January 22, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

चायवाले पीएम के देश में इंजीनियर चायवाला…दिल जीत लेगी हेमंत शिवहरे की दास्तान

शिवहरे वाणी नेटवर्क
नागपुर।
2014 के आम चुनाव से पहली बार 'चायवाला' शब्द के साथ एक खास इज्जत जुड़ी, जब देश की जनता ने एक चायवाले को अपना प्रधानमंत्री चुना। अब नागपुर के कंप्यूटर इंजीनियर हेमंत शिवहरे ने अपने भाई और दोस्त के साथ मिलकर 'चायवाला' की इमेज में चार चांद लगाने का काम किया है। आज के दौर में जब मंदी की मार ने युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है, ऐसे हेमंत शिवहरे की सफलता उन्हें भरोसा दिलाती है कि दृढ़-संकल्प और दृढ़-इच्छाशक्ति के बल पर मुश्किल हालात से निपटा जा सकता है।
कंप्यूटर इंजीनियर हेमंत शिवहरे ने अपने एमबीए भाई कीर्ति शिवहरे और एमसीए दोस्त अविनाश कुमार के साथ मिलकर नागपुर के आईटी पार्क के पास  'टीवोल्यूशन' नाम से चाय की छोटी सी दुकान खोली है जहां ग्राहकों को 65 अलग-अलग स्वाद की चाय उपलब्ध कराई जाती है। इनके ठीये पर 10 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की कीमत की चाय मिलती है, और दुकान पर हर समय ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। आज इनकी कमाई एक इंजीनियर की औसत आय से कहीं ज्यादा है। उनके इस नए तरह के 'स्टार्टअप' की चर्चा पूरे देश में है। 
'टीवोल्यूशन' के डायरेक्टर हेमंत शिवहरे ने वाईसीसी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद दो साल पहले नागपुर में ही नौकरी तलाशी। कई आईटी कंपनियों में कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद हैदराबाद की एक निजी फर्म में काम किया। वेतन कम था और हैदराबाद जैसे शहर में उतने से काम नहीं चल पा रहा था। लिहाजा, कुछ समय बाद वह नागपुर लौट आए और कोई व्यापार करने का फैसला किया। 
इसी सोच-विचार के बीच मन में चाय बनाने का ख्याल आया। उन्होंने इसी क्षेत्र में कुछ अलग करने की ठानी। सबसे पहले उन्होंने अपने घर में चाय बनाने को लेकर नए-नए प्रयोग किए। घर में परिवार के लोगों, मित्रों और मेहमानों को अलग-अलग तरह की चाय पिलाकर उनकी प्रतिक्रिया ली, उनके सुझाव के अनुसार उसमें परिवर्तन किए और इस तरह 65 से अधिक स्वाद की चाय तैयार कर लीं। चाय कैसे सेहतमंद होगी, इस पर रिसर्च वर्क किया। 
अब समस्या पूंजी की थी। हेमंत के पिताजी ने इसमें मदद की। दुकान और मेनू कार्ड परिवार और दोस्तों की मदद से बनाया गया। चाय के नाम तय किए। एक सितंबर 2018 को उन्होंने आईटी पार्क के पास एक खुली गली में ठेले पर चाय का काम शुरू कर दिया। इस काम में अपने भाई कीर्ति और दोस्त अविनाश कुमार को शामिल किया। कहते हैं कि दिल से किया गया काम कभी नाकाम नहीं होता। हेमंत के साथ भी यही हुआ। देखते ही देखते हेमंत की चाय का स्वाद लोगों के दिलो-दिमाग पर छा गया। सात महीनों के भीतर स्थिति यह हो गई कि शहर के विभिन्न हिस्सों से लोग केवल चाय पीने के लिए आईटी पार्क के पास हेमंत के ठीये पर पहुंचने लगे। 
हेमंत की दुकानों में कई अलग-अलग स्वाद की चाय हैं। जैसे चॉकलेट, इलायची, अदरक, गुलाब, लौंग, काली मिर्च, हल्दी, तुलसी, नींबू, पुदीना, हर्बल…। ये चाय 10 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की कीमत की हैं। हेमंत ने स्वयं चाय की छह किस्में विकसित कीं, जो कहीं और नहीं मिल सकतीं।  


हेमंत शिवहरे बताते हैं कि सही नौकरी नहीं मिलने पर मैंने ऐसा काम करने का फैसला किया जिसमें मुझे आनंद मिले। खाना बनाने में मुझे हमेशा खुशी मिलती थी। इसीलिए चाय बनाने के व्यवसाय को चुना..और आज मुझे अपनी मां के हाथ के मसाले और मेरी मेहनत के कारण एक इंजीनियर से ज्यादा कमाई करने पर गर्व है। हेमंत ने शिवहरे वाणी को बताया कि चाय बनाना एक ऐसा बिजनेस है जिसे कम लागत से शुरू किया जा सकता है। हालांकि गुणवत्ता को बनाए रखना इसमें सफलता की पहली शर्त है, जिसके लिए हमें रोज एक संघर्ष से गुजरते हैं, और जीतते हैं। नागपुर में त्रिमूर्ति नगर के रहने वाले हेमंत शिवहरे के पिता आटा चक्की चलाते हैं, मां गृहणी हैं। 
 

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