February 25, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

नीरू शिवहरे…जिंदगी के लिए एक ही गुर्दा काफी है

इंदौर।
मध्य प्रदेश के इंदौर में बीती 3 फरवरी को ‘स्वस्थ इंदौर’ की परिकल्पना के साथ ‘इंदौर मैराथन’ का आयोजन हुआ। 5 किलोमीटर की इस मैराथन में हजारों लोगों के बीच एक महिला ऐसी भी थी जिसने एक किडनी होते हुए भी यह दौड़ पूरी की, सिर्फ लोगों को बताने के लिए एक किडनी से भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है, एक किडनी से किसी को जीवनदान दिया जा सकता है। नीरू शिवहरे नाम है उनका, जिन्होंने किडनी की बीमारियों के साथ ही उसके उपचार, डायलिसिस, प्रत्यारोपण और अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने को ही अब अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है। 
कभी दोनों किडनी फेल होने के बाद छह साल तक डायलिसिस पर रहीं नीरू शिवहरे आज अंगदान के क्षेत्र में एक जाना-माना चेहरा बन चुकी हैं और मुस्कान नाम के एनजीओ के साथ काम कर रही हैं। श्रीमती नीरू शिवहरे ने शिवहरे वाणी से बातचीत में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि किडनी खराब होने की स्थिति में मरीज को हताश नहीं होना चाहिए, सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ दृढ़ इच्छाशक्ति रखनी चाहिए। नीरू बताती हैं, 2010 में मेरी दोनों किडनी फेल हो गईं थीं, छह साल तक डायलिसिस कराना पड़ा। किडनी ट्रांसप्लांट होनी थी, परिवार में किसी की किडनी मैच नहीं कर रही थी। लेकिन मेरे पति अजय शिवहरे ने हिम्मत नहीं हारी। वह लगातार किडनी डोनर की तलाश करते रहे। 
9 मार्च, 2016 की शाम को अजय के पास फोन आया कि अंगदान सोसायटी के जरिये एक मरीज की एक किडनी मिल सकती है। अजय ने तत्काल अंगदान सोसायटी से संपर्क किया और अगले ही दिन 10 मार्च को नीरू को एक किडनी प्रत्यारोपित कर दी गई। आज नीरू पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी रही हैं। 

admin

पहले चित्र में बीमारी के दौरान नीरू शिवहरे, और दूसरे चित्र में ठीक होने के बाद अब की नीरू
ग्वालियर में दौलतगंज निवासी श्री राजेंद्र शिवहरे की पुत्री नीरू शिवहरे शादी के बाद से इंदौर में रह रही हैं। पति अजय शिवहरे बामौर के निवासी हैं औऱ ब्रिजस्टोन कंपनी में इंजीनियर के तौर पर इंदौर में पोस्टेड हैं। 15 साल की बेटी है और 11 वर्ष का बेटा। किडनी की बीमारी के वो दिन नीरू के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं थे। बेटा महज ढाई साल का था तब डायलिसिस पर आ गईं। डायलिसिस की मियाद भी लगातार कम हो रही थी। वजन घटकर 25 किलो रह गया। ऐसे में पति अजय शिवहरे ने उनको हिम्मत बंधाने का काम किया। वह नीरू को गोद में उठाकर कभी डाक्टर के यहां ले जाते, कभी डायलिसिस के लिए जाते। नीरू के लिए उन्होंने सबकुछ दांव पर लगा दिया। 

admin
नीरू की कहानी उन तमाम लोगों में जिंदगी की आस बंधाती है, जो किडनी की बीमारी से हताश हो गए हैं। अब पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद नीरू ने अपना जीवन किडनी के मरीजों की सहायता करने में समर्पित कर दिया है। नीरू बताती हैं कि यदि जीने की लालसा है तो बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना कर सकते हैं। मुझे भी जीना था, अपने बच्चों के लिए, पति के लिए। किडनी के मरीजों को ऐसे दोस्तों, रिश्तेदारों से दूर रखा जाना चाहिए जो अपने दुखी चेहरों के साथ मरीज से मिलते हैं और सहानुभूति जताते हैं, इससे मरीज का हौसला टूटता है।  नीरू ने किडनी मरीजों के कई ग्रुप बनाएं हैं। वे मरीजों को किडनी के उपचार को लेकर जागरूक करती हैं, हौसला बढ़ाती हैं, वहीं लोगों को यह समझाती हैं कि जिंदगी तो एक किडनी से भी सामान्य रूप से चलती है, एक किडनी से किसी जीवनदान दिया जा सकता है।

ो्सगल 
किडनी के उपचार में डायलिसिस एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। डायलिसिस में मशीन या उपकरण से खून को फिल्टर किया जाता है। यह प्रक्रिया किडनी की विफलता के समय तरल पदार्थ व इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलन में रखने में मदद करती है। नीरू शिवहरे बताती हैं कि एक बार के डायलिसिस में आमतौर पर 2000 रुपये लगते हैं लेकिन कई सरकारी योजनाएं हैं जिसमें यह डायलिसिस मामूली खर्च में भी हो सकता है। गरीबों के लिए निःशुल्क भी होता है। प्रत्यारोपण का खर्चा 6-7 लाख रुपये आता है, सरकार की कल्याणकारी योजना के तहत 2 से 2.5 लाख रुपये की सहायता मिल जाती है। आयुष्मान योजना में 5 लाख रुपये तक की मदद हो जाती है। 

admin
नीरू का अर्थ होता है रोशनी, नीरू अपने नाम के अनुरूप कई जिंदगियों के लिए रोशनी बन गई हैं। उनके पास दूर-दराज के शहरों से फोन आते हैं, लोग उनसे बीमारी के उपचार के लिए उचित मार्गदर्शन लेते हैं, सरकारी योजनाओं की जानकारी लेते हैं और डोनर्स तलाशने में उनकी सहायता लेते हैं। किडनी उपचार के क्षेत्र में नीरू के विशेष योगदान के लिए मुस्कान ग्रुप द्वारा वर्ल्ड किडनी डे के उपलक्ष्य में 11 मार्च को आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया। हर साल मार्च महीने का दूसरा शुक्रवार वर्ल्ड किडनी डे के रूप में मनाया जाता है। किडनी को हम वृक्क या गुर्दा भी कहते हैं। 150 ग्राम के वजन की बीज के आकार वाली किडनी शरीर के अंदर की गंदगी को साफ करती है और खून को फिल्टर करती है। 
 

    Leave feedback about this

    • Quality
    • Price
    • Service

    PROS

    +
    Add Field

    CONS

    +
    Add Field
    Choose Image
    Choose Video