शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल।
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रदीप जायसवाल ‘गुड्डा’ को खनिज साधन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। खनिज साधन मंत्री के तौर पर प्रदीप जायसवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती मध्य प्रदेश में अवैध उत्खनन पर रोक लगाने और पर्यावरण को संरक्षित करते हुए राजस्व को बढ़ाने की बड़ी चुनौती होगी। अब तक प्रदीप जायसवाल को आबकारी विभाग मिलने की चर्चा थी, लेकिन शुक्रवार शाम को जारी सूची के मुताबिक, आबकारी विभाग का आवंटन किसी को नहीं किया गया है, ऐसे में संभव है कि यह विभाग मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास ही रहेगा।
बता दें कि बीते मंगलवार को भोपाल में कमलनाथ के 28 कैबिनेट मंत्रियों को राज्यपाल आनंदीबेन ने शपथ ग्रहण करवाई थी। लेकिन मंत्रालय के आवंटन की घोषणा शुक्रवार को की गई है। फिलहाल प्रदीप जायसवाल को मंत्री बनाए जाने पर उनके गृह जनपद बालाघाट में जश्न का माहौल है, खासकर उनके निर्वाचन क्षेत्र वारासिवनी के लोगों के बीच खास उत्साह देखा जा रहा है। उनके निर्दलीय निर्वाचन ने फिर साबित कर दिया है कि लोगों के बीच जाकर और जमीन पर काम करने वाले नेताओं का कोई विकल्प नहीं हो सकता, और जनता की नजर में ऐसे नेताओं की हैसियत उनकी पार्टी से भी ऊपर हो जाती है।
12 फरवरी, 1965 में जन्मे प्रदीप जायसवाल वारासिवनी से चौथी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। वर्ष 1998, 2003 और 2008 में वह कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। लेकिन 2013 में चली मोदी लहर में उन्हें अपनी सीट गंवानी पडी। इसके बाद भी वह अपने क्षेत्र की जनता के बीच और जनता के लिए कार्य करते रहे। अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से व्यक्तिगत रूप से जुड़ना उनकी राजनीतिक शैली का अहम हिस्सा है।
जनता के लोकप्रियता को देखते हुए इस बार विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस का टिकट मिलना तय था, पार्टी आलाकमान से भी इसके मिल गए थे, लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय मसानी को टिकट देने की घोषणा कर दी। इस पर प्रदीप जायसवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की फैसला किया।
प्रदीप जायसवाल के निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। लेकिन, प्रदीपजी अपने निर्णय से डिगे नहीं और अंततः निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भारी मतों से विजय प्राप्त की। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी संजय मसानी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।
निर्दलीय निर्वाचित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस को समर्थन जाहिर कर यह संदेश भी दिया कि कांग्रेस ने भले ही उन्हें निष्कासित कर दिया, लेकिन पार्टी से उनका भावनात्मक जुड़ाव अब भी है। प्रदीप जायसवाल को मुख्यमंत्री कमलनाथ गुट का माना जा रहा है। इसी आधार पर राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि प्रदीप जायसवाल को कोई अहम मंत्रालय दिया जा सकता है। हालांकि प्रदीप जायसवाल के सेक्रेटरी अनिरुद्ध दुबे ने शिवहरेवाणी को बताया कि अभी इस बारे में कोई संकेत नहीं है और इसका निर्णय मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ नवनियुक्त मंत्रियों की बैठक में ही होगा।
प्रदीप जायसवाल ‘गुड्डा’ की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कांग्रेस से जुड़ी है। उनके पिता स्व. अमृतलाल जायसवाल भी वारासिवनी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे प्रदीप जायसवाल सिविल इंजीनियर हैं और ट्रेवल्स एंड ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से भी जुड़े हैं। वह जिला कांग्रेस में कई अहम पदों पर रहे और 1998 में महज 33 वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और विधायक बने।
उनकी धर्मपत्नी श्रीमती स्नेहा जायसवाल भी वारासिवनी नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी पुत्री प्रियल जायसवाल भोपाल में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है, बेटा प्रबल 12वीं में है। प्रदीप जायसवाल के दो भाई हैं जो पारिवारिक व्यवसाय देखते हैं।
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