November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

दो अक्टूबर को पूरा होगा भगवान स्वरूप शिवहरे का कार्यकाल…अब होगा चुनाव

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज की मौजूदा प्रबंध समिति का तीन वर्ष का कार्यकाल आगामी 2 अक्टूबर को पूरा हो जाएगा। श्री भगवान स्वरूप शिवहरे की अध्यक्षता वाली समिति का कार्यकाल सक्रिय प्रबंधन, रचनात्मक और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ ही निर्भीक निर्णयों एवं साहसिक कार्यप्रणाली के लिए याद रखा जाएगा, जिसके चलते पूर्वजों की यह धरोहर आज अधिक भव्यता और उपयोगिता के साथ समाज के सामने है। 
127 वर्ष पुराना मंदिर श्री दाऊजी महाराज दरअसल निर्माण कला का एक अनुपम उदाहरण है, जिसकी वजह से किसी समय पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में लेने का प्रयास किया था। इसे शिवहरे समाज का सौभाग्य कहें या समाज की चेतना, कि मंदिर की हर प्रबंध समिति ने इसके शिल्प और निर्माण की कलात्मकता को संरक्षित करने और इसकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने का कार्य किया। इसी क्रम में यहां धर्मशाला बनीं, फव्वारे लगे, सौंदर्यीकरण के कार्य हुए, मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं के दरबार बने, और भी बहुत सारे कार्य होते रहे…कुल मिलाकर अगर तफ्सील जुटाई जाए तो पाएंगे कि हर अध्यक्ष ने अपने-अपने समय की आवश्यकता के अनुरूप उपयोगी कार्य कराए। मसलन पूर्ववर्ती अध्यक्ष श्री किशन स्वरूप शिवहरे ने अन्य कार्यों के साथ ही अगले और पिछले आंगन को टट्टर से ढककर यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बंदरों के हमले से सुरक्षा प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य किया था।
2 अक्टूबर 2016 को अध्यक्ष चुने जाने के बाद नई कार्यकारिणी की पहली बैठक में ही श्री भगवान स्वरूप शिवहरे ने मंदिर का जीर्णोद्धार करने की अपनी योजना को स्पष्ट कर दिया था। और आज पूरे तीन वर्ष बाद, उनकी जीर्णोद्धार योजना अपने अंजाम के बिल्कुल आखिरी पायदान पर है।  कभी शिवहरे समाज की धार्मिक, मांगलिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र रहे मंदिर के बहुउद्देश्यीय हॉल और धर्मशाला को नई आवश्यकताओं के अनुरूप नया रूप दिया गया है। यहां अब बेसमेंट के साथ तीन मंजिला बहुउद्देश्यीय भवन है, जहां मांगलिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए पर्याप्त स्पेस और सुविधाएं है। साथ ही साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही व्यावसायिक कांफ्रेंस जैसे आयोजनों की भी खूब गुंजाइश है।  मंदिर के अगले हिस्से में कोई विशेष परिवर्तन नहीं किया गया है और उसका नायाब कलात्मक शिल्प आज भी लोगों को आकर्षित कर रहा है। खास बात यह है कि जीर्णोद्धार का ज्यादातर कार्य मंदिर के अपने संसाधनों से कराया गया है। मंदिर की आय को खासा बढ़ा देना मौजूदा प्रबंध समिति की एक अन्य उपलब्धि है, जिससे मंदिर का सुचारू प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
यह एक सामान्य सत्य है कि किसी भी समाज की किसी महत्वपूर्ण धरोहर का जब कभी पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार होता है तो आपत्तियों का उठना भी लाजिमी है। मौजूदा प्रबंध समिति के कार्यों  और कार्यप्रणाली पर भी आपत्तियां उठीं, विवाद हुए, और यहां तक कि समिति के अंदर भी मतभेद उभरकर सामने आए। हिमायतियों के अपने तर्क रहे, विरोधियों की अपनी दलीलें। ऐसे में अब नए अध्यक्ष पद के चुनाव में समाजबंधुओं के पास अवसर होगा कि समाज के समक्ष अपने नजरिये को औपचारिक रूप से प्रस्तुत करें। चुनाव दो अक्टूबर को ही होगा या किसी अन्य तारीख पर, इसका निर्णय प्रबंध समिति की रविवार 22 सितंबर को होने वाली बैठक में किया जाएगा। 
 

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