February 22, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

सहयोग की डोर से बंधा है समाज….मरहूम विनोद के परिजनों को मिलेगा न्याय

शिवहरे वाणी नेटवर्क
लखनऊ। 
विभिन्न समाजों अथवा जातियों से जुड़े सामाजिक संगठन आज भले ही राजनीतिक शक्ति बढ़ाने के नाम पर स्वजातीय लोगों को एकजुट करने का मंच बनकर रह गए हैं. जिसकी वजह से उन पर जातिवाद को बढ़ावा देने की तोहमत लगती रहती है। एक दौर ऐसा भी था जब ऐसे संगठनों के लिए सामाजिक सरोकर सर्वोपरि हुआ करते थे। भारतवर्ष को अंधविश्वास और कुरीतियों से मुक्त कराने में सामाजिक संगठनों की बहुत महत्वपूर् और निर्णायक भूमिका रही है। और आज भी कभी-कभार ही सही, इन संगठनों के ऐसे कार्य सामने आते रहते हैं, जो समाज में सहयोग के लिए प्रेरित करते हैं। 
ताजा मामला उत्तर प्रदेश जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा से जुड़ा है, जिसने समाज में मानवीय मूल्यों और न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष व सहयोग की एक मिसाल पेश की है। दरअसल उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के मूल निवासी विनोद जायसवाल (35) एक साधारण परिवार के थे और रोजी-रोटी के लिए मुंबई में मजदूरी कर रहे थे। वह शांताक्रूज इलाके में रहते थे और इन दिनों इसी इलाके में बिल्डिंग में मजदूरी रहते थे। बीती 22 मार्च को एक साइट पर काम करने के दौरान करंट लगने से उनकी मृत्यु हो गई। बताते हैं कि स्थानीय पुलिस मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में थी। इसका पता चलने पर सिद्धार्थनगर के समाजसेवी और उत्तर प्रदेश जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के पदाधिकारी श्री योगेंद्र जायसवाल व महासभा के प्रदेश संगठन मंत्री श्री घनश्याम जायसवाल (बांसी निवासी) ने लखनऊ में वरिष्ठ समाजसेवी एवं पत्रकार श्री अजय कुमार जायसवाल और महासभा के वरिष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी अटल कुमार गुप्ता को यह जानकारी देते हुए मुंबई में मदद कराने का अनुरोध किया। संयोग से इस दौरान मुंबई के समाजसेवी कृष्ण कुमार जायसवाल लखनऊ में ही थे। श्री अजय कुमार जायसवाल और श्री अटल कुमार गुप्ता ने श्री कृष्ण कुमार जायसवाल से  मुलाकात की और इसके बाद इन लोगों ने दूरभाष से मुंबई में समाज के प्रतष्ठित लोगों से बात की। 
दिल से की गई यह कोशिश रंग लाई। उनके अनुरोध पर भारतीय कलचुरी जायसवाल समवर्गीय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालचंद गुप्ता, वरिष्ठ कांग्रेस नेता संजय निरूपम के निजी सचिव श्री सर्वेश जायसवाल तत्काल शांताक्रूज थाने पहुंच गए। मामले की जानकारी ली तो मुंबई पुलिस का रुख बेहद लचर नजर आया और वह मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में थी। इस बीच लखनऊ से महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक श्री सुबोध जायसवाल को भी व्हाट्सएप मैसेज के जरिये मामले की पूरी जानकारी देते हुए न्यायोचित कार्रवाई करने का आग्रह किया गया। परिणाम यह हुआ कि 23 मार्च को मुंबई पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। मृतक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया। 24 मार्च को एय़र एंबुलेंस के जरिये उनके शव को लखनऊ भिजवाया जहां दुख की घड़ी में परिवार को हौसला बंधाने के लिए लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पर समाज के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे। यहां से शव को एंबुलेंस से उनके पैतृक गांव भिजवा दिया गया। 
जरा सोचिये..अपने गांव से एक हजार किलोमीटर दूर एक विकसित महानगर में रहने वाले साधारण मजदूर परिवार के लिए विपदा की घड़ी में सामाजिक संगठनों के सहयोग से न्याय का मार्ग प्रशस्त हो सका। साधारण सी लगने वाली यह घटना सभी स्वजातीय संगठनों के लिए एक सबक है कि उनके लक्ष्य समाज के सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में परस्पर सहयोग पर केंद्रित होने चाहिए। सामाजिक और आर्थिक रूप से शक्तिशाली समाज कभी राजनीतिक उपेक्षा का शिकार नहीं हो सकता। 
 

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