शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
वर्तमान में दो संवतों-विक्रम संवत और शक संवत का ही प्रमुख रूप से प्रचलन है। लेकिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न संवत चलते रहे हैं जिनमें से अधिकांश का चलन लगभग लुप्तप्रायः हो गया है। इन्हीं में एक है कलचुरी संवत जो प्राचीन एवं मध्ययुगीन भारत के अधिकांश क्षेत्र में शासन करने वाले कलचुरी राजवंश द्वारा चलाया गया। दीपावली के अगले दिन 8 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रथमा के साथ ही कलचुरी नवसंवत शुरू हो चुका है। सोशल मीडिया पर कलचुरी समाजबंधुओं द्वारा एक-दूसरे को कलचुरी नव-संवत की बधाइयों का दौर चल रहा है। आज शुक्रवार 9 नवंबर को जब यह समाचार प्रकाशित किया जा रहा है, कलचुरी नव-संवत 1771 का पहला दिन है।
शिवहरे वाणी ने जब इतिहास के पन्ने खंगाले तो पता चला कि कलचुरी संवत को लेकर विभिन्न इतिहासकारों ने कलचुरी साहित्य, ताम्रपत्र, शिखालेख, दस्तावेज, परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं के आधार अपने-अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। इनमें फिट्स एडवर्ड, कनिंघम, भगवानलाल इंद्रजी, कीलहार्न, अमलादेव घोष, रायबहादुर डा. हीरालाल आदि ने अपनी-अपनी राय दी है। इनके आधार पर कलचुरी संवत की तिथियों को दो समूहों में विभाजित किया जा सकता हैः-
1. वे प्रारंभिक तिथियां जो 490 ई. तक मिलती हैं और गुजरात व महाराष्ट्र से आती हैं।
2. बाद वाली तिथियां जो 722 से 969 ई. तक मिलती हैं और विंध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आती हैं। इन क्षेत्रों में यह संवत कलचुरी साम्राज्य के विस्तार के साथ पहुंचा था।
कीलहार्न का मानना था कि दोनों समूहों की तिथियों की गणना के लिए एक समान सूत्र का प्रयोग नहीं किया जा सकता। तदनुसार, संवत की प्रारंभिक तिथियों की गणना के लिए सूत्र एक के अनुसार कलचुरी संवत 0= 248-49 ईस्वी होगा। बाद की तिथियों के लिए यह कलचुरी संवत 0= 248-48 होगा।
दोनों के लिए कलचुरी संवत का प्रारंभ कार्तिक सुदी एकम से हुआ है। परंतु संवत की प्रारंभिक तिथियों मे माह सामान्यः अमान्त अथवा अमावस्या वाला होता है, जबकि दूसरी मे पूर्णिमान्त अथवा पूर्णिमा वाला होता है।
कलचुरी संवत की शुरूआत त्रिकूटक नामक एक छोटे राजवंश द्वारा की गई थी, जो 248-249 ई. में प्रचलित हुआ था। इसके आरंभ का प्रथम वर्ष अमान्त है जो कार्तिक सुदी एकम (25 सितंबर 249ई.) से प्रारंभ होता है और जिसे बीता हुआ शक संवत 171 माना जाता है। अतः चालू कलचुरी वर्ष को बीते शक वर्ष में बदलना हो तो उसमें 170 जोड़ना पड़ेगा जब उसकी तारीख कार्तिक से लेकर फाल्गुन तक किसी भी माह में पड़ती है। इसी प्रकार यदि बीते हुए कलचुरी वर्ष को बीते हुए शक वर्ष में बदलना हो तो क्रमशः 171 और 172 और जोड़ना होगा।
फिलहाल जो भी हो, गणनाओं के हिसाब से 8 नवंबर, 2018 को कलचुरी नवसंवत 1771 का पहला दिन था और आज 9 नवंबर, 2018 को कलचुरी नव-संवत का दूसरा दिन है।
समाचार
कलचुरी नवसंवत की इस गणित को समझना जरूरी…शुरू हुआ 1771
- by admin
- October 29, 2016
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- 8 years ago
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