August 5, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

मार्निंग वॉक पर गए जितेंद्र शिवहरे का शव रेल पटरी पर मिला

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा। 
आगरा के सिकंदरा निवासी जितेंद्र शिवहरे (35 वर्ष) की दुखद मौत हो गई है। जितेंद्र घर से मार्निंग वॉक पर निकला था, दोपहर को उसका शव रेल पटरी पर क्षत-विक्षत हालत में मिला। बताया जाता है कि जितेंद्र आर्थिक कारणों से काफी परेशान रहता था, और डिप्रेशन की हालत में आ गया था। पुलिस इसे खुदकुशी का मामला मान रही है। परिवार की ओऱ से भी किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं दी गई है। सोमवार दोपहर को जितेंद्र का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उठावनी बुधवार को शिवहरे कालोनी स्थित निवास पर सायं 4 से 5 बजे के बीच होगी। 
जानकारी के मुताबिक, सिकंदरा स्थित शिवहरे कालोनी में रहने वाले प्रतिष्ठित शिवहरे परिवार के श्री मोहनचंद्र शिवहरे के पुत्र जितेंद्र शिवहरे उर्फ प्रिंस की सिकंदरा मार्केट में पान की दुकान थी। करीब दो-ढाई साल पहले सिकंदरा मार्केट में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था, जिसके बाद से बाजार के अन्य दुकानदारों की तरह जितेंद्र की दुकानदारी भी काफी कम हो गई थी, जिससे वह आर्थिक संकट में आ गया। रविवार सुबह करीब सात बजे जितेंद्र घर से मार्निंग वॉक की कहकर निकला था। दोपहर तक नहीं लौटा तो परिजनों ने उसे तलाशना शुरू किया। इस बीच पुलिस को रेल पटरी पर एक अज्ञात शव क्षत-विक्षत हालत में पड़ा होने की सूचना मिली। शव इस हालत में था कि उसकी शिनाख्त कर पाना मुमकिन नहीं लग रहा था। इसकी जानकारी मिलने पर परिजनों भी मौके पर पहुंचे औऱ कपड़ों के आधार पर उसकी पहचान जितेंद्र के रूप में की। पुलिस ने सोमवार सुबह शव को पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया। दोपहर को गमगीन माहौल में जितेंद्र का अंतिम संस्कार कर दिया गया। 
जितेद्र की पत्नी रीना शिवहरे का रो-रोकर बुरा हाल है। उसके सामने पुत्र सजल (5 वर्ष) और पुत्री आर्या (2 वर्ष) के भविष्य का सवाल खड़ा हो गया है। रीना शिवहरे बुरहानपुर के व्यवसायी नारायण दास शिवहरे की पुत्री है, उसका विवाह 2011 में हुआ था। जितेंद्र अपने पिता श्री मोहन चंद्र शिवहरे के तीसरे नंबर का पुत्र था। जितेंद्र के तीनों भाई रिंकू शिवहरे, प्रदीप शिवहरे औऱ रूपेश शिवहरे इस हादसे से स्तब्ध हैं। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका भाई जो हमेशा उनके साथ रहा, संघर्षशील रहा, वो जीवन की चुनौतियों से इतनी जल्दी हार मान लेगा। यह इतना गैर-जिम्मेदार भी नहीं लगता था कि पत्नी और अबोध बच्चों की अधर में छोड़कर अपनी जिंदगी यूं खत्म कर लेता। 

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