शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
ऐसे समय में जब गांधीजी को दुष्प्रचार तंत्र का निशाना बनाया जा रहा है, जब गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के मंदिर और मूर्तियां बनाने का खेल चल रहा है, गोडसे को गांधी के बरक्स और बराबर पर रखे जाने की साजिशें और दुष्प्रचार चरम पर है, ऐसे में आगरा में शिवहरे समाज द्वारा गांधीजी का 150वीं जयंती समारोह मनाया जाना बेशक स्वागतयोग्य है। लेकिन, बीते रोज मंदिर श्री दाऊजी महाराज परिसर में आयोजित गांधी जयंती समारोह पूरी तरह भाजपा के रंग में ही रंगा नजर आया, जिसे लेकर समाज में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या गांधीजी जयंती के बहाने एक पार्टी विशेष के पक्ष में किसी समाज की छवि को प्रस्तुत करना उचित है। सवाल कार्यक्रम की रूपरेखा को लेकर भी उठ रहे हैं।
कार्यक्रम का हिस्सा बने कई लोगों ने शिवहरे वाणी से इस बात पर अफसोस जताया है कि कार्यक्रम अपनी निर्धारित रूपरेखा के विपरीत रहा। बताया गया था कि गांधीजी के बारे में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा जिसमें समाज के लोग अपने-अपने विचार रख सकते हैं। लेकिन कार्यक्रम में किसी को बोलने का अवसर ही नहीं दिया गया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले लोगों से पूछकर वक्ताओं की एक सूची तैयार करनी चाहिए थी जो नहीं किया गया। केवल मंचासीन अतिथियों ने ही अपने विचार रखे। मुख्य अतिथि विजय शिवहरे द्वारा मंच से दिया गया वक्तव्य पूरी तरह भाजपा के रंग में रंगा हुआ था, और भाजपा का महानगर अध्यक्ष होने के नाते उनसे इसकी उम्मीद भी की जाती है। गांधीजी पर विजय शिवहरे के अलावा दाऊजी मंदिर समिति के अध्यक्ष भगवान स्वरूप शिवहरे और मंदिर श्री राधाकृष्ण के अध्यक्ष अरविंद गुप्ता ने ही अपने विचार रखे।
समारोह में मौजूद एक शिवहरे युवा का कहना है कि मंच से जब अरविंद शिवहरे ने कहा कि गांधीजी के सिद्धांत वर्तमान में प्रासंगिक और व्यवहारिक नहीं हैं, तो उनके इस वक्तव्य पर किसी वक्ता द्वारा कड़ा प्रतिवाद किया जा सकता था, बशर्ते उसे बोलने का अवसर दिया जाता। इस युवा के मुताबिक, विजय शिवहरे ने जब कहा कि गांधीजी को अब तक कांग्रेस ने कैप्चर कर रखा था, तो कोई वक्ता उनके इस दावे का भी जवाब दे सकता था। लेकिन, कार्यक्रम में किसी से यह नहीं पूछा गया कि क्या वह अपने विचार रखना चाहता है। सड़कों पर झाड़ू लगवाने वाला 'स्वच्छता अभियान' भी सत्तारूढ़ पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान का हिस्सा है जिसके पीछे गांधीजी को प्रेरणा बताया जाता है।
एक प्रबुद्ध शिवहरे बंधु ने कहा कि कार्यक्रम पूरी तरह भाजपा के रंग में रंगा नजर आया। ऐसे में गांधी जयंती के नाम पर समाज को एकत्र कर उस पर अपने एकतरफा विचार थोपना और भाजपा समर्थक समाज की छवि पेश करने को पूरे समाज के साथ एक गलत व्यवहार माना जा सकता है। शिवहरे समाज की छवि एक प्रबुद्ध समाज की है, जिसके लोग विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में सक्रिय हैं और बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। आगरा का शिवहरे समाज इसलिए खास है कि इसका पूर्ण समर्थन हासिल करना किसी एक राजनीतिक दल के लिए लगभग असंभव बात है।
एक अन्य शिवहरे बंधु ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि समाज की व्यवस्थाएं लोकतांत्रिक तरीके से चलनी चाहिए। कार्यक्रम को जब विचार गोष्ठी का नाम दिया गया था तो विचारों का स्वतंत्र प्रवाह सुनिश्चित किया जाना चाहिए था, और इसके लिए कार्यक्रम से कुछ देर पहले भी लोगों से पूछकर वक्ताओं की एक सूची बना ली जाती तो यह सुंदर कार्यक्रम अपने लक्ष्य में सफल और अनुकरणीय होता। और, एक प्रबुद्ध व विचारशील समाज के रूप में शिवहरे समाज की छवि को और निखार पाता।
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