August 7, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

चुनाव में ही अपने दर्द का इलाज क्यो देखते हैं नरेश जायसवाल

शिवहरे वाणी नेटवर्क
अहमदाबाद।
नरेश जायसवाल का पहला परिचय तो यही होना चाहिए कि वह एक आम इंसान है, और इसी रूप में वह अपनी पहचान चाहता है। लेकिन अफसोस…. हम सभ्य इंसानों ने अपनी सोच में गैर-बराबरी की इतनी गहरी खाइयां पैदा कर ली हैं, कि हमारी अंतरात्मा उनमें बंधक बनकर रह गई है। नरेश जायसवाल यूं नहीं कहते कि मेरे कुत्ते इंसानों से बेहतर हैं। नरेश ने 28 साल के अब तक के जीवन के हरेक दिन प्रताड़ना,  लांछन और जलालत के घूंट पिये हैं, जबकि उसका कोई कसूर भी नहीं। 
आगे ऐसा जीवन न जीना पड़े, यही सोचकर नरेश जायसवाल उर्फ राजू माताजी ने इस बार अहमदाबाद ईस्ट लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा है। बीती 23 अप्रैल को यहां मतदान हो चुका है। नरेश ने ऐसी कोई उम्मीद नहीं पाल रखी है कि वह जीतकर सांसद बन बनेंगे। वह जानते हैं कि इस बार ऐसा नहीं होने वाला। लेकिन, समाज में ट्रांसजेंडर्स को सम्मान दिलाने की उनकी यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी। 
नरेश जायसवाल को इलाके के लोग राजू माताजी के रूप में जानते हैं, और इसी रूप में उन्हें खैरात मिलजी है जिस पर उनका जीवन यापन होता है। वह कहते हैं कि पूरी दुनिया में थर्ड जेंडर की आवाज सुनी जाने लगी है, भारतीय समाज की सोच भी बदलनी चाहिए। जरूरी है कि थर्ड जेंडर्स के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए सरकारी स्तर पर ठोस नीतियां बनाई जाएं। इसी आवाज को बुलंद करने के लिए वह चुनाव लड़ते हैं। वह अहमदाबाद नगर निगम और विधानसभा के चुनाव भी लड़ चुके हैं। यह अलग बात है कि अहमदाबाद ईस्ट लोकसभा क्षेत्र की मतदाता सूचियों में थर्ड जेंडर के महज 67 लोग अन्य की श्रेणी में पंजीकृत हैं और 23 अप्रैल को हुए चुनाव में इनमें से केवल 12 लोगों ने ही मतदान किया। नगर निगम के चुनाव में नरेश को अपनी लोकप्रियता के बल पर 1703 वोट मिले थे। इस बार इससे अधिक वोट मिलने की उम्मीद है। 
 अहमदाबाद के बापूनगर में बारओर्डी वाली चाल के एक कमरे में रहने वाले नरेश जायसवाल बताते हैं, एक समय था जब वह सेना में भर्ती होने का सपना देखते थे, छह फीट से अधिक उनकी लंबाई और सुडौल शरीर इसके लिए उपयुक्त भी था।  लेकिन, सब भूल जाना पड़ा, जब अहसास हुआ कि समाज और सिस्टम उन्हें एक आम इंसान के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। 
नरेश कहते हैं, यदि भगवान ने हमें ऐसा बनाया है, इसमें हमारा दोष क्या है? क्या हमें जीने का अधिकार नहीं है? समाज को थर्ड जेंडर को भी इंसान मानना ही होगा और उनके प्रति सम्मान दर्शाना ही होगा। ” नरेश ने बापूनगर के बालकृष्ण स्कूल में कक्षा दस तक की पढ़ाई है और दसवीं की बोर्ड परीक्षा उन्होंने डिस्टिंक्शन (75% से अधिक अंक) के साथ पास की थी। 
नरेश जायसवाल कहते हैं कि वह 200 रुपये रोज कमा पाते हैं और चुनाव लड़ना उन जैसों के बस की बात नहीं है। उन्होंने कुछ पैसे खर्च कर पेंफलेट्स छपवाए। प्रचार में उनके साथ केवल दो खास समर्थक रहे, ये थे उनके ही इलाके के दो बच्चे जिनमें से एक अनाथ है। भारी शरीर के नरेश दीवार पर चढ़कर पेंफलेट्स नहीं चिपका सकते थे, ये काम इन दोनों बच्चों ने पूरी-पूरी रात किया। 
नरेश अपने माता-पिता और पांच कुत्तों के साथ रहते हैं। बकौल नरेश, 'मेरे कुत्ते इंसानों से बेहतर हैं, जो मुझे बिना शर्त प्यार करते हैं, और उस रूप में स्वीकार करते हैं, जिस रूप में मैं हूं।'  नरेश फिलहाल इंग्लिश बोलने की कोचिंग भी ले रहे है। उनका सपना है कि वह संसद में खड़े होकर अंग्रेजी में बात करते हुए थर्ड जेंडर की समस्याओं को उठाए, उनके समाधान के लिए उपयुक्त कानून बनाने की पुरजोर वकालत करें। उन्हें पूरा भरोसा है कि इस बार नहीं तो अगली बार सही, संसद में जरूर पहुंचेगा। सैनिक बनने का सपना तो अधूरा रह गया लेकिन यह सपना जरूर पूरा होगा। 
 

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