसवाल ने बेटे का फर्ज निभाया और पिता को मुखाग्नि दी। छोटी बेटी बिंदूश्री और राजश्री ने पिता की अर्थी को कंधा दिया। राजश्री जानी-मानी टीवी एक्ट्रेस समीक्षा जायसवाल की मां हैं जिन्होंने जी टीवी के लोकप्रिय सीरियल ‘जिंदगी की महक’ में लीड रोल किया था और इन दिनों कलर टीवी के सीरियलों में बहू-बेगम में लीड रोल कर रही हैं।
श्री जयप्रकाश जायसवाल सिंचाई विभाग में सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर के उच्च पद से रिटायर के बाद अपनी पत्नी के साथ प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से जनसेवा में लीन रहते थे। उनकी अंतिम यात्रा में खरगोन के प्रतिष्ठित जनों के साथ कलचुरी समाज के लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
मंजुश्री जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि बीते मंगलवार को पिता का निधन हुआ तो हम तीनों बहनों ने निर्णय लिया कि जब पिताजी ने हमें बेटों की तरह पढ़ाया-लिखाया, आत्मनिर्भर बनाया, तो हमें भी बेटों की तरह ही उनका अंतिम संस्कार करना चाहिए। हमारा यह निर्णय पिता के दिए आदर्शों, शिक्षा और संस्कारों से ही प्रेरित व निर्देशित था।
तीनों बहनो ने गाजे-बाजे के साथ पिता की शवयात्रा निकाली। बिंदुश्री और राजश्री ने पिता की अर्थी को कंधा दिया, वहीं मुक्तिधाम में मंजूश्री ने पूरे विधि-विधान के साथ पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान तीनों बहनों के पति भी मौजूद रहे। चौथी बेटी पद्मश्री ऑस्ट्रेलिया में होने का कारण अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सकीं।
मजूंश्री जायसवाल उज्जैन के सेंट पॉल्स कॉन्वेंट स्कूल में स्पोर्ट्स और योगा की टीचर हैं। शिवहरेवाणी से बातचीत में उन्होंने कहा कि पिता ने मुझ सहित अपनी चारो बेटियों को उच्च शिक्षा दी और उनकी प्रेरणा, सहायता व मार्गदर्शन से आज सभी बहनें आत्मनिर्भर हैं। यही नहीं, पिता ने संगीत की शिक्षा के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा का अमूल्य ज्ञान भी दिया। सभी बहनों ने पिता के दिए प्राकृतिक चिकित्सा ज्ञान और अनुभव को आगे बढ़ाने और समाज को लाभान्वित करने का संकल्प लिया है।
मंजूश्री जायसवाल के पति श्री प्रेम जायसवाल का उज्जैन में स्क्रैप बिजनेस है। उनके दो इंजीनियर बेटे हैं जो बाहर जॉब कर रहे हैं। जयप्रकाशजी की दूसरी बेटी बिंदुश्री मुंबई मे परिवार के साथ रहती हैं, उनके पति श्री वीरेंद्र जायसवाल इंजीनियर हैं। तीसरी बेटी राजश्री जायसवाल इंदौर में हैं, उनके पति मिलिंद जायसवाल बिजनेसमैन हैं। उनकी दो बेटियां है, बड़ी बेटी समीक्षा जायसवाल जानी-मानी टीवी अभिनेत्री हैं। श्री जायसवाल की सबसे छोटी बेटी पद्मश्री पटेल और उनके पति निकुंज पटेल, दोनों ही इंजीनियर हैं और ऑस्ट्रेलिया में जॉब करते हैं।
बेटियों से कम नहीं बेटियां..अपने कर्तव्य समझें
मंजूश्री कहती हैं कि माता-पिता के प्रति बेटियों के भी कर्तव्य होते हैं। खासकर उन बेटियों का जिनका कोई भाई नहीं है, यह कर्तव्य बनता है कि बुजुर्ग माता-पिता के लिए बुढ़ापे की लाठी बनें। उनका कहना है कि बेटियां किसी बेटे से कम नहीं होतीं, और वे कुछ ठान लें तो करके भी दिखा सकती हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा लेता है पूरा परिवार
मंजूश्री ने बताया कि पिता की प्रेरणा से हम सभी बहनों ने अपने-अपने परिवारों को पूरी तरह प्राकृतिक चिकित्सा से जोड़ दिया है। प्राकृतिक चिकित्सा के चलते हमें कभी दवा खाने की आवश्यकता नहीं हुई। आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के बीच अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में पंचकर्म उपचार होता है, जबकि प्राकृतिक चिकित्सा में षडकर्म उपचार होता है। इसमें प्रमुख रूप से फलाहार, रसाहार और उपवास विधि से उपचार किया जाता है। नियति और अन्य क्रियायें भी इसके अंतर्गत आती हैं।
त्रयोदशी पर कपड़ा प्रथा बंद
चारों बहनें मिलकर पिता का त्रयोदशी संस्कार भी करेंगी। 23 नवंबर को होने वाले त्रयोदशी संस्कार पर कपड़ा प्रथा का अनुपालन नहीं किया जाएगा। बता दें कि कपड़ा प्रथा के अंतर्गत त्रयोदशी संस्कार और मृत्युभोज वाले दिन ससुराल पक्ष से परिवार के लोगों के कपड़े आते हैं। स्व. जयप्रकाशी जायसवाल के त्रयोदशी संस्कार के कार्ड में कपड़ा प्रथा बंद करने का स्पष्ट अनुरोध किया गया है।
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