शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल।
जाति और धर्म हमारे देश की राजनीति के दो सबसे बड़े फैक्टर रहे हैं। मध्य प्रदेश की बात करें, तो एक सर्वे के मुताबिक यहां 65 फीसदी लोग उम्मीदवार की जाति देखकर मतदान करते हैं। हालांकि मध्य प्रदेश में 75 लाख की आबादी वाले कलचुरी समाज के मतदाताओं ने कभी इस तरह की सोच जाहिर नहीं की है। कुछ लोग मध्य प्रदेश की राजनीति में कलचुरी समाज को उसकी आबादी के अनुपात में यथोचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के पीछे इसे भी एक वजह मानते हैं।
खैर, अब स्थिति बदल रही है। कलचुरी समाज में वाजिब राजनीतिक प्रतिधित्व हासिल करने की छटपटाहट दिखाई दे रही है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा होने के काफी पहले से ही कलचुरी समाज के विभिन्न संगठनों की ओर से पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व की पुरजोर मांग उठाई गई। इसी कड़ी में बीती एक अक्टूबर को भोपाल में पूरी तैयारी के साथ राजनीतिक महासम्मेलन का आयोजन भी किया गया। हालांकि भोपाल महासम्मेलन के आयोजकों पर कुछ लोगों ने एक खास राजनीतिक दल के लिए काम करने के आरोप भी लगाए। लेकिन अब, जबकि मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की जा चुकी है, तो महासम्मेलन के आयोजकों और आलोचकों को इसके फलितार्थ पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
एक बात तो यह कि भाजपा ने इस बार कलचुरी समाज से जुड़े चार नेताओं को टिकट है। इनमें सीहोर विधानसभा सीट से सुदेश राय, सिवनी से दिनेश राय मुनमुन, गुड़वारा-कटनी विधानसभा क्षेत्र से संदीप जायसवाल और कोतमा-अनूपपुर से दिलीप जायसवाल को भाजपा का टिकट मिला है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस से किसी कलचुरी नेता को टिकट नहीं दिया गया।
गौर करने वाली बात यह है कि भोपाल महासम्मेलन में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह मौजूद रहे थे। जबकि, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के चलते महासम्मेलन नहीं आ सके, और उनकी अनुपस्थिति को भरने के लिए कांग्रेस की ओर से इस कद का कोई अन्य नेता भी उपस्थित नहीं था।
महासम्मेलन के संयोजक राजाराम शिवहरे ने शिवहरेवाणी से बातचीत में कहा कि यदि कमलनाथ या उनके कद का कोई अन्य नेता महासम्मेलन में उपस्थित होता तो कांग्रेस भी कलचुरी समाज के कुछ नेताओं को टिकट देने के लिए बाध्य हो सकती थी। उनका कहना है कि यह राजनीतिक महासम्मेलन का ही असर है जो भाजपा ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार कलचुरी समाज को दोगुना प्रतिनिधित्व दिया। पिछले चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने कलचुरी समाज के 2-2 नेताओं को टिकट दिया था। लेकिन इस बार कांग्रेस की ओर से कलचुरी समाज को कोई टिकट नहीं दिए जाने को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
भोपाल के राजनीतिक महासम्मेलन का दूसरा प्रभाव समाज में राजनीतिक चेतना के रूप मे सामने आया है। कांग्रेस की ओर से स्वजातीय नेताओं को एक भी टिकट नहीं दिए जाने पर कलचुरी समाज में हो रही तीखी प्रतिक्रिया इसी राजनीतिक चेतना की तस्दीक करती है।
पिछले चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने समाज के योग्य उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था। तब 2-2 निर्दलीय विधायक कांग्रेस पार्टी पार्टी से बगावत तक चुनाव जीतकर आए थे। वर्ष 2013 में सिवनी से दिनेश राय (मुनमुन) कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव ल़ड़े थे और 20 हजार से भी अधिक वोट से चुनाव जीतकर आए थे और कांग्रेस की जमानत जब्त करा दी थी। वहीं 2013 में ही कांग्रेस से बगावत कर सुदेश राय (सीहोर) से निर्दलीय जीतकर आए थे। इस बार दोनों को भाजपा ने टिकट दिया है।
इसे हार-जीत का गणित कहें या कुछ और, सच तो यह है कि कांग्रेस ने इस बार भी समाज की उपेक्षा की है। लेकिन, इस पर समाज की ओर से आ रही कड़ी प्रतिक्रिया उसके लिए चौंकाने वाली है। इसकी वजह यह है कि मध्य प्रदेश में 75 लाख की आबादी वाला कलचुरी समाज की छवि वोट-बैंक की नहीं है। आर्थिक, शैक्षणिक और समाजिक रूप से संपन्न समाज से वोट बैंक बनने की उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए। फिर भी, समाज में राजनीतिक चेतना स्वागतयोग्य है, जो भविष्य में कलचुरी समाज को वो राजनीतिक मुकाम और रुतबा प्रदान करेगी जिसका वह हकदार है।
समाचार
इस बार चार टिकट मिले… अगली बार 40 भी मिलेंगे
- by admin
- October 29, 2016
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- 9 years ago


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