शिवहरे वाणी नेटवर्क
मंडला।
मध्य प्रदेश में मंडला के हर्षल चौधरी की मेहनत, संकल्प, समर्पण और अनुशासन रंग लाए। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा बीते रविवार को राज्य सेवा परीक्षा-2018 के प्राप्तांकों की सूची जारी की गई जिसमें हर्षल ने 1575 में से 1023 अंक हासिल कर टॉप किया है। हर्षल ने डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट को वरीयता दी थी, लिहाजा टॉपर होने के नाते उन्हें पसंदीदा पद मिलना तय है। हर्षल की कामयाबी पर मंडला के कलचुरी समाज ने हर्ष जताया है। बीते रोज समाज की ओर से उनका सम्मान भी किया गया।
मंडला के महाराजपुर निवासीआटा चक्की व्यवसायी श्री जितेंद्र चौधरी के पुत्र हर्षल चौधरी की सफलता इस बात की तस्दीक करती है कि यदि अनुशासन और समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं। हर्षल चौधरी ने सेल्फ-प्रिप्रेशन (स्वाध्याय) की, यूट्यूब पर उपलब्ध क्लासेज वीडियोज की मदद भी ली, लेकिन ध्यान भटकाने वाले सोशल मीडिया से सख्त दूरी बनाए रखी। शिवहरे वाणी से बातचीत में हर्षल चौधरी ने कहा कि तैयारी करने में रणनीति से कहीं अधिक अहमियत इस बात की है कि आप कितने अनुशासित और समर्पित हैं।
हर्षल चौधरी शुरू से ही होनहार छात्र रहे हैं। 10वीं और 12वीं की पढ़ाई मंडला से ही की, उसके बाद 2009 में एआईईईई परीक्षा के जरिये रायपुर स्थित एनआईटी में दाखिला लिया। माइनिंग इंजीनियरिंग से बीटैक में सिल्वर मैडल हासिल किया। 2013 में वह कोल इंडिया लिमिटेड में सहायक प्रबंधक पद के लिए चुन लिए गए। फिलहाल अनूपपुर में पोस्टेड हैं।
हर्षल चौधरी ने शिवहरे वाणी को बताया कि करीब एक साल पहले उन्होंने सिविल सेवा में जाने का निर्णय किया और फिर परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। पढ़ाई में कोई बाधा न आए, इसके लिए उनकी मम्मी उनके पास रहती थीं । हर्षल कहते हैं कि शुरू में आत्मविश्वास डगमगा रहा था, सोचता था कि साढ़े चार लाख अभ्यर्थियों में से कैसे सफल हो पाउंगा, कई अभ्यर्थी तो सालों से कोचिंग लेकर तैयारी कर रहे है। लेकिन मम्मी ने हमेशा मोटीवेट किया, और इस मोटीवेशन ने दवा का काम किया। हर्षल ने खुद ही तैयारी की, प्रारंभिक परीक्षा में सफलता से आत्मविश्वास बढ़ा। मेन्स से एक महीने पहले उन्होंने इंदौर जाकर कोचिंग की, आंसर राइटिंग और टेस्ट सीरीज ज्वाइन की। मॉक इंटरव्यू भी दिए। हर्षल बताते हैं कि उन्हें सफलता मिलने का भरोसा था लेकिन टॉप करना तो ऐसे है जैसे सपना सच हो गया ।
हर्षल अपनी कामयाबी में 80 फीसदी योगदान सेल्फ-प्रिप्रेशन को देते हैं, 20 फीसदी योगदान कोचिंग का रहा है। हालांकि वह यह भी मानते हैं कि कोचिंग करना अभ्यर्थी की क्षमता पर निर्भर करता है। अभ्यर्थी को स्वयं का आकलन करना चाहिए। कोचिंग एक विकल्प हो सकता है लेकिन जरूरी हीं है। आजकर यूट्यूब पर भी बहुत सारी सामग्री उपलब्ध हैं, हर टॉपिक पर क्लासेज के वीडियोज उपलब्ध हैं।
27 वर्षीय हर्षल चौधरी डिप्टी कलेक्टर के रूप में अपनी भावी जिम्मेदारी को लेकर भी गंभीरता से सोचते हैं। वह स्वीकार करते हैं कि समाज और प्रशासन के बीच संकोच, भय और बल की दीवार है जो प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक बाधा का काम करती है। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में वह प्रशासन और समाज के बीच की दूरी कम करना चाहेंगे।
फिलहाल हर्षल चौधरी की कामयाबी से परिवार में खुशियों का माहौल है। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। मंडला के कलचुरी समाज ने हर्षल के घर जाकर बधाई दी, उन्हें माला पहनाई और मुंह मीठा कराया। उन्हें बधाई देने वालों में समाज के जिलाध्यक्ष बी.के. राय, आरके राय, अनूप जायसवाल, धीरेंद्र चौधरी, ओपी चौकसे, आरके पशीने, वीरेंद्र वर्मा, रीतेश राय, विजय राय आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।
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