November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

प्रो. श्यामबाबू शिवहरे का देर रात निधन…अंतिम संस्कार आज

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
जाने-माने शिक्षाविद प्रो. श्यामबाबू शिवहरे का शुक्रवार देर रात निधन हो गया है। 85 वर्षीय प्रो. शिवहरे काफी समय से बीमार चल रहे थे और मध्यरात्रि करीब बारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी शवयात्रा पूर्वाहन 11 बजे उनके आवास 5ई/242 केदारनगर से ताजगंज श्मशानघाट के लिए प्रस्थान करेगी, जहां उनकी  पार्थिव देह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। 
प्रो. शिवहरे का जाना आगरा में शिवहरे समाज के लिए एक युग का अंत हो जाने जैसा है, क्योंकि एक दौर में वह समाज की युवा पीढ़ी के लिए आइकन हुआ करते थे और शिक्षा के लिए उनके संघर्ष व उपलब्धियों ने युवाओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। आगरा कालेज में कैमिस्ट्री के हैड ऑफ द डिपार्टमेंट पद से रिटायर हुए प्रो. शिवहरे अपने पीछे तीन पुत्रों और तीन पुत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़कर गए हैं। प्रो. शिवहरे का निधन शिवहरेवाणी के लिए व्यक्तिगत क्षति है, वह शिवहरेवाणी के प्रधान संपादक सीमंत साहू एवं कार्यकारी संपादक सोम साहू के मामाश्री थे। 
उस दौर में जब समाज में शिक्षा और साक्षरता में फर्क नहीं समझा जाता था, तब प्रो. श्यामबाबू शिवहरे ने शिक्षा के लिए आर्थिक स्तर पर, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर जो संघर्ष किया, उसके लिए उन्हें याद रखा जाना चाहिए। इससे बढ़कर उन्हें समाज में शिक्षा को सम्मान दिलाने के लिए याद किया जाएगा। प्रो. शिवहरे ने चालीस के दशक में अपनी पढ़ाई के दौरान ही अपने सजातीय कालेज-फ्रेंड स्व. श्री कामता प्रसाद साहू 'उदित' (संस्थापक शिवहरेवाणी) के साथ मिलकर समाज की धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज में एक चैरिटी स्कूल चलाया था जिसमें समाज के गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी। बीते वर्ष शिवहरे समाज एकता परिषद ने प्रो. श्यामबाबू शिवहरे को शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए 'शिवहरे शिक्षा रत्न' अवार्ड से सम्मानित किया था। कई अन्य सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा भी  उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
प्रो. श्यामबाबू शिवहरे का जन्म आगरा के नाई की मंडी में 1933 को हुआ था। पिता सुखलाल शिवहरे एक भांग के ठेके पर नौकरी करते थे। छह बच्चों का लालन-पालन उनकी छोटी सी तनख्वाह में बमुश्किल होता था। तब सुखलाल शिवहरेजी ने अपने बालक श्यामबाबू का दाखिला एक स्कूल में यह सोचकर कराया, कि पांच जमात पढ़ जाएगा तो थोड़ा-बहुत लिखना पड़ना और हिसाब करना सीख लेगा, फिर किसी दुकान में नौकरी पर लगवा देंगे।
लेकिन बालक श्यामबाबू ने बचपन से ही पढ़ाई की ओर अपना रुझान दिखाया और कक्षा में हमेशा अव्वल रहे। पांचवी कक्षा के बाद पिता सुखलाल शिवहरे ने बालक श्यामबाबू की पढ़ाई छुड़वाकर उन्हें एक दर्जी की दुकान पर काम सीखने के लिए बैठा दिया। बालक श्यामबाबू ने पढ़ने की जिद पकड़ ली, रो-रोकर बुरा हाल कर लिया। तब मां केसर देवी को लगा कि बच्चे का मन रखना चाहिए। उन्होंने अपने पति को मनाया। तय हुआ कि बालक श्यामबाबू सुबह स्कूल जाएगा और दोपहर को स्कूल से लौटने के बाद दर्जी की दुकान पर। बालक श्यामबाबू ने इस तरह छठवीं में दाखिला लेकर अपना पहला सपना पूरा किया।
आठवीं कक्षा तक यही रुटीन चला। सुबह स्कूल, दोपहर बाद दर्जी की दुकान और रात को पढ़ाई। उस समय घर में बिजली नहीं थी। उसी समय अंग्रेजी प्रशासन ने एक सरकारी लैप पोस्ट हल्का मदन क्षेत्र में लगवाया था। रात को बालक श्यामबाबू की खटिया उसी लैंप पोस्ट के नीचे डाल दी जाती है। लैंप पोस्ट की रोशनी में उनकी किताबें खुल जाती थीं, अक्सर देर रात तक पढ़ाई होती थी और कभी-कभी तो अलसुबह पौ फटने तक। छठी से आठवीं तक बालक श्यामबाबू ने हर कक्षा अव्वल पास की।
आठवीं पास होते के बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखने की बात पिता से कही जिसके लिए वह आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे। पिता ने लाला गोपीचंद से बात की, जिनकी भांग की दुकान पर वे नौकरी करते थे। लाला गोपीचंद ने बालक श्यामबाबू को अपने नंद टाकीज में टिकट बांटने पर लगा दिया। सहूलियत ये दी कि उन्हें हर शो शुरू होने से आधा घंटे पहले आना होगा और टिकट बांटकर वह जा सकतॆ हे। इसके एवज में उन्हें इतना तो दे ही दिया जाएगा कि वह पढ़ाई जारी रख सकें।
बालक श्यामबाबू ने नौवीं कक्षा में दाखिला लिया। कालेज जाने के साथ ही उन्हें हर रोज दोपहर, मैटनी, शाम और रात के शो से आधे घंटे पहले टाकीज पहुंचना होता था। इसके लिए कई दफा क्लास भी छोड़नी पड़ती थी। हाई स्कूल, इंटरमीडिएट, बीएससी, एमएससी..सभी कक्षाएं नंद सिनेमा में टिकट बांटते हुए अव्वल दर्जे से पास की। उनकी मेधा से प्रभावित होकर आगरा कालेज प्रशासन ने एमएससी के बाद उन्हें वहीं कैमिस्ट्री के लेक्चरर पद पर नियुक्त कर दिया, जहां से वे कैमिस्ट्री के हैड ऑफ द डिपार्टमेंट के पद से रिटायर हुए। 
प्रो.श्यामबाबू शिवहरे कैमिस्ट्री के क्षेत्र में एक बड़ा नाम रहे। उनकी लिखी कई किताबें आज भी विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। प्रो. श्यामबाबू शिवहरे ने आगरा शहर को कई नामी डाक्टर दिए जो आज भी उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। उन्होंने धाकरान चौराहे पर अपने पिता स्व. सुखलाल शिवहरे की स्मृति में सुखलाल शिवहरे जूनियर हाईस्कूल शुरू किया, इसके बाद स्कूल की एक अन्य शाखा केदारनगर मे स्थापित की।

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