February 22, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

यूं चौंका देते हैं शिवम के अविष्कार…मां के लिए बना दिया बिजली के बिना चलने वाला वाटरपंप और कूलर

शिवहरे वाणी नेटवर्क
लखनऊ।
बहुत जल्दी सीख लेता हूँ जिंदगी का सबक,
गरीब बच्चा हूँ बात-बात पर जिद नहीं करता।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नरही के 13 साल के बच्चे शिवम जायसवाल पर यह शेर सटीक बैठता है। शिवम के शौक मुख्तलिफ हैं। गरीबी के कुचक्र में फंसे परिवार के इस बच्चे को खेलने-कूदने, टीवी पर कार्टून देखने जैसा आम बच्चों वाला कोई शौक नहीं है। बल्कि दिनभर कबाड़ पड़ी चीजों में कुछ न कुछ खुरपेच करने करता रहता है। और ऐसे ही खेल खेल में ऐसी चीजें ईजाद कर देता है कि देखने-सुनने वाले बड़े लोग भी दांतों तले उंगलियां चबाने को मजबूर हो जाएं। अब तक वह बैटरी से चलने वाला कूलर, मोटर पंप और पेपर कटिंग मशीन के मॉडल बना चुका है। 

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हम बात कर रहे हैं लखनऊ के 13 वर्षीय शिवम जायसवाल की। पिता शम्मी जायसवाल लखनऊ जू के मेनगेट के सामने गर्मियों में पना और सर्दियों में मूंगफली का ठेल लगाते हैं। हजरतगंज स्थित नेशनल स्कूल में कक्षा सात का छात्र शिवम अपने अविष्कारों के बल पर यूट्यूब पर छाया हुआ है। आप यू-ट्यूब  पर छोटा अब्दुल कलाम एक मिसाल विडियो सर्च करेंगे तो शिवम नीले रंग की टी-शर्ट में अपने बनाए मॉडलो के साथ दिखाई देगा। शिवम ने घर में रखे वेस्ट मैटेरियल व डीवीडी की मोटर से बैटरी से संचालित होने वाले पेपर कटर मशीन, वॉटर पंप और कूलर बनाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। शिवम का कहना है कि उसके अविष्कार उसने अपने हालात से प्रभावित हैं और उन लोगों के लिए बेहद मददगार हैं जिनके यहां बिजली का कनेक्शन नहीं है, या फिर बिजली की आपूर्ति ठीक नहीं है। ये लोग हाई पॉवर बैटरी से वॉटर पंप व कूलर चला सकते हैं। 

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शिवम ने इन चीजों को बनाने के लिए वेस्ट मैटीरियल का इस्तेमाल किया है जैसे खराब पड़ी एल्युमिनियम शीट, कबाड़ में पड़े प्लास्टिक के पुराने बटन, पाइपों के छोटे टुक़ड़े और स्पंज के बारीक टुकड़ों आदि। कूलर बनाने के लिए उसने प्लास्टिक के केन से बॉडी बनाई, स्पंज के सूखी घास जैसे टुकड़े और प्लासिक के पंखे का इस्तेमाल किया और, फिर बैटरी से सर्किट तैयार से उसे संचालित किया। शिवम की मां को बेटे की प्रतिभा पर गर्व है, और उसे उम्मीद है कि शिवम अपनी प्रतिभा के बल पर गरीबी के कुचक्र से परिवार को बाहर निकालेगा और एक बेहतर जीवन जियेगा।

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शिवम की मां के मुताबिक, शिवम बचपन से ही बेकार पड़ी चीजों में कुछ न कुछ करता रहता था, इस पर कई बार उन्होंने डांटा भी। हालांकि आज उन्हें शिक्षा न लेने का अफसोस होता है। कहती हैं कि पढ़ी लिखी न होने के कारण वह बेटे को समझ नहीं पाईं। लेकिन अब उन्हें बहुत खुशी है। उनकी दिली इच्छा है कि बेटा पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी पा जाए। 
शिवम का कहना है कि घर में आर्थिक तंगी, बिजली की सप्लाई ठीक तरीके से न होने और पानी की कमी जैसे हालात ने उसे इन सब चीजों को बनाने के लिए प्रेरित किया।

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हालांकि वह अच्छी तरह समझता है कि उसकी बनाई चीजें इतनी बड़ी नहीं है कि घर के इस्तेमाल में आ सकें। लेकिन उसे यकीन है कि पैसे हुए तो वह ऐसी चीजें तैयार कर सकता है जो घर के बहुत सारे काम आ सके। उसने कहा कि उसकी मां को पानी भरने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है, इसलिए वाटर पंप बनाने का विचार उसे आया। अब इच्छा है कि एक बड़ा पंप तैयार करे, ताकि मां को पानी लेने के लिए दूर न जाना पड़े।  

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शिवम मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहता है। उसने बताया कि उसने करभी किसी टेलीविजन शो या सोशल मीडिया से कुछ नहीं सीखा, बल्कि केवल अपनी कल्पनाशीलता का इस्तेमाल किया। अलबत्ता अपने घर के पास रहने वाले अभिषेक नाम के एक दूधवाले का जरूर आभार व्यक्त करता है जिसने उसे ऐसी चीजें बनाने के लिए प्रेरित किया। 

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शिवम के पिता शम्मी जायसवाल पिता शम्मी जायसवाल ने बताया कि शिवम की प्रतिभा को देखते हुए 4 अगस्त को प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल ने शिवम को और उसके  पिता शम्मी जायसवाल को सम्मानित किया था। डीएम ने शिवम के घर से उसका पूरा ब्यौरा मंगलवाया है। आकाशवाणी केंद्र लखनऊ में भी शिवम को लेकर एक प्रोग्राम किया गया है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि शिवम की प्रतिभा को अभी तक सरकार या स्कूल की तरफ से या कहीं से कोई सपोर्ट नहीं मिली है। 

 

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