शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
वर्ष 2019 संपूर्ण समाज के लिए मंगलकारी हो, इस कामना के साथ शिवहरे समाज एकता परिषद ने सुंदरकांड के पाठ का आयोजन किया। आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज में कुलभूषण गुप्ता रामभाई और उनकी टीम ने सुंदरकांड के सभी तीन श्लोकों, साठ दोहों और 526 चौपाइयों को सुर, लय और ताल में इस तरह पिरोकर प्रस्तुत किया, कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो गए। इस दौरान परिषद की ओर से हनुमानजी को पोशाक चढ़ाई गई। सुंदरकांड के समापन पर सभी को प्रसाद वितरित किया गया।
यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि मंदिर श्री दाऊजी महाराज में स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा दरअसल मंदिर के निर्माण से भी पहले की है। सदरभट्टी चौराहे पर जिस स्थान पर यह मंदिर है, वहां 127 वर्ष पहले तक एक अखाड़ा हुआ करता था, जिसमें हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा स्थापित थी। मंदिर निर्माण के दौरान हनुमानजी की प्रतिमा को यथास्थान ही रहने दिया गया। इसीलिए श्रद्धालु भी मंदिर श्री दाऊजी महाराज के हनुमानजी की विशेष महिमा को मानते हैं। आज इसी प्रतिमा के समक्ष शिवहरे युवाओं ने सुंदरकांड का पाठ कर संपूर्ण समाज के लिए मंगलकामना की।
परिषद के अध्यक्ष अंशुल शिवहरे ने शिवहरेवाणी को बताया कि नववर्ष पर शुभ की कामना के लिए सुंदंरकांड के पाठ से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता और इसीलिए, यह आयोजन किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत हनुमानजी की प्रतिमा पर पोशाक चढ़ाकर किया गया। जिसके बाद कुलभूषण गुप्ता रामभाई औ उनकी टीम ने सुंदरकांड का पाठ किया। रामभाई ने अपने चिर-परिचित अंदाज में सुंदरकांड की चौपाइयों के बीच मधुर फिल्मी गीतों पर बनी भक्ति पैरोडियों से लोगों को बांधे रखा।
कार्यक्रम संयोजक अमित शिवहरे ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शिवहरे समाज एकता परिषद आगे भी भविष्य में भी समाज, धर्म और संस्कृति के उत्थान में इस तरह के आयोजन करती रहेगी। कार्यक्रम में शिवहरे समाज एकता परिषद के डा. गौरव गुप्ता, अंकुर गुप्ता, हिमांशु शिवहरे, सत्यप्रकाश शिवहरे लालाभाई, लक्कीराज शिवहरे, वरुण गुप्ता, सुगम शिवहरे का योगदान रहा।
कार्यक्रम में मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष भगवान स्वरूप शिवहरे, वरिष्ठ भाजपा नेता केके शिवहरे, मंदिर श्री राधाकृष्ण के अध्यक्ष अरविंद गुप्ता, आशीष शिवहरे लाला भाई (जिज्ञासा पैलेस), बिजनेश शिवहरे, प्रमोद गुप्ता, अनूप शिवहरे, कुलदीप शिवहरे, अनुज शिवहरे (शैंकी), सुगम शिवहरे आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
बता दें कि सुंदरकांड गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस का एक अध्याय है। हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे जो त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे। और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है !यह जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का वर्णन है जिसे आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला पाठ माना जाता है।
धार्मिक मान्यता यह है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है। साथ ही सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है। हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है।
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