शिवहरे वाणी नेटवर्क
सीतापुर/महराजगंज।
अपने बच्चे के भविष्य का ख्वाब संजोना हर माता पिता का कर्तव्य है। लेकिन, उन ख्वाबों को बच्चों पर थोपना नहीं चाहिए। जरूरी है कि बच्चों के रुझान के अनुरूप ही उनके भविष्य को लेकर कोई सपना बुनें और उसे साकार करने में हर कदम पर उसका साथ दें। शनिवार को घोषित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा यानी पीसीएस-जे में करिश्मा जायसवाल और आकांक्षा जायसवाल की शानदार कामयाबी की कहानी यही बयान करती है। छोटे नगरों और बेहद साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि की इन दोनों युवतियों ने साबित किया है कि इरादे बुलंद हों तो मंजिल पास है।
महाराजगंज जिले के पिछड़े कसबे फरेंदा की करिश्मा जायसवाल क्षेत्र के युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। वह दिल्ली में रहकर परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। शनिवार को परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद से यहां के लोग उनका इंतजार कर रहे थे। सोमवार को वह यहां पहुंची तो लोगों ने रेलवे स्टेशन पर उनका जोरदार स्वागत किया। स्वागत करने वालों में सबसे आगे थे उनके पिता मनोज जायसवाल जिन्होंने इन पलों का सपना पलकों पर संजो रखा था। फरेंदा में चौरहिया गोला के रहने वाले मनोज जायसवाल जनरल स्टोर चलाते हैं। साधारण आर्थिक स्थिति में भी उन्होंने बेटी करिश्मा की पढ़ाई लिखाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। करिश्मा ने सेठ आनंदराम जयपुरिया से 2009 में हाईस्कूल और 2011 में इंटरमीडियेट की परीक्षा पास की। इसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 2014 में बीए किया और फिर 2017 में दिल्ली विवि से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद करिश्मा ने दिल्ली में ही रहकर पीसीएस जे की तैयारी की। कड़ी मेहनत और लगन रंग लाई। पीसीएस-जे की परीक्षा में उन्हें 307वां स्थान मिला है। करिश्मा जायसवाल अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और भाई व अपने टीचरों को देती हैं।
इसी तरह सीतापुर की आकांक्षा जायसवाल की सफलता की कहानी भी प्रेरित करने वाली है। तहसील में बैनामा लेखक दिलीप जायसवाल और उनकी पत्नी श्रीमती रमा जायसवाल ने अपने बच्चों के भविष्य को लेकर जो सपने देखे, उन्हें साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तीसरे नंबर की बेटी आकांक्षा जायसवाल को वे जज बनाना चाहते थे। आकांक्षा ने भी पिता के सपने को अपना लक्ष्य ठान लिया था। आकांक्षा ने बीएनडी कालेज से एलएलबी की परीक्षा पास की और फिर पीसीएस-जे परीक्षा की तैयारी जुट गई। दिन-रात एक कर दिया, और अब कामयाबी का अनमोल तोहफा अपने माता-पिता को दिया। आकांक्षा की सबसे बड़ी बहन प्रियंका बैंक ऑफ बड़ौदा में ब्रांच मैनेजर है। दूसरे नंबर की बहन वैशाली बीमा अधिकारी है। तीसरे नंबर की स्वयं आकांक्षा है जो अब जज हो गई है। सबसे छोटी बहन कृताक्षी इनफोसिस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। भाई ओम जायसवाल सबसे छोटा है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। आकांक्षा गर्व से कहती है कि उसने अपने पिता का सपना पूरा किया है, जिसमें उसकी मां ने कदम-कदम पर उसका साथ दिया।
इसके अलावा जिन अन्य कलचुरी युवाओं ने पीसीएस-जे की परीक्षा मे कामयाबी हासिल की है, उनमें तुषार जायसवाल, रंजीत जयसवाल, उत्कृष्ट जायसवाल और राहुल जायसवाल के नाम शामिल हैं जिनसे संपर्क कर हम अगले आलेखों में उनके बारे में जानकारी देंगे।
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